COLLECTOR SAHIBA

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इनको को तो धक्के मार के इस मुहल्ले से बाहर फेक देना चाहिए..ना जाने कैसी परवरिस की थी बेटी की जो नाक काट के भाग गई..अभी एक हफ्ते बाद शादी थी..हमारी किस्मत फूटी थी जो अगुवाई कर बैठा..अब हम क्या जवाब देंगे..हमारे मोहल्ले की इज्जत तार-तार करके लड़की भाग गई..अपने आपको बहुत बड़े पंडित बोलते हैं.सबको ज्ञान देने चले थे..बेटी को तो संस्कार दे नहीं पाए..चले थे..कथा वाचक बनने..? भरी पंचायत में पंडित भरत चौबे की बेइज्जती गांव के मुखिया ने कर डाली..सर झुकाए बेबस भरत चौबे और उनकी पत्नी रमा देवी सब सह गए। पुरा मुहल्ला उनपर शब्दों के वार से टूट पड़ा..पंचायत ने अपना फैसला सुनाया..! "आज के बाद मोहल्ले का कोई भी व्यक्ति भरत चौबे से किसी भी तरह का कोई संबंध नहीं रखेगा.. यहां तक कि इनके घर का पानी तक पीना अपराध मना जाएगा.. मोहल्ले के किसी भी शुभ कार्य में इनका आना वर्जित रहेगा.. इन्हें अपने समाज से बाहर किया जाता है..पंचायत यहीं समाप्त होती है.. आदेश देकर मुखिया तन तनाते हुए वहां से चला जाता है.. ! बाकी सब लोग आंखें दिखा कर ताने मारते हुए अपने-अपने घर को चले जाते हैं.. भरत चौबे और पत्नी रमा देवी..वही पेड़ के नीचे बने चबूतरे पर बैठ जाते हैं..तभी मंदिर की घंटी बजती है, दोनों की नजर मंदिर की तरफ जाती है..भारत चौबे के मन में कई सवाल पनपने लगे।''उन्होंने भगवान से पूछा कि इस गरीब ब्राह्मण में ऐसी क्या कमी रह गई थी..?जो आपने मुझे ऐसा दिन दिखाया। मैं तो सुबह दोपहर शाम आपके चरणों में पड़ा रहता था.. मैंने तो आज तक एक चिंटी तक नहीं मारी.. लेकिन आज मेरी सारी इच्छाएँ मर गई हैं.. मैं जीवित होकर भी मृत्यु जैसा अनुभव कर रहा हूँ.. उनकी आंखों में आंसू थे..रमा देवी ने रोते हुए अपने आंचल से उनके आंसू पूछे..आसहाय पांव से धीरे-धीरे दोनों पुलिस स्टेशन की ओर निकल पडे.. पुलिस को अपनी आप बीती बताई तो पुलिस वाले ने चुटकी लेते हुए जवाब दिया.."आजकल तो आम बात हो गई है.. बाप की इज्जत उछालने में आजकल की लड़कियां सोचती भी नहीं है .. किसी का हाथ पकड़ कर आएगी और कहेगी कि मैं इसके साथ रहना चाहती हूं..मैं बालिग हूं..फ़िर उसके बाद ना आप कुछ कर पाएंगे और ना मैं..तो समय बर्बाद करने से अच्छा है आप चुप चाप अपने घर जाइये.. पंडित जी की बेटी किसी लड़के के साथ भाग गई यह खबर धीरे-धीरे आस-पास के गांव तक आग की तरह फेल हो गई लोग आपस में बातें करने लगे.. अरे ये तो कहते थे कि हमारी बिटिया कलेक्टर बनेगी बड़े नाज़ में रहते थे.. थके हारे निराश बरामदे में एक हल्की सी रोशनी में बैठे पंडित जी ने बहुत सोचा और फैसला किया कि हम यह मोहल्ला.. घर छोड़कर कहीं दूर चले जाएंगे.. उनकी पत्नी और पंडित जी ज़रूरी समान पैक करने लगे..तभी फोन की घंटी बजी रमा देवी ने फोन उठाया.. उधर से आवाज आई..'' आंटी आपकी सुधा बिल्कुल सुरक्षित है.आप लोग परेशान मत होना..बस मैं नहीं चाहता सुधा की शादी रुस्तम से हो वह अच्छा लड़का नहीं है..मैं अच्छे से जानता हूं.. अपने कॉलेज का सबसे बुरा लड़का है वो लड़कियों को छेड़ता रहता है गंदे कमेंट करता है शराब पीता है। ब्राह्मण होके भी मांसाहारी है..बड़े बाप की बिगडी हुई औलाद है वो.. उनकी हैसियत देखकर उनसे रिश्ता मत जोडिये.. सुधा खुश नहीं रहेगी..? रमा देवी ने घबराते हुए पूछा..'' लेकिन तुम हो कौन..?..मेरी बेटी कहां है..? उधर से फिर आवाज आई.. मैं जो भी हूं आपका और आपकी बेटी का भला चाहता हूं..मुझे गलत मत समझिए..लो बात करो सुधा से.. सुधा के दोनों हाथ बंधे हुए थे..वो बस गुस्से से चंदन पे चिल्ला रही थी.. चंदन मोबाइल का स्पीकर ऑन करके सुधा के करीब जाके बोला.." लो बात करो तुम्हारे मम्मी पापा से, सुधा थोड़ा सरल होकर बोली..'' मम्मी मैं ठीक हूं..ये चंदन पागल हो गया है..मुझे ज़बरदस्ती उठा के लाया है.. बस इतना ही बोल पाई सुधा.. चंदन स्पीकर ऑफ करके थोड़ी दूर जाकर बात करने लगा.. भरत चौबे ने अपनी पत्नी से मोबाइल झट से लिया और रिक्वेस्ट के भाव में..चंदन से कहा.. प्लीज मेरी बेटी को कुछ मत करना... सुधा के पिता जी बात सुनकर चन्दन ने कहा की आप परेशां ना हो अंकल जी जब तक मैं हूँ सुधा को एक खरोच तक नहीं आने दूंगा पर अगर आपने रुस्तम को सुधा के लिए चुना तो सुधा की आँखों के साथ साथ उसकी आत्मा भी आंसू बहायेगी..और ये सारी गलतियों के ज़िम्मेदार आप होंगे.. भरत चौबे ने फिर थोड़ी कडी आवाज़ में कहा.."लेकिन तुम जो कर रहे हो गलत है..तुम्हें जेल हो सकती है.. चंदन ने समझाते हुए बोला..” सबको विवाह के बंधन में बांधने वाला एक ब्राह्मण अपनी बेटी के बंधन को समझ नहीं पाया..अगर ये कलंक आपकी वजह बना तो कैसा लगेगा आपको..मैं फिर कह रहा हूं.. आप मेरा यकीं कीजिये अंकल रुस्तम सुधा के लिए सही नहीं है। आप एक बार मेरे कहने से उसके बारे में मालूम कर लीजिये अगर जो कुछ मैंने कहा वो सच ना हुआ तो आप जैसा चाहे वैसा कीजियेगा। उसके बाद अगर आप मुझे जेल भी भेज देंगे तो मैं ख़ुशी ख़ुशी चला जाऊँगा भरत चौबे चुप हो गए उनके पास जवाब नहीं थे.. वो कुछ कहते इसके पहले ही चंदन ने कॉल कट कर दिया भरत चौबे वही बिस्तर पर बैठ गए..रमा देवी ने पूछा'' सुधा ठीक तो है ना..? हाँ सुधा ठीक है पर ना जाने क्यों आज पहली बार अपने लिए फैसले पर डर लग रहा है कहीं हमने सुधा की शादी तय करने में कोई जल्दबाज़ी तो नहीं कर दी। अगर चन्दन ने जो कुछ कहा वो सच हुआ तो सुधा बिल्कुल सही सलामत है..अगर वो झूठ बोल रहा है तो..सुधा जरूर परेशानी में होगी..हमे पता करना चाहिए.. रुस्तम की असली जिंदगी क्या है..? अपनी पत्नी से ये कह कर वो बहार बालकनी में आके बैठ गए और मन मष्तिक में एक ही बात चल रही थी की अगर सुधा ठीक नहीं होती तो वो फ़ोन पे चीखती चिल्लाती कुछ तो कहती..मगर वो सामान्य थी.. भरत चौबे को थोड़ी राहत मिली..और दोनो पति पत्नी बिना कुछ खाए पूरी रात बिता दी..! सुबह के 8 बजे भरत घर के बाहर आए तो देखा रुस्तम का पिता बलदेव पांडे अपनी पूरी टीम के साथ वहां मौजूद था.. भारत चौबे देखकर घबरा गए..उनके माथे पे पसीने की बूंद टपकने लगी..हिम्मत करके बलदेव पांडे को कुर्सी देते हुए बैठने को कहा.. बलदेव पांडे ने बड़े गुरुर में जवाब दिया..'' हम बैठने नहीं आएं..हमारी बहू कहां है..? भरत चौबे चुपचाप रहे उनके पास कुछ कहने को नहीं था। बलदेव पांडे ने कुर्सी पे बड़े ही स्टाइल से बैठे बैठे कहा क्या सोचा था तुमने भरत हमें कुछ पता नहीं चलेगा.? कोई ऐसे वैसे लोग नहीं है हम। नाम है हमारा रियल स्टेट के बिज़नेस में, लोग के बीच रुतबा है हमारा कोई हमारे सामने कुछ कहने की हिम्मत नहीं करता और आज, आज हमारी होने वाली बहु हमारी आँख में धुल झोंक के किसी और के साथ भाग गयी। तुमने और तुम्हारी उस निर्लज्ज बेटी सुधा ने हमारी इज़्ज़त पे दाग लगाया है..वो तो कभी मिट नहीं सकता..लेकिन कसम खाके कहता हूं..तुम्हारी बेटी की जिंदगी नरक कर दूंगा..और साथ में उसकी भी जिसके साथ भागी है..उसे तो बीच चौराहे पे मारूंगा..अगर भलाई चाहते हो तो मंडप में मुझे किसी भी हालात में सुधा चाहिए.. अपने एक लौता बेटे के कारण तुमसे बात कर रहा हूं.. पागल है रुस्तम..सुधा की खूबसूरती ने उसे पागल कर दिया है..कहता है..सुधा नहीं मिली तो वो किसी और का भी नहीं होने देगा..गला काट देगा सुधा का..अब एक ही औलाद है..हम नहीं चाहते वो भी हमारी तरह जल्लाद बने..मजबूर है हम..वरना रुस्तम की जगह हम ही सुधा का गला काट देते... समझ आया भरत चौबे..? हमारी इज्जत पे आती है तो..हमारा यही असली रूप होता है.. भरत चौबे की जुबां को जैसे ताला लग गया था उन्हें कभी सोचा भी नहीं था की इस खानदान का ये रूप भी हो सकता है रमा देवी खामोश बारामदे का खंभा पकड़ के खडी थी..उनकी धड़कने तेज थी..और आंखें भीगी हुई.. बलदेव ने फिर कहा..'सुधा बस रुस्तम के बिस्तर की शोभा बनेगी..लेकिन बहू कभी नहीं बन पाएगी.. जिंदा तो रहेगी लेकिन जिंदगी नरक कर दूंगा..! शुक्र मनाओ कि रुस्तम को नहीं पता..वो बैंकॉक में है..बैचलर पार्टी में.. वैसे भी रुस्तम एक जगह टिकता कहा है..उसे नई नई चिड़िया हर महीने चाहिए..पता नहीं कैसे तुम्हारी बेटी पर फ़िदा हो गया... मानना पडेगा तुम्हारी बेटी ने दाना नहीं डाला..मेरे बेटे की अच्छाई देखो.. उसे बलात्कार जैसा ख्याल नहीं आया..? आप समझ गये ना मैं क्या कह रहा हूँ..? बलदेव ने भरत चौबे के पास आकर लगभग उनके कान में कहा एक बात अच्छे से समझ लो चौबे जी अगर सुधा मंडप में नहीं पहुंची तो तुम्हारे हाथ सिर्फ बेटी के वस्त्र आएंगे वो भी खून से लथपथ। इतना कहकर बलदेव..रमा देवी के तरफ देखकर..'चलते हैं भाभी जी..बलदेव और उसके चेले कार में बैठे और चल गए.. भरत चौबे के पैरो में कपकपाहट होने लगी थी..बलदेव की कही बातें उनके मस्तक में घुमने लगी थी..वो गिरने ही वाले थे..रमा देवी ने दौड़कर उन्हें संभाल लिया..भरत चौबे के चेहरे पर भय जैसा मौहाल हो गया..उन्होनें रूहासे मन से रमा देवी से बोला- मैं एक सीधा साधा कथावाचक हूं..मेरी छोटी सी दुनिया है..तुम और सुधा..! और ये बलदेव क्या कह गया है..मेरी दुनिया बर्बाद कर देगा..? मैंने गलती कर दी मुखिया के बातों में आकर..उसने सब झूठ कहा कि लड़के वाले बहुत सभ्य लोग हैं..उनकी पूरे शहर में इज्जत है..तुम्हारी बेटी राज करेगी..मैंने बहुत बड़ी गलती कर दी रमा..! रमा देवी समझाती हुई बोली'' सब ठीक हो जाएगा..ऊपरवाला है..सब देख रहा है..अब हमें सुधा का पता करना चाहिए.. अंदर चलो..कुछ खा लीजिए..आपको चक्कर आ रहा है..!दोनों घर के अंदर चले गए..! एक कमरे में बंद सुधा..दांत पीस कर चंदन को भला बुरा बोल रही थी.. चंदन वही पास बैठा बस सुधा की बातों को सुन रहा था..उसने सुधा से कहा ..पता है सुधा..तुमने हमेशा मुझे अपना दोस्त समझा था..लेकिन मैं तुम्हारे आचरन से, तुम्हारी ख़ूबसूरती पे..तुम्हारी सादगी पे मर गया और मुझे तुमसे एक तरफा प्यार हो गया...क्या करू..बहुत समझाया खुद को लेकिन दिल नहीं माना.. तुम्हारी तरफ खीचता चला गया.. इतना सुनते ही सुधा..ठहर गई..उसने पलट के देखा तो चंदन उसे बड़े प्यार से देख रहा था.. सुधा की जुबान लड़खड़ा गई..उसने चंदन से कहा..'तुम्हारा दिमाग तो ठीक है..क्या बोल रहे तुम..मजाक कर रहे हो ना..? चंदन ने भावुक होकर कहा।'' मेरी आंखों में देखो..और पूछो क्या मैं मजाक कर रहा हूं..? सुधा सच में उसकी आंखों में देखने लगी.. चंदन के आंखों में सच्चाई थी.. सुधा अपना दुपट्टा ठीक करते हुए बिस्तर पर बैठ जाती है.. थोड़ी देर बाद सुधा ने चंदन को समझाकर बोली.. चंदन मैंने तुम्हें कभी उस नजर से नहीं देखा.. तुम दोस्त हो और हमेशा रहोगे..मुझे घर जाने दो.. चंदन बड़े कैरिंग वाले भाव से बोला..'' ऐसा नहीं हो सकता..मैं तुम्हें उस दलदल में नहीं जाने दूंगा..रुस्तम तुम्हें बरबाद कर देगा.. जब पता चला कि मैं तुम्हें पसंद करता हूं..रुस्तम अपने दोस्तों के साथ मिलकर मुझे बहुत मारा था...तुम्हारे बारे में उसकी सोच बहुत गंदी है..उसने मुझसे कहा था..तुम बस उसकी नाम की पत्नी रहोगी..बाकी वो बाहर अय्याशियां करता रहेगा..उसकी हर रात रंगीन होती है.. समझो बात को.. आपराधिक परिवार से है वो.. एक बार उसके जाल में तुम गई ना.. फिर निकल नहीं पाओगी... पुलिस,नेता उसके घर पर हाजिरी देते हैं.. चंदन की बातें सुनकर सुधा हंस पढ़ती है.. जानकारी के लिये तुम्हे बता दु.. मेरे पापा ने मेरा रिश्ता तय किया है.. रुस्तम कौन है मैं जानना भी नहीं चाहती.. मेरे पापा की पसंद कभी गलत हो ही नहीं सकती.. मैं एक लौती बेटी हूं उनकी और वो मुझे एक आपराधिक परिवार में मेरी शादी करेंगे...?..वाह मान गए चंदन..मैं समझ गई तुम ऐसा क्यों कर रहे हो..ताकि तुम पर यकीन कर के मैं तुमसे शादी कर लूं..तुमसे प्यार करने लगू.. अभी तक मैं तुम्हें एक अच्छा दोस्त समझती थी..लेकिन तुम्हारी ये हरकतों ने ..दोस्ती को भी डुबो दिया..ये जो तुम कर रहे हो ना..इसे अपहरण कहते हैं.. मेरे बस एक बयान देने की देर है और तुम जेल में नज़र आओगे। इसलिए मेरा कहा मनो और मुझे जाने दो चंदन जिद पे अड़ जाता है.. "ना ताला खुलेगा ना तुम्हारा फोन मिलेगा, शादी की तारीख़ के बाद तुम जाओगी..तब तक तुम जीतना चाहे मुझे गलियाँ दो मारो जो मर्जी हो वो बोलो..एक बात बताओ..तुम्हें तो कलेक्टर बनना है ना..3 साल से कोशिश कर रही हो..इस साल भी परीक्षा दी है तुमने..शायद आज कल मे रिजल्ट भी जा जाए..अगर इस बार तुम्हारे मुताबिक रिजल्ट नहीं आया तो भूल जाना कलेक्टर बनना..क्यों कि तुम्हें तो रुस्तम से शादी करके हाउसवाइफ बनना है और घूट घूट के जीना है.. सुधा ने गुस्से से कहा..तुम हो कौन..? मेरी चिंता करने वाले..तुम्हारी ये बकवास मुझे जहर लग रही है..मुझे अभी जाना है..नहीं तो अगर रिजल्ट मेरे लिए मुताबिक आ गया ना..फिर ये पक्का समझो कि तुम्हें कोई नही बचाएगा..फिर रोते रहना ये एक तरफा प्यार की घटिया सोच लेकर..आज तुम्हारी वजह से मेरे माता-पिता कितना परेशान होंगे..लोग ना जाने क्या-क्या बातें बनाते होंगे..यहां से जाने के बाद..मर जाऊंगी लेकिन तुम्हारी शकल दोबारा नहीं देखूंगी.. चंदन का चेहरा उदासियों से घिर गया..उसने एक लंबी सांस ली और सुधा से बोला..'' अगर तुम्हें लगता है कि ये सब मैं इसलिए कर रहा है कि तुम्हें पा सकू...ऐसा नहीं है सुधा..तुमसे प्यार करता हूं.. इसलिए ये सब कर बैठा..कि तुम्हें कोई खरोच भी ना दे..तुम हंसती रहो..खुश रहो.. मैं तुम्हारी कसम खा कर कहता हूँ सुधा मैं ना तुम्हें अपनी शक्ल दिखाऊंगा ना ही तुमसे शादी करूँगा। जब तुम कलेक्टर बन जाओ बस मुझे बुला लेना मैं खुद आ कर सरेंडर कर दूंगा तुम्हें, इतना कहकर चंदन..सुधा का हाथ खोलकर कमरे से बाहर चला जाता है.. सुधा वही बिस्तर पर बैठ कर सोचने लगी..किस उलझन में फंस चुकी हूं मैं..ये चंदन ऐसा क्यों कर रहा है..कही उसकी बातों में सच्चाई तो नहीं है..फिर उसे अपने पिता का ख्याल आता..मेरे पिता जी कोई अनपढ़ गंवार नहीं कि अपनी बेटी को कोई ऐरे गैरे को दे दें..मैं बंद कमरे में कैसे पता करू..कौन सही कौन गलत..सुधा सर पकड़ के जोर से चिल्लाती है..जो सिर्फ वही सुन सकती थी.. चंदन हॉल में बैठा..उसने कुछ सोचा..अबकी बार चंदन ने कॉल नहीं..सिर्फ मैसेज़ भेजा था भरत चौबे को..जिसपे लिखा था..परसो शादी है आपकी बेटी की..मैंने कोशिश की लेकिन आपकी बेटी मान नहीं रही है..उसका कहना है कि पापा ने खोजा है तो लड़का अच्छा ही होगा..मैं पापा के खिलाफ नहीं जा सकती..! अंकल..मैं सुधा का भला चाहता हूं..इसने परीक्षा दी है अगर भगवान ने चाहा तो आपकी बेटी कलेक्टर बन सकती है..और एक कलेक्टर एक भ्रष्ट घर में जाएगी..तो क्या इमेज रह जाएगी एक बार और सोचना.. परसो मैं सुधा को आपके पास भेज दूंगा.. संदेश पढने के बाद भरत चौबे को चंदन की बात में दम लगा..उन्होने रिप्लाई किया..और लिखा.." बेटा किसी भी हालत में भी सुधा को घर लेके मत आना..तुमने सही कहा था वो अच्छे नहीं है..उनकी भाषा..उनका आचरण हम लोग से बिल्कुल विपरीत हैं..तुम कौन हो..हम नहीं जानते तुमसे अनुरोध है मेरी बेटी को बचा लो.. संदेश पढ़ कर चंदन मुस्कुराया कि चलो अंकल को पता तो चला..वो खुशी से उठा और सुधा के कमरे में गया..जैसा ही दरवाजा खोला..बिस्तर पर बैठी सुधा तूरंत उठी चंदन पे चिल्लाने लगी..'मैंने कहा ना..मुझे जाने दो..! चंदन..उसकी मोबाइल सुधा को देते हुए बोला.. "अब तुम आज़ाद हो..लेकिन तुम्हारे पापा ने एक ज़िम्मेदारी दे दी है मुझे.. सुधा कन्फ्यूज हो जाती है..उसने पूछा'' कैसी जिम्मेदारी..? चंदन अपना मोबाइल सुधा को देते हुए बोला..तुम्हारे पापा का मैसेज़ आया है पढ़ लो.. सुधा ने झट से मोबाइल लिया और पढ़ने लगी..उसकी आंखे चौड़ी हो गई..उसका पूरा बदन ढीला पड़ गया..वो चुपचप जाके बिस्तर पर बैठ गई.. चंदन ने धीरे से कहा.. "जब दिल करे चले जाना..इतना कहकर चंदन चला जाता है.. आधी रात तक सुधा यहीं सोचती रही..पिता जी को किसी ने गुमराह किया होगा..उनसे झूठ बोला गया होगा..नहीं तो वो ऐसे रिश्तों को कभी हां नहीं बोलते..और ये चंदन मुझसे इतना सब सुनता रहा.. थप्पड़ भी खाया.. लेकिन उसने उफ तक नहीं की.. सिर्फ मेरे लिए..वाकई चंदन सच्चे अच्छे दोस्त के काबिल है.. पर उसके साथ शादी ? कैसे ? कभी उसे वैसे देखा ही नहीं ना ही कभी इस तरह की कोई फीलिंग ही आई उसके लिए, लेकिन ना जाने क्यों आज चन्दन अपना सा लगने लगा है। जैसे मेरे जीवन का एक अहम् हिस्सा हो। ये सब सोच कर सुधा हल्का सा मुस्कुराई और सो गयी। कई दिन बाद सुधा को सुकून की नींद आई थी.. सुबह के 8 बज रहे थे..वो उठी जैसे ही अपने पिता को कॉल लगाना चाहा..मेल का एक नोटिफिकेशन आया..उसने ओपन किया तो वो खुशियों से झूम उठी..उसने चंदन का नाम लेके ज़ोर से चिल्लाया..लेकिन चंदन नहीं था..ना हॉल में, ना बालकनी में..ना किचन में..सुधा उसे खोजने लगी..चंदन नहीं मिला..एक नोटिफिकेशन आया, चन्दन का व्हाट्सप्प मैसेज आया था जिसमे लिखा था सॉरी सुधा मेरी वजह से तुम्हें बहुत तकलीफ हुई पर अब तुम जा सकती हो। घर की चाबी वॉचमन को दे देना क्योंकि अब हम दोनों शायद फिर कभी ना मिले। अलविदा सुधा खामोश हो गई..और निकल गई चंदन के घर से अपने घर..! चौबे जी घर के बहार खड़े थे और मंडप वाला उन्हें खरी खोटी सुना रहा था की शादी हो या ना हो मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता खर्चा तो देना पड़ेगा मंडप सज चूका है तभी पीछे से किसी ने उसे आवाज़ लगाई औए कौन है बे तू , ये रुस्तम की आवाज़ थी ?रुस्तम आया हॉल वाले को एक थप्पड़ जड़ दिया..हमारे ससुर जी हैं..तमीज से..! जिसे देख भरत चौबे असहज हो गए..उनके गले का कौआ ऊपर नीचे होने लगा.. रुस्तम आया और भरत चौबे से बोला..'' आप शादी की तयारी करो..हम सुधा को लाएंगे..हमने पता लगा लिया है..चंदन के पास है ना वो..अभी 1 घंटे में वो आपके पास होगी..इतना बोलकर रुस्तम चल जाता है.. रुस्तम के जाते ही भरत चौबे वही ज़मीन पर सिर पे हाथ रख के अपनी किस्मत को कोसते हुए रोने लगते हैं..तभी एक कार आकर वहां रुकी..भरत चौबे ने कार को गौर से देखा तो उसमें से सुधा बहार आई..देखते ही भरत चौबे फूट कर रोने लगे..सुधा दौड़ते हुए आई और अपने पिता को गले लगा लिया और पिता के आंसू पोछते हुए बोली.." मैं ठीक हू पिता जी..आप रो क्यों रहे हैं..?आज तो आपको हंसना चाहिए.. भरत चौबे बेटी के तरफ देख के फिर चारो तरफ देखा..पुलिस की कई गाड़ियाँ थी.. उन्होने सुधा से पूछा..'' जो मैं सोच रहा हूँ क्या वो सच है..? सुधा की आंखे भीगी थी..उसने कहा..'' हां पिता जी आपकी सुधा कलेक्टर बन गई..तभी रमा देवी तेजी आकर बेटी को गले लगा के बोली..'' मैंने कहा था आपसे.. मेरी बेटी ऐसा कुछ नहीं करेगी जिससे आपको दुःख हो या आपकी नज़रें किसी के सामने नीची हो। रमा देवी ने अपनी पूरी ताकत लगा कर ज़ोर से बोला अब कहाँ छुप गए सब जो मेरी बेटी के खिलाफ ना जाने क्या क्या बक रहे थे मान सम्मान की बात कर रहे थे आओ और देखो मेरी बेटी कलेक्टर बन गई। ये होती है बेटी..और वो मुखिया कह गया..? आ देख मेरी बेटी का चरित्र..क्या हुआ आवाज चली गई..गूंगे हो गए सब के सब! सुधा सबके सामने ऐलान करती है..'' आज मेरी शादी है..सबको आशीर्वाद देने आना है..और खाना खा के जाना.. भरत चौबे ने सुधा को रोका'' क्या कह रही है बेटा..ये शादी नहीं हो सकती..! सुधा अपने पिता से बड़े प्यार से कहा.. पिता जी..अब मेरे नाम का मंडप सज चुका है तो शादी कर ही लेनी चाहिए..आप चिंता मत करिये..आपको दुनिया का सबसे अच्छा दामाद मिलेगा...आप मेरी पसंद तो जानते हैं मैं कुछ भी चुनती हूं..परफेक्ट चुनती हूं..अब आप शादी की तयारी करिये.. भरत चौबे मुस्कुरा देते हैं..उन्हें पता था मेरी बेटी जो भी करेगी अच्छा करेगी..शाम हुई हॉल में लोगों की भीड़ बढ़ने लगी..पुलिस वालों का पहरा चारो तरफ था..सुधा मुस्कुराती हुई दुल्हन के लिवाज़ में अपनी सहेलियाँ के साथ अपने कमरे से निकल बाहर आती है..बेटी को देखकर भरत चौबे और रमा देवी की आंखें भर आईं..आज उनकी बेटी दुल्हन जो बनी थी..लेकिन दूल्हे को लेकर थोड़ी कन्फ्यूजन थी..फिर भी उन्हें यकीन था कि अपनी बेटी पर..जो होगा परफेक्ट होगा..! सुधा मंडप में आई.. पुलिस वाला आया और सैल्यूट करते हुए बोला.. "मैडम रुस्तम कहीं लापता हो गया है..उसका बाप भी घर पे नहीं है..ये रही उसकी फाइल..सुधा फाइल को अपने पिता को देते हुए बोली।" जो आपकी दुनिया बर्बाद करने की बात करेगा..मैं उसकी दुनिया उजाड़ दूंगी..ये उस पांडे की फ़ाइल है जिसने आपकी बेइज्जती की थी..अब उसकी इज्जत हम जेल में करेंगे..और मुखिया जी से हम बाद में निपटेंगे.. भरत चौबे बेटी के आत्मविश्वास पे उसके रुतबे पे..उसके ओहदे को देखकर उनका सीना गर्व से चौड़ा हो गया था.. तभी चार पुलिस वाले चंदन को पकड़ के सुधा के सामने लाके खड़ा करते हैं..सुधा चंदन को देख के बस मुस्कुरा रही थी..चंदन खामोश चारो तरफ देख के सुधा से बोला..'' ये क्या था सुधा..?बुला लेती तो आ जाता..मैं अपने आप पुलिस स्टेशन चला जाता..! सुधा थोड़ा करीब आकर बोली..''मुजरिम बुलाने से नहीं आते.. उन्हे गिरफ्तार करना पड़ता है..इसकी सजा जानते हो..? उमर कैद.. जहां तुम्हारे मेरे नखरे उठेंगे..मैं रूठू तो तुम्हें मनाना होगा..और पूरी जिंदगी मेरे साथ जीना होगा..हर दुख सुख में साथ देना होगा.. ये इस कलेक्टर साहिबा का हुकम है। अब खड़े खड़े क्या कर रहे हो जाओ ऊपर वाले कमरे में तुम्हारे लिए शेरवानी रखी है दूल्हा बनके आओ तुम्हारी दुल्हन के साथ साथ फेरे, सिन्दूर, मंगलसूत्र सब तुम्हारा इंतज़ार कर रहे हैं। चंदन के समझ नहीं आया कि अचानक येसा कैसे हो गया..उसका चेहरा खुशियों से लाल हो गया था..उसकी धड़कने छलांगे मार रही थी.. सुधा और करीब जाके बोली..प्यार हो गया तुमसे..बेपनाह..आई लव यू