YAADEIN

औरंगाबाद की एक मिडिल क्लास कॉलोनी में, 11 मंजिला बिल्डिंग के बी विंग 801 में रहती थी सलोनी, सलोनी की खूबसूरती उसकी सादगी में ही छुपी हुई थी। उसके चेहरे पर सदा हंसी और उसके अंदर की उम्मीदों की चमक, सब कुछ अद्भुत था। उसकी शेरो-शायरी की कला भी किसी जमाने में बेहद लोकप्रिय थी।
उस छोटे से अपार्टमेंट में ढेर सारी पुरानी किताबें और एल्बम्स थे, जो सलोनी को अपनी पुरानी भूली बिसरी यादें सजाने में मदद करते थे। वह नियमित रूप से शेरो-शायरी लिखती थी, जो उसके दिल की भावनाओं को उजागर करती थी।
अपने अपार्टमेंट में नितान्त अकेली सलोनी, एक कदम आगे और एक कदम पीछे बढ़ते हुए अपनी पुरानी यादों के साथ समय बिता रही थी। जब वह अपने एल्बम्स में देख रही थी, तभी उसे एक तस्वीर दिखाइ देती है जिसमें उसका कॉलेज का ग्रुप फोटो था।
चाय की प्याली को होठों से लगा कर, उसने उस फोटो को गौर से देखा। उस फोटो में सभी के चेहरे पे खुशियां झलक रही थीं, बेफिक्री भरी मुस्कान दिख रही थी चेहरों पे |और सबकी आंखों में वह चमक थी जो कॉलेज के दिनों की मस्ती और आज़ादी को दर्शाती थी। इस तस्वीर को देखते हुए सलोनी अनजाने ही मुस्कुराने लगी।
चाय की गरम खुशबू उसकी यादों को और भी मधुर बना रही थी। दिन भर के क्रिया कलापों में और यादों में डूबते उबरते हुए, शाम कब हो गई पता ही नहीं चला, सलोनी ने उस शाम अपनी पुरानी अलमारी को साफ करने का निश्चय किया। उसने सोचा कि समय बिताने के लिए यही सबसे अच्छा तरीका होगा। जब से बेटे मयंक का एडमिशन पुणे में हुआ है, सलोनी के पास करने के लिए जैसे कोई काम ही नहीं बचा। मुकेश तो महीने में बीस दिन वैसे ही टूर पर रहते थे।
सफ़ाई करते करते उसने देखा कि एल्बम के नीचे कुछ फाइलें पड़ी थीं तो जिज्ञासा मन मे लिए उसने उन फाइलों की तरफ हाथ बढ़ाया जो काफ़ी वक़्त से शायद खोली नहीं थी फाइलों में उसके कॉलेज के मार्कशीट्स और सर्टिफिकेट थे। उसे याद आया कि उसने कितनी मेहनत और लगन से अपनी पढ़ाई की थी। वह फाइलें पलटते-पलटते अचानक उसकी नज़र एक लिफाफे पर पड़ी। दिखने में वो लिफाफे काफी पुराना दिख रहा था ऐसा लग रहा था की उसे किसी ने लम्बे समय से छुआ न हो ।
सलोनी का दिल अचानक तेजी से धड़कने लगा। उसने लिफाफे को उठाया और उसे खोलने का निर्णय लिया। लिफाफे के अंदर एक रंगीन कागज का पत्र था। जैसे ही उसने पत्र को बाहर निकाला, उसके चेहरे पर हल्की सी झिझक और उत्सुकता की लहर दौड़ गई।
इस पत्र को खोलते ही उससे महसूस हो रहा था की आज पुरानी न जाने कितनी यादें ताज़ा होने वाली है। कॉलेज में बिताये हर एक पल उसकी ज़िन्दगी के सबसे खूबसूरत पल थे। वो भोपाल के एक जाने माने कॉलेज में पढ़ती थी, जहां उसकी मास्टर डिग्री की पढ़ाई चल रही थी। कॉलेज के वो दिन बहुत ही जीवंत और रोमांचक थे, जो आज भी उसकी यादों में बसे हुए हैं।
भोपाल का जाना माना कॉलेज हुआ करता था वो। वहां का परिसर ही इतना सुनदर था की बस देखते रहो, ऊँचे ऊँचे पेड़ों से घिरा, सुन्दर फूलों से भरा बगीचा। जब वो सुबह सुबह कॉलेज आती तो कॉलेज की हवा से रोमांच से भर जाती थी। क्लास के ब्रेक में वो अपने दोस्तों के साथ टाइम स्पेंड करती थी कभी गार्डन में अपनी शायरी सुनते हुए तो कभी कैंटीन में चाय समोसे के साथ जोक्स सुनते हुए, खूब मस्ती धमाल किया करती थी
सलोनी पढ़ाई में भी बहुत निपुण थी। वह क्लास में हमेशा आगे की बेंच पर बैठती और ध्यान से सभी लेक्चर्स सुनती थी। उसके प्रोफेसर भी उसकी मेहनत और लगन से प्रभावित थे। वह अपनी क्लास के टॉप स्टूडेंट्स में से एक थी और हमेशा अपने असाइनमेंट्स समय पर और पूरे मनोयोग से पूरे करती थी।
पर पढ़ाई के अलावा, सलोनी की जिंदगी में और भी कई रंग थे। वह कॉलेज की डांस टीम का हिस्सा थी और अक्सर कॉलेज के फेस्टिवल्स में भाग लेती थी। उसे खासकर ग्रुप डांस में बहुत मजा आता था। तैयारी के दौरान वह अपने दोस्तों के साथ देर रात तक रिहर्सल करती और उन पलों में हंसी-मजाक और मस्ती की कोई कमी नहीं होती थी।
मुकुल के साथ उसके कई यादगार पल भी कॉलेज के दिनों से जुड़े हुए थे। मुकुल कॉलेज का सीनियर था और बहुत ही करिश्माई व्यक्तित्व का मालिक था। सलोनी और मुकुल का परिचय डांस रिहर्सल के दौरान ही हुआ था। मुकुल का हंसमुख स्वभाव और मदद करने की आदत ने उसे सलोनी का अच्छा दोस्त बना दिया था। वह दिन सलोनी को आज भी याद है जब यूथ फेस्टिवल के लिए उनकी टीम को दूसरे शहर जाना था। वह सफर और तैयारी के दौरान मुकुल के साथ बिताए हुए पल उसकी सबसे प्यारी यादों में से एक हैं। वे दोनों डांस के मूव्स पर चर्चा करते, संगीत की धुनों पर मस्ती करते और कभी-कभी गंभीर बातें भी करते थे। मुकुल की बातें हमेशा सलोनी को प्रेरित करती थीं और उसने सलोनी को खुद पर भरोसा करना सिखाया था।
अगर बात करे की सलोनी को कॉलेज में कौन जगह सबसे ज़्यादा पसंद थी तो वो थी लाइब्रेरी। जहां वो घंटों बैठ कर किताबों के साथ समय बिताते थी। लाइब्रेरी में उसे एक अलग तरह का एहसास होता था किताबों की वो भीनी भीनी खुशबू में अलग ही सुकून था वो वहां घंटों किताबों के साथ अपना वक़्त बिताया करती थी। और अपने विचारों को संवारती थी।
कॉलेज के दोस्त भी सलोनी के जीवन का अहम हिस्सा थे। वे लोग साथ मिलकर पढ़ाई करते, मस्ती करते और जीवन के छोटे-छोटे पलों का आनंद लेते थे। किसी का जन्मदिन हो या कोई त्योहार, वे सभी मिलकर धूमधाम से मनाते थे।
सलोनी के लिए कॉलेज के वो दिन केवल पढ़ाई और मस्ती तक सीमित नहीं थे, बल्कि वहां उसने जीवन के कई महत्वपूर्ण सबक भी सीखे। अगर नैन नक्श की बात करें तो आज की सलोनी और उस वक्त की सलोनी में काफी अंतर आ गया था
कहां वो सलोनी थी जिसका चेहरा गोल था, उसकी चीकबोन्स उभरी हुई थीं, जो उसके चेहरे को एक परिपूर्णता देती थीं। उसकी नाक छोटी और नाजुक थी, जो उसके चेहरे की मासूमियत को और बढ़ाती थी। उसके होंठ गुलाबी और नाजुक थे, जिन पर हल्की सी मुस्कान हमेशा बनी रहती थी।
वह अक्सर हल्के रंग की साड़ियों या सलवार-कमीज़ पहनती थी, जो उसकी सरलता और पारंपरिकता को दर्शाते थे। उसके परिधान हमेशा साफ और सुथरे होते थे, जिससे उसकी व्यवस्थित और सजीवता का पता चलता था।
सलोनी की सादगी में ही उसकी सुंदरता बसती थी। उसने कभी ज्यादा आभूषण या मेकअप का सहारा नहीं लिया, लेकिन उसकी प्राकृतिक सुंदरता ही उसकी पहचान थी। उसके चलने का ढंग भी बहुत ही शालीन और शांत था, जैसे वह हर कदम बहुत सोच-समझकर रखती हो।
सलोनी की आंतरिक सुंदरता उसकी बाहरी सुंदरता से भी अधिक चमकदार थी। उसकी मुस्कान में एक अद्वितीय आकर्षण था, जो किसी को भी मंत्रमुग्ध कर सकता था। उसकी आंखों में एक गहराई थी, जो उसकी बुद्धिमत्ता और संवेदनशीलता को दर्शाती थी। उसका व्यक्तित्व ही उसकी सबसे बड़ी खूबसूरती थी, जो हर किसी को उसकी ओर आकर्षित कर लेता था।
उस पत्र को खोलकर पहला शब्द पढ़ने की कोशिश में सलोनी को एहसास याद आ जाता है कि कैसे सलोनी ने उस रात अपने मन की गहराइयों से निकले शब्दों को एक रंगीन कागज पर उकेरा था। उसने अपने दिल की बातें लिखते हुए किसी भी झिझक या संकोच को दरकिनार कर दिया था। यह पत्र उसके पहले प्यार की सच्ची अभिव्यक्ति थी। आइए जानें कि सलोनी ने उस पत्र में क्या लिखा था:
प्रिय मुकुल,
यह पत्र लिखते हुए मेरे दिल की धड़कनें तेज हो रही हैं। मुझे नहीं पता कि तुम इसे कभी पढ़ोगे या नहीं, लेकिन मैं अपने मन की बात कहने के लिए इसे लिख रही हूं। यह शायद मेरा तुम्हारे लिए पहला और आखिरी प्रेम पत्र है।
जबसे हम यूथ फेस्टिवल की तैयारी कर रहे हैं, मुझे तुम्हारे साथ समय बिताने का मौका मिला है। तुम्हारे साथ डांस करते हुए, हंसते-मुस्कुराते हुए, मैंने महसूस किया कि तुम मेरे लिए सिर्फ एक सीनियर नहीं, बल्कि कुछ और हो। तुमने हमेशा मुझे प्रोत्साहित किया, मेरे हर कदम पर मेरी मदद की, और यही बात मेरे दिल को छू गई।
मुकुल, मैं तुमसे प्यार करने लगी हूं। हां, शायद यह सुनने में अजीब लगे, लेकिन यही सच्चाई है। तुम्हारे साथ बिताए हर पल मेरे लिए अनमोल हैं। तुम्हारी हंसी, तुम्हारी बातें, तुम्हारा हर अंदाज मेरे दिल को बेहद प्यारा लगता है।
मुझे पता है कि मेरे घरवाले कभी भी हमारे रिश्ते को स्वीकार नहीं करेंगे। हमारे परिवारों के बीच की दीवारें बहुत ऊंची हैं। इसलिए मैं अपने दिल की बात तुमसे कहने की हिम्मत नहीं जुटा पाई। लेकिन यह पत्र लिखकर मैंने अपने मन का बोझ हल्का कर लिया है।
शायद तुम भी मेरे लिए कुछ महसूस करते हो, शायद नहीं। मैं यह जानने की कोशिश नहीं करूंगी। यह पत्र बस मेरी भावनाओं की अभिव्यक्ति है, जिसे मैं अपने दिल में दबाकर नहीं रख सकती थी।
तुम्हारे साथ बिताए हर पल को मैं हमेशा याद रखूंगी। तुम मेरे पहले प्यार हो और हमेशा रहोगे। मैं चाहती हूं कि तुम हमेशा खुश रहो, जहां भी रहो। प्यार और सम्मान के साथ सलोनी इस पत्र को लिखने के बाद सलोनी ने उसे सर्टिफिकेट वाली फाइल में छुपा दिया था, क्योंकि वह जानती थी कि इस प्यार का कोई भविष्य नहीं है। लेकिन उसने अपने मन की बात कह दी थी, जिससे उसे एक अजीब सा सुकून मिल गया था। यह पत्र उसकी यादों का एक अनमोल हिस्सा बन गया, जिसे उसने दिल की गहराइयों में संजोकर रखा। और फिर एक लंबी सांस ली। उसकी आंखों में आंसू थे, लेकिन वह आंसू दर्द के नहीं, बल्कि उन मीठी यादों के थे जो अब भी उसके दिल में बसी हुई थीं।
सलोनी ने पत्र को वापस लिफाफे में रखा और फाइल के साथ ही संभाल कर रख दिया। वह जानती थी कि यह पत्र उसके लिए एक अनमोल धरोहर है, जिसे वह कभी खोना नहीं चाहेगी। उस दिन उसने अपनी यादों को फिर से जी लिया और उन पलों को अपने दिल में हमेशा के लिए संजो लिया।
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