ADHURE SE POORE KHWAAB

*अधूरे से पूरे ख्वाब*
चौराहे के एक नुक्कड़ पर थोड़ी बहुत चहल पहल थी.. अचानक वहां अफरा तफरी मच गई भगदड़ में कई लोग घायल हो गए..
वहां से गुजर रही रेंज रोवर कार पर कई फायरिंग हुई.. फिर भी शीतल इंडस्ट्रीज की मालिक शीतल वर्मा बच गई..
शीतल वर्मा के दो बॉडी गार्ड जमीन पर गिरे ललुहान दर्द से चिल्ला रहे थे.. उनमें उठने की शक्ति नहीं थी वो बस असहाय सामने रेंज रोवर कार को देखे जा रहे थे.. कार ब्लडफ्रोफ थी जिसके करण शीतल वर्मा को कुछ नहीं हुआ.. हमलावारों की सारी गोलियां खत्म हो गई..अब हॉकी चाकू और कई हथियारों से शीतल पर दोबारा हमला हुआ...कार के दरवाजे को तोड़ने की कोशिश की गई..लोहे की छड़ी से शीश तोड़ दिए गए..घबराई हुई शीतल को लगा अब तो मारी जाऊंगी..उसने अपनी आंखें बंद की और भगवान को याद करने लगी थी..तभी एक 6 फीट का आदमी.सर पे टोपी..चेहरे पर रुमाल बांधा..अपनी पूरी ताक़त से उन हमलों से लड़ा..जैसे कोई साउथ का हीरो हो..जब कोई वॉर शीतल के तरफ आता वो उसे रोक लेता.. उसने अकेले ही सबको मार भगाया..जिससे शीतल की जान बच गई..
पुलिस मौके पर पहुंची तो सब शांत हो चुका था..एम्बुलेंस घायलों को लेके जा रही थी.. शीतल कार से उतर कर उस आदमी को खोज रही थी..जिसने उसकी जान बचाई थी..लेकिन वो कहीं नहीं दिखा..दूसरी गाड़ी आई.. शीतल चली गई..अपने महल नुमा घर पे..जहां नौकरों की भरमार थी..डॉक्टरों की तो लाइन लग गई थी..लेकिन शीतल को एक छोटी सी चोट आई थी..दर्द तो हो रहा था..लेकिन उसका ध्यान उस आदमी पर था..जिसने अपनी जान की परवाह नहीं की..मार खाता रहा..और मारता रहा..वो जब तक लड़ा तब तक हमलावर भाग नहीं गए..और थोड़ी देर बाद वो खुद गायब हो गया..आखिर कौन था वो?..यही सवालों में शीतल उलझी हुई थी..
उसने सारे कर्मचारी से कहा..वो जहां भी हो..उसे ढूंढ़ो..नहीं मिलें तो कमिश्नर से बात करो..मिलें तो उसे 1 करोड़ का इनाम और 1 बंगला गिफ्ट करो..और उसे कहना हम उससे मिलना चाहते हैं..
सारे कर्मचारी ऑर्डर को फॉलो करते हुए उसे 2 दिन मे खोज लेते हैं..!
बारिश का मौसम था..बादल पूरे जोश में मोटी मोटी बूंदों से ज़मीन को एक अलग ही धुन में तबदिल कर दिया था..जैसे कहीं पॉपकॉर्न फुट रहे हो..उसी बारिश में भीगते हुए..पराग अपने घर के तरफ बाइक से चला आ रहा था..उसने देखा की उसके घर के सामने कई गाड़िया खड़ी थी और लोग छतरी लिए खड़े थे..पराग..गेट के सामने बाइक खड़ी करते हुए उन्हें देखते हुए पुछा.."जी आप लोग कौन..?
एक बंदा पराग के करीब आके सामने खड़े बंदे को इशारा किया तो उसने एक बैग..पराग को थमाने लगा..पराग ने अंजमंजस से पूछा..ये क्या है..?
बंदे ने मुस्कुराते हुए बोला..ये 25 लाख कैश है..बाकी 75 लाख शाम तक तुम्हारे अकाउंट में आ जाएंगे..और ये रही गाड़ी की चाबी..आज से तुम्हारी है..
पराग सकपका सा गया था..उसने फिर पूछा.." लेकिन क्यों..आप लोग हैं कौन..?
तभी गाड़ी से उतरकर शीतल का मैनेजर डीसूजा पराग के पास आकर बोला..हम शीतल इंडस्ट्रीज के कर्मचारी हैं..और मैं हूं शीतल मैडम का मैनेजर....
पराग मुस्कुराते हुए डीसूजा से बोला.."तुम्हें तो जनता हूं.मिस्टर डिसूजा..और ये भी समझ गया.. यहां क्यों आए हो..अपनी मैडम शीतल वर्मा से कहना..
अपनी जान की कीमत वहा लगाना..जहां खुद्दारी ना हो..और मेरे पास इसके अलावा कुछ नहीं है..तुम्हारी ये कार की चाबी मेरे बाइक की चाबी से बहुत छोटी है..और अपनी मैडम से ये भी कहना'' अगर पूरी दौलत भी मुझे देदे.फिर भी मैं लात मार दूंगा..
शीतल की जगह कोई भी होता फिर भी मैं मदद करता..
मैं बस शीतल जैसी इंसान से डरता हूं..उस भगवान से डरता हूं..बस मौत से डर नहीं लगता..आप लोग जा सकते हैं..!
बारिश थम चुकी थी.. डिसूजा अपने साथियों के साथ वहां से चला जाता है..पराग कुछ देर उन्हें देखता रहा..फिर अपने घर के अंदर चला जाता है.उसे कार में बैठी शीतल की चिंखें याद आ रही थी..डर से उसका कपकपाना..उसके माथे पे चोट के निशान..जिससे खून निकल रहा था..
उसने खुद का ध्यान भटकाया और किचन में जाके कॉफी बनाई..और चुस्की लेते हुए ऐसे बैठा..जैसे सब कुछ भूल गया हो..
बड़ी सी शानदार ऑफिस में बैठी शीतल.. मैनेजर डिसोज़ा की बाते सुनकर अचंभित हो जाती है..वो सोचने लगी..'' क्या कमाल का बंदा है..उसने करोडो ठुकरा दिया..अगर उसे पूरी दौलत भी दे दूं फिर भी ठुकरा देगा..और मुझ जैसे इंसान से डरता क्यों है..? कौन है वो।उससे मिलना पड़ेगा.. शीतल ने मैनेजर से बोला..'डिसोज़ा कल हमें उसके घर ले चलो..उसकी खुद्दारी को सलाम करना है..और उसके डर का कारण पूछना है..
कहां रहता है वो..नाम क्या है उसका..?
डिसोज़ा ने धीरे से जवाब दिया..'' सॉरी मैडम नाम नहीं पूछ पाए..उसने मौका ही नहीं दिया...
यहां से 16 किमी दूर एक टाउन है..सिलमपुर वही एक छोटे से मकान में रहता है..हमें कल सुबह में ही निकलना पड़ेगा..शायद वो कहीं नौकरी करता है..
शीतल ने ऑर्डर दिया.. ठीक है..कल की सारी मीटिंग कैंसिल कर दो और सुरक्षा टाइट कर दो.. कमिश्नर को सूचित कर दो..अबकी बार कोई हमला ना हो..इसका महत्वपूर्ण ध्यान देना
सुबह के 8 बजे होंगे..पराग अपनी छत पर कसरत कर रहा था..पसीने से लतपथ पारस की सांसे तेजी से चल रही थी..उसकी नजर अपने घर के गेट पर पड़ी जहां कई गाडि़यों का जमावड़ा लग गया था..चारो तरफ पुलिस और बॉडीगार्ड का पहरा था..एक चमचमाती हुई कार से शीतल बहार आती है..पारस वही छत से उसे देख रहा था...वो सन्न रह गया..उसकी पलकें झपकना भूल गई..वो छत के एक कोने पे आके खड़ा हो गया..
अपना चश्मा उतार के जैसे ही शीतल गेट के अंदर दाखिल हुई..उसकी नजर पराग पर पड़ी..उसके कदम ठहर गए थे..उसके होठ अपने आप खुल गए..उसकी आंखों में पुरानी यादें उभर आईं..और धीरे-धीरे पलकें भीग गईं..उसके मुंह से एक शब्द निकला..'' पराग..
कुछ पल के लिए पराग भी शीतल को उसी नजरों दे देखने लगा जैसे वो पहले देखता था..तब उसे याद आया..ये वही शीतल है..जिसने मेरे अरमानों को दफ़न कर दिया था..उसके चेहरे के भाव बदल गए..उसने खुद को रिलैक्स किआ और छत से नीचे आया..
शीतल वहीं खड़ी थी..सब लोग हैरान थे .मैनेजर को कुछ समझ नहीं आ रहा था..आखिर madam की आंखें नम क्यों हो गई..कौन है पराग..?
पराग घर से बहार आया और मुस्कुराके शीतल से कहा.. success लोग failure के घर नहीं आते..ms शीतल..
शीतल बिना जवाब दिए बस पराग को देखती रही..उसकी आंखों में थोड़ी चमक तो थोड़ी उदासी थी..उसने 8 साल बाद पराग को देखा था..आज उसके सामने एक हट्टा कट्टा बॉडीबिल्डर नौजवान खड़ा था..जैसे कोई पहलवान हो..वो पूरा हीरो लग रहा था..पूरा बदल चूका था पराग..
शीतल ने पराग से पूछा..” तुम थे कहाँ ..?
मैं तो आज भी वहीं हूं..जहां तुमने छोड़ा था..पराग के शब्दों में शिकायत थी..
इतना सुनते ही शीतल ने..पराग को धीरे से थप्पड़ मारती है..''मैंने तुम्हें छोड़ा..? मैंने तुम्हें कभी नहीं छोड़ा..और कभी छोड़ भी नही सकती हूं..अरे छोड़ा तो तुमने मुझे..वो भी कहीं का नहीं छोड़ा..8 साल से तुम्हें खोज रही हूं..
शीतल की बातों से पराग उलझ जाता है..की शीतल उल्टा मुझे क्यों गलत ठहरा रही है..पराग ने चारो तरफ देखा और शीतल का हाथ पकड़ के बारामदे मे ले गया कुर्सी पे बैठने को कहा..शीतल चुपचाप बैठ जाती है..और पराग को निहारने लगती है..
पराग वहीं बगल में खड़े होकर शीतल से सवाल करता है.." क्यों खोज रही थी मुझे..जिंदा हूं ये देखने लिए..?
तुम्हारे सामने गिडगिडाया था मैं..चीखा चिल्लाया था मैं...प्यार की भीख तक मांगी थी तुमसे..
लेकिन तुमने मुझे वहीं रोता हुआ छोड़ कर चली गई थी...और तुम कह रही हो कि मैंने तुम्हें कहीं का नहीं छोड़ा.. शीतल बस रोये जा रही थी..और एक टक पराग के चेहरे को देख रही थी..पराग की शिकायतें शीतल को गिल्ट कर रही थी..
पराग ने फिर शिकायत की..''तुमने क्या कहा था मुझे..याद है ना..?
मैं एक अच्छा प्रेमी हो सकता हूं..लेकिन एक अच्छा हमसफ़र..एक जीवनसाथी नहीं बन सकता..क्योंकि मैं तुम्हारी नज़र में असफल था..नाकारा था..
कितना कुछ सुनाया था तुमने..याद है मुझे..तुम्हारी वो सारी कटीली बातें जो आज तक मेरे सीने में चुभती है...
शीतल ने अपने दुपट्टे से अपने आंसुओं को पोछा और फिर पराग को देखने लगी..
थोड़ी देर पराग चुप रहा और शीतल से फिर बोला.."देखो मैं वही पराग हूं..जिससे तुम अपने जीवन का चिराग कहती थी..और उसी चिराग को तुमने ही फूंका है ...और तुम्हारी जिंदगी से मैं बुझ गया..!
मैं तो तुम्हारी सूरत भी नहीं देखना चाहता था.. इसलिए सब कुछ छोड़ कर शहर चला आया था.. लेकिन कुछ दिन बाद पता चला शीतल इंडस्ट्रीज के मालिक तुम्ही हो.. दोबारा तुमसे कहीं टकरा ना जाऊं.. इसलिए ये शहर छोड़ना चाहा..लेकिन मेरे academy के बच्चों के प्यार ने मुझे रोक लिया..मैंने भी सोचा बच्चे सही कह रहे हैं..इतनी मेहनत से मैंने जूडो कराटे की academy को यहां तक लाया हूं..छोड़ के गया तो सब फिर से विखर जयेगा..
उस दिन तुम पर हमला मेरे academy के सामने ही हुआ था..मैंने वही से तुम्हें देखा था.. कई वर्सो बाद वो भी ऐसी हालत में.. तुमसे लाख नफ़रत करू..लेकिन दिल से दुआ हमेशा निकली है कि तुम जहां भी रहो खुश रहो..उसी खुशी के खातिर उस दिन मैं सबसे भिड़ गया था. लेकिन तुमने क्या भेजा मुझे.. इनाम देने के लिए..अरे ज़हर भेज देती तो भी पी लेता..लेकिन तुमने तो फिर से तक़लीफ़ दे दी मुझे..!
शीतल को चक्कर सा महसूस हुआ...उसकी आंखें बंद होने लगीं..जिसे देखकर पराग घबरा गया..उसने शीतल को थाम लिया..और आवाज दी..'' शीतल
कुछ छन बाद शीतल ने आंख खोला और पारस से कहा।" काश ऐसे ही पहले भी थाम लिया होता..ये कोई नई बात नहीं..जब भी तुम्हारे बारे में सोचती हूं. ऐसा ही होता है..सोचो आज तो तुम सामने हो..!
शीतल के आवाज में अनकहा दर्द था..
पारस ने झट से बोला..''मैंने तो तुम्हें हमेशा थामना चाहा..
शीतल..पारस की बात काटते हुई बोली..अब बस..बोल चुके तुम..अब मैं बोलूंगी तुम सुनोगे.'' मैं अपने बेटे की कसम खाके कहती हूं..मुझे नहीं पता था कि मेरी जान तुमने बचाई थी..पता होता तो मैं खुद दौड़ते हुए तुम्हारे पास आती..
तुमने अभी जो भी कहा सब सच है..लेकिन उसके बाद का सच सिर्फ मैं जानती हूं..ऐसा सच जिसके लिए मैं रोज रोती रही..मेरे पिता ने मेरी शादी..अपने बिजनेस मैन दोस्त के बेटे नकुल वर्मा से तय कर दी थी..नकुल ने मुझे देखते ही पसंद कर लिया था..मैं भी उसकी शानो शौकत और दौलत को देखकर थोड़ी देर के लिए बहक गई थी..
मैंने तुमसे छुपाया था..तुमसे कहने की हिम्मत नहीं हो रही थी..कि मेरी शादी तय हो चुकी है..मन उलझन में था..तुम्हें चुनूं या नकुल को...?
जिस दिन तुमसे आखिरी बार मिली थी..उसके एक दिन बाद मेरी शादी थी..तुम मुझसे दूर हो जाओ..इसलिए तुम्हें failure नाकारा कह दिया था.. तुम्हें छोड़कर घर तो गई मैं..लेकिन तुम्हारी यादों ने..तुम्हारे प्यार ने मेरा पीछा नहीं छोड़ा..रात भर रोई..मुझे महसूस हुआ कि मैं तुम्हारे बिना नहीं रह पाउंगी और ये फैसला किया कि मैं तुम्हारे साथ भाग जाऊंगी..मैंने तुम्हें तुरंत कॉल किया था..लेकिन तुम्हारा नंबर बार बार स्विच ऑफ आ रहा था..कम से कम 100 बार कॉल किया होगा मैंने..उसी रात को मैंने अपना बैग उठाया और तुम्हारे घर गई थी..तुम्हारी मां से पूछा तुम्हारे बारे में..उन्होने कुछ नहीं बताया.. तुम्हारी बहन ने मुझे बहुत सुनाया कि तुम्हारी वजह से भैया ने आज बहुत रोया है.. भैया ने दीवार में अपना सर तक फोड़ लिया था..अपना फोन भी तोड़ दिया..पगलो जैसा व्यवहार कर रहे थे..अचानक उठे और कहीं चले गए है..
मैं रोती हुई घर वापस आ गई कि कल सुबह तुम आ जाओगे तो सॉरी बोलकर पूरी जिंदगी तुम्हारे साथ रह लूंगी..लेकिन शाम से सुबह हो गई तुम नहीं आए.तुम्हारे सारे दोस्तो से पूछा..कई बार तुम्हारे घर गई.तुम्हारी बहन के हाथ पांव पकड़े फिर भी उसने कुछ नहीं बताया..
मैं बेबस होकर घर आई..और शाम को मेरे घर बारात आई..मैं चुपचप सारी रस्में निभाती गई..सिंदूर..मंगलसूत्र पड़ते ही मैं बेहोश हो गई..बहुत कोशिश के बाद भी मैं होश में नहीं आई.. डॉक्टर आया और बोला.."ये प्रेग्नेंट है.. सुनते ही सामने खड़े मेरे पिता के होश उड़ गए...
अपनी पगड़ी नीचे रख दिया था उन्होने...मां को मुहल्ले की औरतें के तानो ने जीना मुहाल कर दिया था..भाई ने तो उसी वक्त मुझसे सारे रिश्ते ख़तम कर दिये थे..!
बारात वापस चली गई..मुझे होश आया तो पता चला की मैं तुम्हारे बच्चे की माँ बनने वाली हूँ..
पराग सकपका गया..लगा जैसे बिजली का करंट लग गया हो..उसकी खुशियाँ अपने आप जाहिर हो गई थी..उसने पूछा.." मेरा बेटा.."
शीतल की डबडबाई आंखें मुस्कुरा गई..उसने बड़े ही प्यार से कहा..हां पराग हमारा बेटा..9 महीने मैंने एक बंद कमरे में बिताया था.. तुम्हारी यादों के सहारे..फिर भी तुम नहीं आये..बीच में पापा की भी तबीयत खराब हुई..और वो चले गए। आखिरी वक्त में उनको मुझपर दया आई. उन्होने सारी जायदाद में से आधा हिस्सा मेरे नाम कर दिया..और मैं उन्ही पैसे से इतना बड़ा बिजनेस किया खड़ा किया है..लेकिन सब मिट्टी लगता है तुम्हारे बिना..बहुत रिश्ते आए..लेकिन मन किसी का नहीं हुआ..तुम्हें नहीं जाना चाहिए था मुझे छोड़के..तुम्हारा गुस्सा तो हमेशा नाक पे रहता है..काश तुम नहीं जाते..!
पराग को रहा नहीं गया उसने शीतल को कसके पकड़ लिया..और रोते हुए बोला..'' sorry.."
शीतल भी पराग से लिपट कर कहा..'' मुझे भी माफ़ कर देना...चिराग नाम रखा है तुम्हारे बेटे का.. फिर खुद को अलग करते हुए पूछा.. तुम बताओ.. तुम्हारी पत्नी और बच्चे कैसे है कहाँ हैं..?
पराग ने जवाब दिया.. "बेटा तो तुम्हारे पास है रही बात पत्नी की तुम्हारी तरह मेरा भी मन किसी के लिए नहीं माना..
तुम्हारे प्यार का पहरा हमेशा रोक लेता है..
सुनकर शीतल को मानो पूरी दुनिया मिल गई..उसने तूरंत पूछा..'' फिर आगे साथ निभाना है या छोड़ दोगे फिर से..?
पराग..शीतल को करीब खीचकर उसके माथे को चूम लिया..और आत्मविश्वास से बोला..'' सुनो..चिराग की मम्मी..मुझसे शादी करोगी..दोनों फिर से लिपट गए..
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