हमसफर की खुशबू

मै अपने ऑफिस में बैठकर फाइलों को निपटाने में व्यस्त थी कि संजना का फोन आया।
" हां बोल नटखट जादूगरनी"
"सुन किसी भी हालत में boss से छुट्टी लेकर शिव जी के मंदिर पर मिल एक जोरदार सरप्राइज देने वाली हूं तुझे!
इसके पहले कि मैं कुछ पूछूं।वह विनती भरे लहजे में बोली- "देख सिमरन हर हालत में तुझे आना ही होगा। वरना दोस्ती गई चूल्हे में।"
अब उसकी दोस्ती की दुहाई थी इसलिए मैंने हामी भर दी। अब मेरे दिमागी घोड़े आपस में बात करने लगे। यह हमेशा ऊटपटांग हरकतें करती रहती है। पता नहीं आज क्या करेगी। ऑफिस छुटते ही मैं काशीघाट की ओर बढ़ गई। बस स्टॉप पर लंबी-लंबी कतारे देखकर वहां रुकने का इरादा बदल दिया। ओला बाइक करके शिव मंदिर चलने के लिये ड्राइवर को कहा। शाम के साढ़े तीन बजने वाले थे।अच्छा हुआ आज बॉस नहीं आया था।मैनेजर से विनती करने पर उसने छुट्टी दे दी!
बनारस की सड़क कभी खाली नहीं होती।गाड़ियों का जमावड़ा। एक्सीलेटर का कान फाडू शोर।पेट्रोल का बदबूदार धुआँ । हर कोई मौका पाते ही अपनी गाड़ी आगे बढ़ाने की धून में था।
आखिरकार किसी तरह मै मंदिर के गेट तक पहुंची गई। ड्राइवर को उसका भाड़ा थमाया और मैं मंदिर के में गेट की ओर बढ़ने लगी। अचानक मुझे एक बेंच पर बैठी हुई दीपा भाभी दिखी। मुझे देखते ही उनके चेहरे पे मुस्कुराहट आ गई। उन्होंने मुझे प्यार से गले लगाया। उनका चार साल का बेटा सुधांशु वहां पर फूलों से लगी लड़ियों से खेल रहा था। मेरी नज़र वहां की हलचल। वहां के माहौल पर पड़ी। मेरी दो सहेलियां भी वहां मौजूद थी । मुझे लगा शायद दर्शन करने आई होंगी। फिर मुझे शक हुआ। यह इतना सज धज कर क्यों आईं हैं ?मैं अंदर ही अंदर उलझ गई। इसी दरमियान किसी ने कंधे पर हाथ रखा। देखा तो राजन मुस्कुराता हुआ चूड़ीदार पजामा पहना दो-तीन दोस्तों के साथ प्रकट हुआ। मेरे चेहरे के चढ़ते उतरते भाव को पढ़ते हुए बोला- बधाई नहीं दोगी मुझे?
मैंने एक नजर भाभी को देखा और एक नज़र राजन को।
राजन बड़े उत्साह से कहता है।
सिमरन मेरी जान मैं शादी कर रहा हूं।
राजन की बात सुनकर मेरे चेहरे पर हल्की सी मुस्कान आ गई और लड़खड़ाते लफ्जों से मैंने पूछा- मुबारक हो लेकिन किससे ?
मेरे सवाल का उत्तर आने से पहले ही मुझे संजना दिख गई। जो दुल्हन की लिबास में सजी हुई मुस्कुराते हुए मेरी तरफ चली आ रही थी। मैं उसे देखते ही रह गई। आते ही मुझे जोर से जकड़ कर गले लगा कर- कैसा लगा मेरा सरप्राइज ? मेरे हैरत भरे शब्द थे " कैसे हुआ यह सब.. और कब"
तभी सारे लोग इकट्ठा हो गए।एक सहेली पारो ने कहा " अरे सिमरन इसने किसी को नहीं बताया इसने सबको सरप्राइज दिया है।
संजना राजन का हाथ पकड़ के बड़े ही नटखट अंदाज में बोली" अरे भाई बता देती तो सरप्राइज कैसा।
मैं हंस पड़ी। "यार थोड़ा तो हिंट देना चाहिए ना मुझे..मैं भी थोड़ा अच्छे कपड़े पहन कर आती.. थोड़ा सज धज के आती।
मैं ऑफिस के ही कपड़ों में आ गई । क्या सरप्राइज दिया तुम दोनों ने"
तभी अचानक वहां हलचल तेज हो गई। मैंने देखा आदित्य को। सारे लोग उसके तरफ भागे। मेरे चेहरे की रंगत बदल गई। मैं एक टक उसे देखने लगी। यह वही आदित्य था जिसका रिश्ता मेरे लिए आया था और मैंने मना कर दिया था। ऐसा नहीं कि आदित्य मुझे पसंद नहीं था। मुझे शादी ही नहीं करनी थी।
आज आदित्य कुछ अलग-लग रहा था..एकदम हीरो जैसा ।मेरी सहेलिया उसके आगे पीछे मंडराने लगी।और हंस हंस के उससे बातें करने लगी।बात करते-करते आदित्य की नज़र मुझ पर पड़ी और वह चुप हो गया। मैं अपनी नज़रों को चुराने लगी। चोर नज़र से देखा तो वह मुझे ही देखे जा रहा था । एक सहेली ने मुझे आवाज़ लगाई।ना चाहते हुए भी मुझे उसके पास जाना पड़ा। मैं अपनी नकली मुस्कान लिए नज़रें झुकाए आदित्य के सामने खड़ी थी।
मैं उससे क्या कहूं। क्या बोलूं, क्या बात करूं, जिसको मैंने रिजेक्ट कर दिया था।
तभी संजना तेज कदमों से हमारे पास आयी और बोली" अरे भाई तुम लोग बातें ही करोगे। चलो शादी की तैयारी शुरू हो गई है। पंडित जी आ चूके हैं !
सभी लोग संजना के पीछे-पीछे जाने लगे। तभी मेरी नज़र दीपा भाभी पर पड़ी ।वह वही बेंच पर बैठी मुस्कुरा रही थी। मैं संजना को रोक कर पूछा "यार संजना भाभी वहां क्यों बैठी हैं? उन्हें भी अंदर बुलाओ।
संजना एक नजर भाभी को देखा और मुझसे कहा।" यार मैं बोल बोल कर थक गई ।वो नहीं आ रहीं हैं।उनका कहना है कि मैं वहां जाकर अशुभ नहीं करना चाहती । मैं इस सफेद साड़ी में आऊंगी तो सब की नजरे मुझ पर ही होगी ।मैं नहीं आ सकती।
तू ही बता मैं क्या करूं?
मैं बड़े उत्साह से कहा संजना तू चल मैं भाभी से बात करती हूं! मैं सीधा भाभी के पास गई।
"क्या हुआ भाभी आप अंदर क्यों नहीं आ रही?
भाभी की आंखें भीगी हुई थी मुझे देखा तो आंसू की धारा बह गई। मैंने उनका हाथ पकड़ा और उनके पास बैठ गई।
उनके शब्दों में उदासी थी। उन्होंने कहा।
"सिमरन हमारे खानदान की परंपरा है।कोई भी विधवा औरत शुभ कार्य में नहीं जाती। बड़ी मुश्किल से तो शादी के लिए संजना राजी हुई है। और मैं नहीं चाहती कि मेरी वजह से उसे नुकसान उठाना पड़े। मुझसे सिर्फ 1 साल छोटी है संजना।मैं 35 की हूं और वो 34 की। मेरी मानो तो तुम भी शादी कर लो तुम्हारी भी उम्र हो गई है। आदित्य अच्छा लड़का है एक बार सोच लेना।
अचानक मेरे मन में एक हलचल सी हुई मैं हडबड़ा कर "भाभी यह सब बाद में देख लेंगे ।अभी आप अंदर चलो! आपकी ननद की शादी है।आपको वहां होना चाहिए ।यह सब पुरानी परंपरा है।
भाभी ने विनती भरे भाव में कहा"
नहीं सिमरन खानदान की परंपरा है तो निभानी पड़ेगी।तुम जाओ सुधांशु को भी साथ ले लो। छोटा सा सुधांशु अपनी दुनिया में मस्त था मंदिर के टाइल्स पर दो कंचों के साथ खेल रहा था।
मैं उदास होकर सुधांशु का हाथ पकड़ कर शादी के मंडप तक गई। पंडित जी के मंत्र उच्चारण की आवाज सुनाई दे रही थी। राजन के दोस्त पंडित को जल्दी निपटाने के लिए कह रहे थे। पंडित जी के निर्देश पर वर वधू ने एक दूसरे के गले में मलाएं डाली और तालियां बजीं। बैंड बाजा तो था ही नहीं।बॉलीवुड की फिल्मों की शहनाई की धुन ने वहां के माहौल को और भी खुशनुमा बना दिया। मैं कभी तालियां बजा रही थी।तो कभी संजना और राजन को देख रही थी।और बीच-बीच में मेरी नज़रें अपने आप आदित्य पर पड़ जाती थी।
अचानक आदित्य गायब हो गया मेरी नज़रें उसे ढूंढने लगी ।और मैं बेचैन हो गई ।अचानक मुझे शक हुआ मेरे पीछे कोई खड़ा है। मुड़ कर देखा तो आदित्य था। मैं शर्मा गई। मेरी नज़रें अपने आप झुक गई।आदित्य समझ चुका था कि सिमरन मुझे ही ढूंढ रही थी।
शादी संपन्न हुई और दो कारों का काफिला मंदिर से रवाना हुआ। सब लोग एक दूसरे से मिलकर अपने-अपने घर को चल पड़े। आदित्य भी कहीं दिखाई नहीं दे रहा था। मुझे लगा शायद वह भी चला गया होगा।मैं बाहर आई तो देखा दीपा भाभी वही बेंच पर बैठी थी। मैं उनके पास गई भाभी ने थोड़ा मजाकिया शब्दों में कहा आदित्य से कुछ बात हुई। अभी देखा मैंने गेट से बाहर गया काफी खुश लग रहा था।
भाभी की बात सुनकर मैं बस हल्का सा मुस्कुरा बैठी।
देखो सिमरन एक औरत तभी पूरी तरह मुकम्मल होती है। जब उसकी मांग भरी जाती है।जब वह सात फेरे लेती है जब वो मां बनती है।
एक शादीशुदा स्त्री जो आपको आकर्षक और सुंदर लगती हैं उसकी सुंदरता भले ही जन्मजात हो लेकिन उस सुंदरता को बरकरार रखने में एक पुरूष पति का प्रेम और समर्पण होता है...
उन औरतों का चेहरा गौर से देखना और उनसे पूछना।जिनकी शादी सफल नहीं हुई या पति जल्दी चले गए.. तब समझ में आएगा। एक स्त्री के जीवन में पुरूष के क्या मायने हैं!
शारीरिक रूप से स्त्री एक से अधिक पुरुषों की प्रेमिका हो सकती हैं! लेकिन उसे सर का ताज, गृह लक्ष्मी अपना मानकर हर कोई नहीं बना सकता है। उसे मानसिक रूप से हर पुरूष नही संभाल सकता है! भले वो परिवार की धुरी हो।पर उसे भी एक समतल स्थान चाहिए आजाद होकर घूमने के लिए!
पता है आज जब मैं आ रही थी। मैंने सारे लड़कों की नज़रें पढ़ी। किसी की नज़र मेरे स्तन पर थी। किसी की नज़र पीछे। तो किसी की आगे। सिमरन तुम भी जिंदगी के उस मोड़ पर हो। इस मोड़ पर तुम्हारी उम्र की लड़कियां मां बन चुकी है।
जब एक विवाहिता की उम्र देख कर नहीं लगता कि वह शादीशुदा है या बच्चों की मां है तो उसमें सबसे बड़ा योगदान उस पुरूष का होता है। जो किसी की घर की राजकुमारी को अपने घर की रानी बनाकर रखता है.।
भाभी की बातें मेरे दिल में उतर रही थी। और रह-रह कर आदित्य का चेहरा मेरे सामने आ रहा था ।मैं बीच-बीच में कहीं खो जाती थी ।और अचानक भाभी की बातों पर ध्यान दे देती थी।
कुछ सेकंड चुप होने के बाद भाभी ने अपनी बात जारी रखी।
"जब तक हमारा शरीर जवान रहता है। तब तक हमारे लिए दुनिया बहुत ही खूबसूरत दिखती है ।सब कुछ अपना सा लगता है। लेकिन जब उम्र ढलने लगती है। उस वक्त पर पता चलता है कि खासकर लड़कियों के लिए की असली जिंदगी क्या है।
जवानी के अवस्था में लड़का या लड़की का अधिकतर आकर्षण तो चेहरे रंग और शरीर पर ही रहता है! भीतर दोनों के मन में एक दूसरे के शरीर के विशेष अंगों पर ही ध्यान केंद्रित रहता है!
औरत की योनि और स्तन उनके शरीर का ऐसा भाग है जिसके लिए मर्द कुछ भी करने को तैयार होते हैं।यहां तक कि जो काम उन्होंने जिंदगी में कभी नहीं किया वो काम इसकी चाहत में कर गुजरते हैं! यह लगाव स्त्री के लिए है या उनके शरीर के लिए! या उनके निजी अंगो से लगाव है! मगर कोई स्त्री किसी पुरुष को अपने निजी अंगो तक पहुंचने दे रही है तो बेशक वह पुरुष उसके जीवन में कुछ खास स्थान रखता है! संबंध एक ऐसी क्रिया है जिसमें दो अलग लिंग पुरुष और महिला आपस में शरीरिक संबंध बनाते हैं। जिसे हम सम्भोग कहते है!
महिला एक संभोग के बाद तुरंत दूसरे के लिए तैयार हो सकती है क्योंकि उसे इसके लिए उसकी किसी इंद्री में तनाव की आवश्यकता नहीं होती! योनि के भीतर मर्द की विशेष इंद्री को ग्रहण करना होता। जबकि मर्द की विशेष इंद्री में तनाव हो तो ही वह सम्भोग कर सकता है! इसीलिए पुरुष को दो संभोगों के बीच एक अंतराल की आवश्यकता पड़ती है। पहली बार के बाद ही वह झटके से अलग हो जाता है यह उसकी मर्जी है।
औरतों की मिजाज बिल्कुल अलग होता है। वह संभोग के तुरंत बाद मर्द के मुह से ऐसे शब्द सुनना चाहती है, जो उसे गुदगुदा दें, उसे संतुष्ट करें। वह यह नहीं समझती कि मर्द प्रेम के तुरंत बाद फिर से प्रेम नहीं कर सकता। पुरुष प्रेम की लालसा को युद्ध की तरह रखता है। मर्द की मूल इच्छा शिकारी की तरह होती है।
सभ्य समाज में उसकी इस इच्छा को ज़रूर सुंदर लिबास में ढक दिया गया है। जिससे इसका वजूद बना रहता है।
"आम पुरुष तो इतनी गहराई से प्रेम कर ही नहीं सकता है! वह अक्सर संभोग को महज कुछ मिनटों का खेल समझता है जिससे उसे असली संतुष्टि नहीं मिलती। इस असंतोष के चलते वह बैचैन रहता है और साथी बदलने की तरफ झुकता और सामाजिक बंधन कमजोर होते हैं!
बार-बार साथी बदलने से न तो परिस्थितियाँ बदलती हैं। और न ही उसकी मानसिक स्थिति। मर्द तब तक प्रेम में सफल नहीं हो सकता जब तक वह अपनी जंगली झूकाव को बाहर निकालने का रास्ता नहीं ढूंढता।
इन्हीं कारणों से समाज में विवाह की परम्परा बनी और परिवार का गठन हुआ! दोनों के गठबंधन से मन में ख्याल आता की अब तो वो सब मिलेगा जो हर लड़के या लड़की को चाहिए!
आकर्षण जो सिर्फ़ जिस्मानी होता है। दिखने में सुंदर सुडौल शरीर हो दोनों ही विवाह से पहले ये सब देखते हैं!
विवाह के बाद प्यार या लगाव एक दूसरे को हो जाता है। समझ नही पाते की यह आपस का प्रेम है या शरीर से लगाव है!
जब कभी भी स्त्री रात को कुछ करने से मना करती तो पुरुष का मन उदास हो जाता और कई दिन तक बात भी नही होती! जब दोनों के बीच संबंध होता है। तो पल भर में सब ठीक हो जाता है।कुछ समय बाद जब स्त्री गर्भवती होती है। तो बच्चे की डिलीवरी में दर्द की वजह से स्त्री की पल्स गिरने से होश खोने लगती है! डॉक्टर तब पति को भीतर बुला लेते हैं तो सामने पत्नी नग्न अवस्था में पड़ी हुई। उसकी योनि खुली होती है। जिसे देख कर कुछ भी हलचल नहीं होती। पर चिंता होने लगती है। यह वही जगह होती है जहां जिसकी चाहत हर रात होती है। मगर उस समय बच्चा बाहर आता है। तो तुरंत उसके सीने के कपड़े को हटाया तो उसके स्तन दिखते हैं।और उसी स्तन पर बच्चे को लेकर साफ कपड़े से ढक दिया जाता है! दोनों शरीर के वही अंग हैं जिसके लिए पुरुष सब कुछ करने को तैयार होता है उसे पाने की चाहत रखता है!
तब पुरुष को अहसास होने लगता है। कि उस का जन्म भी उसी स्थान से होता है ! और जन्म के तुरंत बाद उसी छाती से गर्मी दी जाती है ! समझदार
पुरुष ये सब देखने के बाद किसी पराई औरत को गन्दी निगाह से नहीं देखता!
पुरुष और महिला के सम्भोग की अपनी विचारधारा होती हैं!
पुरुष स्त्री के शरीर से नहीं बल्कि उससे स्नेह रखे तो पत्नी को सिर्फ संभोग तक ही नहीं बल्कि जीवन संगनी के रूप में ही अपनाए तो जीवन भर परिवार में आनंद बना रहता है..!
स्त्री को भी पूरुष के मन को समझना चाहिए। स्त्री ही है जो पूरुष को माटी से सोना बना देती है। ऐसा सोना जो अपने ही पत्नी के शरीर पर जंचे।न की किसी पराई स्त्री पर। पुरानी कहावत है एक औरत घर को स्वर्ग बनाती है या फिर नर्क।
सफर में हमसफर का होना बहुत जरूरी है सिमरन। और हमसफर तुम्हें ही देखे, तुम्हें ही निहारें, तुमसे ही प्रेम करें। यह एक औरत पर निर्भर करता है कि कितनी गहराइयों तक अपने पति से प्रेम करती है। प्रेम में बहुत ताकत है सिमरन ।प्रेम ही जीवन है।
भाभी की सारी बातों ने मेरे दिमाग को हिला कर दिया। मैंने शादी के फैसले को इसलिए इनकार किया था कि बचपन से मैं देखती आ रही हूं कि मेरे मम्मी पापा रोज आपस में लड़ाई करते थे ।लड़ाई इतनी बढी की मेरे मम्मी पापा अलग हो गए ।
एक दूसरे का तलाक हो गया। मैं डर गई थी ऐसे रिश्तों से। शायद मेरे मम्मी पापा एक दूसरे को समझ नहीं पाए। प्यार ,प्रेम, स्नेह यह क्या होता है शायद उन्हें नहीं पता था।
यह सब मैं सोच ही रही थी की भाभी ने मुझे टोका "क्या हुआ सिमरन मैंने जो कहा है। उसके बारे में सोचना।अब देर हो रही है मुझे निकलना चाहिए! अपना ख्याल रखना।
भाभी ने मेरे सर पर हाथ रखा और अपने बेटे सुधांशु की उंगली पड़कर वहां से चली गई ।मैं उन्हें तब तक देखती रही जब तक वो मेरी आंखों से ओझल नहीं हुई।
अचानक मेरे फोन में मैसेज की रिंगटोन बजीं। मेरा ध्यान टूटा। देखा तो आदित्य का मैसेज था।
" क्या हम कल मिल सकते हैं?
मेरे चेहरे के भाव बदल गए मैं मुस्कुरा उठी। अपना पर्स उठाया और चली गई।
....................
यह कहानी यहीं खत्म नहीं होती… अब सवाल यह है:
1. क्या सिमरन सच में आदित्य के बारे में कुछ महसूस करने लगी है?
2. क्या दीपा भाभी की बातें सिमरन के दिल को छू गई हैं या वो अब भी अपने फैसले पर अडिग है!
3. क्या आदित्य दोबारा सिमरन से मिलने आएगा?
4. क्या पुरानी परंपराओं के खिलाफ जाकर दीपा भाभी आखिरकार शादी में शामिल होंगी?
5. क्या सिमरन खुद को शादी के लिए तैयार पाएगी, या फिर कुछ और सोच रही है?
6. क्या ये संजना का आखिरी सरप्राइज था या कुछ और भी बाकी है?
जानने के लिए पढ़िए – “और हमसफर” भाग 2... जल्द आ रहा है
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