RISHTON KI MEHAK PART 1

रिश्तों की महक
अंग्रेजी शासन काल में पवन कुमार नाम का लड़का अंग्रेजी अफसर के
घर पर खाना बनाने का काम करता है। पवन अपनी ईमानदारी तथा वफादार होन हार लड़का है। अंग्रेजों का शासन का बहुत ही ताना शाही तथा क्रूरता के रूप में था हम भारत वासी सीधे साधे तथा 75% अनपढ़ होने के नाते हम को गुलाम बना कर हमपर जुल्मी शिकार किया। इस जुल्म को तथा गुलामी से राहत पाने के लिए प्रण किया हमको इनसे अपने को आजाद करना है। तो इस इनके समान योग्य बनने के लिए अपने बच्चों की शिक्षा प्रदान करनी चाहिये तभी हम इनकी गुलामी तथा दहशत से आजाद करा पायेंगे अंग्रेजों के अत्याचार से तंग आकर भारत वासियों ने अपनी नस्लों को शिक्षा प्रदान कराने का अभियान शुरू किया। और काबिल बना कर फिर इन फिरंगियों को भारत छोड़ो आन्दोलन छेड़ा। और अपनी एकता को मजबूत करने की कसम खाई हम अपने देश भारत को. 'जुल्म तथा तानाशाही से आजाद करा कर ही रहेंगे। और हम भारतवासियों नें धीरे-धीरे आन्दोलन की बारिश शुरू कर दी। हम भारत वासियों की एकता को देख अंग्रेजों की रातों की नींद हराम कर दी।
जिस अफसर के यहाँ पवन काम करता था। वह बहुत ही क्रूर अफसर था। और क्रान्तकारियों ने इस अफसर को जान से मार देने का इरादा बनाकर अफसर के बंगले को घेर लिया ।
रात का समय हैं घोर अंधेरा चारों तरफ सन्नाटा। इस सन्नाटे में
अंग्रेजी अफसर जार्ज के बंगले को घेर लेते हैं। और अन्दर जाने का रास्ता तलाश करते हैं, पर इनकी समझ नहीं आ रहा कि अन्दर किस तरह प्रवेश किया जाए और इनकी नजर एक पाइप पर पड़ती है। और पाइप के रास्ते से अन्दर जाने का प्लान बनाते तथा पाइप के रास्ते से चढ़ कर अन्दर जाने का मार्ग अपनाते हैं। और चढ़ना शुरू करते हैं। अफसर और इसकी पत्नी गहरी नींद में सो रहे होते हैं। इनको कोई इल्म नहीं था कि हमारे बंगले को घेर लिया गया है और हम पर, कातिलाना हमला होने वाला है।
लेकिन इस समय पवन कुमार आधी नींद में सोया हुआ है, क्रांतिकारियों की चलने की आहट की भनक कानों तक पहुँचती है। और आंखे खुलती
हैं। और उठ कर बैठता है। और कुछ देर तक आहट सुनता तथा चौंकता
है, आश्चर्य करता है। इतनी रात गये कौन और किसकी आवाजें आ रही है। और मन में बहुत से सवाल समा रहे होते हैं। या कोई चोर तो नहीं चोरी के इरादे से आ रहे हैं। या फिर कोई दुश्मन हो सकता है। चलो देखता हूँ क्या माजरा है।
पवन रोशनदान की तरफ पहुँचता तथा खिड़की खोलता देखता है।
बाहर काफी लोगो की भीड़ जमा है। इस भीड़ को देख पवन कुमार के होश उड़ते हैं और पैरों तले जमीन खिसक जाती है। इसकी समझ काम नहीं कर पा रही है किस तरह साहब तक पहुँचकर उनको खबरदार करूँ दुश्मन बहुत तेजी से अपना काम कर रहे है, मेरा साहब तक पहुँचने में जान खतरे में पड़ सकती है। क्यों न मैं ही कुछ करूँ अगर मैं कुछ करूँ भी तो इतने लोगों का अकेला मुकाबला करना असम्भव है पर मुझे सम्भव करना है। चाहे मुझे अपनी जान ही क्यों न कुर्बान करनी पड़े और पवन कुमार धैर्य से काम लेता है (होसला) और बंगले अन्दर चारों तरफ देखता है, मैं किस तरह, और किस चीज से उन पर हमला करूँ। हैरानी बढ़ती जा रही है
समाधान नही हो पा रहा है। जैसे ही किसी कमरे के अन्दर पहुँचताहै। देखता है सामने दीवार पर बन्दूक टंगी है। बन्दूक देख पवन की हैरानी को शुकून महसूस होता है। और बन्दूक तक पहुँचता है, और उठाने के लिये अपना हाथ बढ़ाता है। जैसे ही बन्दुक पर हाथ रखने वाला है, तभी क्रान्तकारी पीछे आ पहुँचता है। और अपनी बन्दूक पवन की पीठ पर टेकता है, बन्दूक के टेकते ही पवन चौंकता है। तथा आश्चर्य करता है। हैरानी चेहरे पर छा रही होती है।
लेकिन फिर भी अपने बचने की कोशिश जारी रखता है। क्रान्तकारी अपने इंतकाम को अन्जाम देने के लिये पवन को कहता है, अपनी जान की सलामती चाहते है। तो मुझे अफसर तक लेकर चल वर्ना तुझे शमशान पहुँचा दूंगा पवन हैरान अवस्था में क्रान्तकारी के चेहरे की तरफ देखता है। कुछ पल दोनों एक दुसरे की तरफ देखते है नजरें मिली हुई हैं, और क्रान्तकारी इशारा करता है चलने का पवन अब देश भक्त के शिकान्जे में घिरा हुआ है। और इशारे को देख धीरे-धीरे चल रहा होता है। कुछ ही दूर चलने पर पवन मौका पाकर क्रान्तकारी के हाथ से बन्दूक झटके से खींचता है तथा लेता है। अब क्रान्तकारी चौंकता है, और लटकी हुई बन्दूक की तरफ लपकता है, लेकिन पवन, अपनी ताकत के जरिये इसको नाकाम करता है।
जब क्रान्तकारी निहत्था घबराता है तब पवन कुमार इसको मौत
के घाट उतार देता है। इसके बाद दूसरा आता दिखाई पड़ता है, इसको भी मौत की नींद सुला देता है. और पवन कुमार ऊपर छत की तरफ पहुँचता है, और अकेला उन 10-15 क्रान्तकारी से अपनी बहादुरी से टक्कर ले रहा होता है। दोनों तरफ से फायरिंग हो रही होती है।
इस फायरिंग की आवाज से जार्ज अफसर की वाइफ की आंखें खुलती
है, चौक कर उठती है आश्चर्य चकित होती है। घबराती हुई पति जार्ज को झंझोरती है, जार्ज नहीं उठता है। फिर दुबारा झंझोरती जार्ज नींद के आलस में कहता है, सोने दो यार परेशान न करो तुम भी सो जाओ मेरा मूड नहीं है तुमसे बात करने का जार्ज की पत्नि जार्ज को उठाने में नकाम होती है। लिली के चेहरे पर मायूसी तथा हैरानी के बादल छा जाते हैं।
दिल दहशत में डूबा हुआ है, बेचैनी की अवस्था मैं बैड से उतर कर खड़ी हो जाती मारे दहशत के लिली- का बदन पसीने-पसीने हो रहा
होता है। लिली घबराते तथा लड़खड़ाते कदम से आगे बढ़ती है। और
फायरिंग की भनक सुन सोचती है। फायरिंग बाहर हो रही है या घर की छत पर, क्यूँ न मैं छत पर चल कर देखती हूँ आखिर कौन है, जो छत पर फायरिंग कर रहा है। डरती - डरती छत पर पहुँचती है, तथा देखती है
अरे यह पवन कुमार किस पर गोली चला रहा है। जैसे ही कुछ कहना चाहती है। तभी पवन की नजर लिली पर पड़ती है। वो छुपने का इशारा करता है। मगर लिली का मन नहीं माना और छत पर खड़े होकर देखती है।
आतंकी बगावत का जोश लिये फायरिंग कर रहे हैं। लिली को एहसास होता है की पवन हमारी जान बचाने की खातिर अपनी जान की
परवाह न करते हुए इतने आतंकीयो से अकेला मुकाबला कर रहा है।
फौरन ही जल्दी जल्दी चलती जार्ज के पास आ पहुंचती है। और जार्ज को काफी जोर से झंझोरती है। जार्ज हैरानी में उठता कहता है। यार
आज मेरा मूड नहीं है। क्यो नहीं मानती हो।मैं तुमको खुश करता हूँ। जार्ज लिली को अपनी बाहों में भरता है, बैंड की तरफ खीचता और लिटा लेता
लिली रोमांटिक मुँड में नहीं है। लिली इस पर फौरन कहती है। ओह माय गोड मैंने किस लिए उठाया है और जनाब रोमांटिक मूड बना रहे हैं। हमारी जान खतरे में है. इतना सुन जार्ज चौकता और फायरिंग की आवाज सुन आश्चर्य चकित है। आपने पहले क्यों नही बोला लिली मैं आपको पहले भी उठाने की कोशिश की पर आप नहीं उठे जल्दी करो पवन हमारी जान बचाने की खातिर क्रान्तकारियों से अकेला संघर्ष कर रहा है। जार्ज सुनते ही बन्दूक हाथ में थाम पवन के पास आ पहुँचता है साथ में लिली भी है। तीनों फायरिंग करते है।
काफी देर तक फायरिंग चलने के बाद घटा घिर आती है और बारिश शुरू हो जाती है। और देश भक्त भागते दिखाई पड़ते हैं। लेकिन दिल में इन्तकाम के शोले भड़के हुये हैं। इनको बेचैनी ब्याप रही है। और रंगों में देश भक्ति की भावना उमड़ रही होती है। देश भक्ति का जुनून सवार है क्रान्तकारियों को शान्ती तभी मिलेगी। जब तक जार्ज की तानाशाही का मुंह न कुचल दिया जाये और गैर मुल्कियों के भारत की सर जमीन से परे न उखाड़ दें। क्रान्तकारी किसी एकान्त जगह पर मीटिंग करते है कहते है सबसे पहला मिशन है जार्ज की मौत, जार्ज की क्रूरता काल्पनीक बनी हुई है। उठते बैठते बस जार्ज की क्रूरता आंखों में बस रही होती है।
अब तीनों पवन, जार्ज, तथा लिली उनके भाग जाने पर बहुत खुश होते हैं। और चैन की सांस भरते हुये जार्ज तथा लिली के चेहरे पर खुशी की लहर उभरती है। पवन की पीठ थपथपाते हुए जार्ज कहता है। शावास तुम एक वफादार बहादुर आदमी हो तुम्हारी बहादुरी पर मुझे फक्र है। तुम जैसे बहादुर ने अपनी जान की परवाह न करते हुये हमारी रक्षा की है। हम तुम्हारी बहादुरी को को सलाम करते है, और आज से हमारे सैनिक बन कर रहोगे तभी लिली कमान्डो की वर्दी लेकर आती है। और जार्ज को सौंपती है। जार्ज पवन को वर्दी देता है, और पहनने को कहता है। पवन वर्दी को हाथ में लेता तथा सोचता है। वाह रे वाह नसीब रसोइया से एक सैनिक बना दिया भगवान तू बड़ा दयालू है। तेरी कृपा से मैं आज क्या था और क्या बना दिया शुक्र गुजार हूँ।
पवन वर्दी पहन कर खुश होता है तथा जार्ज को स्लूट मारता है। लिली
तथा जार्ज भावुक शब्दों में। तुमने हमे एहसान तले दबा दिया है। हम तुम्हारे एहसान का बदला किसी भी कीमत पर नही चुका सकते जब हम जिन्दा रहेंगे तुम्हारी बहादुरी हमारे दिल को दस्तक देते रहेंगे। जार्ज पवन को सीने से लगाता है।
पवन वर्दी पहन अपने माता पिता से मिलने घर पहुंचता है। माता पिता पवन को कमान्डो की वर्दी में देख बेटे पवन को पहचान नही पाते
हैं। और थर्रा उठते हैं। पवन कुमार मुस्कुरा रहा होता है, मन ही मन कहता है, अम्मा पिताजी मुझे इस बर्दी में देख पुलिस वाला समझ रहे हैं। इसलिए इनको दहशत हो रही है, अब पवन सहमी आवाज में कहता है। घबराओ नहीं अम्मा मैं तुम्हारा बेटा पवन हूँ। मेरी इस वर्दी को देख पुलिस वाला न समझो । सुनते ही माता निर्मला दहशत से बाहर होती है, और पवन को घूर कर देखती है। धीरे-धीरे चलती पास आ पहुँचती है। खुश होती पवन के सर पर हाथ फेरती आश्चर्य करती कहती है।
पवन---- बेटा तू है। और भावुक होती कहती है, तुझे पुलिस की वर्दी में देख हमारी तो जान ही निकल गई थी। समझे कि हमारे घर पुलिस क्यों आई है। हमने ऐसा कुछ किया नहीं फिर हमारे घर पुलिस क्यूँ । अपनी भावुकता को काबू नहीं कर पा रही है। पवन अम्मा को भावुक तथा ममता को मचलते देख पवन भी भावुक होता है। अम्मा धीरज से काम लो तुम्हारी ममता ने मुझे भी रुला दिया है। बात क्या है बेटा जितनी खुशी मुझे आज मिली है यह जीवन में पहली बार देख रहे है। यही कारण है। अपने हृदय को मैं काबू न कर पाई और आँखे भर आई
भावुक स्वर में पति देवी लाल जो डर से पहले ही कमरे में जा पहुँचे
है। को आवाज लगाती है। अजी सुनते हो बाहर निकल कर आकर
देखो तो कोई और नही अपना बेटा है।
सुनते ही पहले तो खुशी की लहर उमड़ती है, और मन ही मन कहते
है क्या हमारा अपना बेटा पुलिस बाला चलता हूँ। खुशी-खुशी कदम
बढ़ाया मन में आया ख्याल काम तो खाना बनाने का करता था। लेकिन
इस को पुलिस की पदवी किस तरह हासिल हुई। कमरे से बाहर निकल आते हैं। और दूर से ही खड़े पवन की तरफ नजर डालते हैं। पवनं पिता को अपनी तरफ देखते हुये मुस्कुराता हैं। पिताजी आओ दूर से क्या देख रहे हो मैं हूँ पवन तुम्हारा बेटा पवन, आओ आशीर्वाद दो
देवीलाल मुस्कुराते हुये बटे के पास आ पहुंचते हैं। और बेटे को बड़े ध्यान पूर्वक देखते हैं। और सीने से लगा लेते हैं। और मुस्कुराते हुये कहते हैं। हमारा बेटा पुलिस वाला है। और सोचते हैं। कहते हैं। तू खाना बनाते बनाते पुलिस वाला किस तरह और किस खूबी से यह पदवी तुझे प्राप्त हुई है। पवन खामोश और जवाब नहीं दे पा रहा है।
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