RISHTON KI MEHAK PART 4
(अब कहानी नया मोड़ लेती है)
लन्दन में पवन अपनी जिन्दगी में चार चांद लगाये खूब अच्छा खास बिजनेस चला रहा है। अब पवन के आंगन में एक फूल खिलता है। (यानी बेटे का जन्म होता है) हिन्दुस्तानी नाम राहुल (लन्दन का नाम रावर्ट) समय के साथ साथ बच्चा बड़ा होता शिक्षा प्राप्त करता है। और धीरे धीरे जवान होता डाक्टर की डिग्री प्राप्त करता है। और समारोह होता है। जिसमें राहुल उर्फ रावर्ट को सर्वश्रेष्ठ सीनियर डाक्टर के रूप में सम्मानित किया जाता है। सभी डाक्टर तालियां बजाकर राहुल का होसला बुलन्द करते है। और अपने संदेश में कहता है। भाईयो तथा साथियो मैं आशा करता हूँ जिस तरह मैं अपनी लगन तथा मेहनत से यह डिग्री प्राप्त की भविष्य में मेरी तरह लगन मेहनत से मेरी जैसी डिग्री हासिल करने की कोशिश करें और बचपन मैं मेरी भावना थी मैं एक अच्छा सीनियर डाक्टर बनूँ गॉड ने मेरी प्रार्थना स्वीकार की और यह पद भी मिली। अब मेरी इच्छा है इन्डिया एक शान्ती देश है। वहाँ की संस्कृति आदर भावनाओं के प्रतीक है।
वहाँ पर 70% लोग गरीबी रेखा में जी रहे हैं। न उनके पास अच्छा पहनने को है और न खाने को वहां की भोली भाली जनता मेहनत मजदूरी करके अपनी जिन्दगी की नय्या बहुत मुश्किल के साथ पार लगाते एक दौर था INDIA को सोने की चिड़िया के नाम से जाना जाता था कुछ बद दिमांग शासक लालच में वहां पहुंचे अपनी लालच को पूरा करके एक मिट्टी की चिड़िया बना डाला मेरी दिली इच्छा है क्यूँ न मैं वहाँ जाकर
बड़ा हॉस्पिटल की बुनियाद रखूं और गरीबी रेखा वाले लोगों का इलाज फ्री इलाज की सुविधा प्रदान करूँ, बस यही मेरी इच्छा है। आपकी सबकी हार्दिक शुभ कामना मेरे साथ है। तालियों से पूरा वातावर्णन गूंज उठता है।
राबर्ट के चेहरे पर सम्मानित की खुशी छाई हुई है। राबर्ट खुशी- खुशी कालेज से बाहर निकलता है। तो काफी छात्र इसको बधाई दे रहे हैं। राबर्ट छात्र-छात्राओं से बधाई संदेश पाकर बहुत खुश होता है। और मन सभी का प्यार बसाता घर की तरफ चल रहा होता और मन में सोचता कभी इन्डिया गया नहीं देखा नहीं फिर भी मेरा मन इन्डिया की तरफ क्यों आकर्षित हो रहा है। भूत काल का कोई जरूर हिस्सा बसा हुआ है। उस आत्मा की आवाज मेरे दिल में रिमोट का काम कर रही है। कोई न कोई
राज जरूर छिपा है। ऐसा सोचते - सोचते घर आ पहुँचता है। और चिन्तित होता सोफे पर आ बैठता है। और इसको यही चिन्ता खा रही है। कि इन्डिया जाकर किसके पास जाकर रहूँगा, वहाँ पर मैं एक अन्जान व्यक्ति की तरह, अकेला भटकता रहूँगा न मेरा दोस्त है, नाही मेरा कोई सगा सम्बन्धि किससे बातें तथा किस के पास बैठना चाहूँगा मेरे दिल की क्यों यह भावना उक्सा रही है। इस तरह, काफी देर चिन्ता में रहने के बाद इसकी नजर, रिमोट पर पड़ती है, और कुछ पल तक रिमोट पर नजरें जमाये रहता है। और रिमोट उठा लेता है। और रिमोट को घुमा फिराता है। और कहता है, जिस तरह टी.वी चलाने को तेरी जरूरत पड़ती है। और टी.वी चालू (ऑन) होजाता है, मेरा भी कोई रिमोट बन जाएं जिससे मै इन्डिया जाकर अपनी भावनाओं को महकाऊँ इतना कहते ही मन टीवी देखने का बनता है। टी.वी आन करके देखता है। फिर मन में आया क्यों न मैं इन्डिया की संस्कृति की पर ध्यान दु कुछ तो सुराग मिलेगा अब राबर्ट इन्डिया चैनल ऑन करता है। देखता है सूरज कुन्ड बाली प्रदर्शनी इस में सभी देश विदेश के लोगों को मेले में देखता है। देखते देखते एक पेन्टिंग वाले को दर्शाते है। जो बहुत प्रचलित मशहूर डांसर की पेन्टिंग बेचते दिखा रहे होते हैं।
नीलोफर डान्सर की पेन्टिंग को देख मन भर आता है। और आकर्षित होता है। उसकी पेन्टिंग पर और मन में ख्याल आया कि यूँ न मैं इस पेन्टिंग बेचने वाले जा मिलूँ और दोस्ती का हाथ बढ़ाऊँ और इसी से ही मेरी इन्डिया में पहचान बन सकती है। राबर्ट का मन चलता तथा खुश होता है और टी. वी पर उसके बारे का परिचय सुनता है। आपको हम एक ऐसी डांसर तक पहुँचाते है। जो आप देख रहे हैं स्क्रीन पर पेन्टिंग इनका नाम नीलोफर है। यह बहुत ही सुशील तथा मन की साफ और दयालु भी हैं। और आप देख रहें हैं उनकी पेन्टिंग आल बर्ड सभी प्रान्तों के डांस व खूबी से अदा कर लिती है। इनकी चर्चा देश विदेशों में विख्यात है। अचानक इनकी जिन्दगी में एक ऐसा भयंकर, भूचाल आया और उनकी कला उस भूचाल में नष्ट हो गई अब नीलोफर उस हादसे में बीमारी का शिकार हो गई काफी इलाज कराया पर कोई लाभ न उठा पाई। मजबूर होकर अपनी कला की पेन्टिंग बनाती तथा एक्जिबिसन मैं अपनी कला को लोगों तक पहुंचाती है। अब रावर्ट सुन उसकी गम्भीर दास्तान को अपनी इंसानियत का रिश्ता कायम रखता है। मेरी भावनाएं और भी मजबूत दिखाई पड़ रही हैं। मैं इस डांसर के जरिये ही भारत में अपने मक्सद की बुनियाद रख पाऊँगा पर मेरा भारत पहुंचना मुश्किल है।
माना मुझे सफलता के मार्ग मिल रहे हैं, पर मंजिल नहीं दिखाई पड़ रही है। फिर भी मेरा मन क्यों उकसा रहा है, जैसे ही मैं ने उसकी दर्द भरी दास्तान सुनी है, मैं उसी की तरफ आकर्षित हो गय़ा मेरी नॉलेज और उसकी कला दोनों का एक महान संगम बन जाने की झलक उभरती हुई मंजिल तक ले जाने की
प्रक्रिया संभव महसूस कर रहा हूँ। इसी बीच रावर्ट के कमरे में मम्मी डैडी प्रवेश करते तथा देखते है। रावर्ट किसी चिन्ता का विषय बना हुआ है। आश्चर्य करते कहते हैं।
लिली my SON कहती है। सुनते ही रावर्ट चिन्तित चेहरा मां की तरफ करता देखता है। पवन--- बेटे हम तुम इस अवस्था में पहली बार देख रहे है, हमारा मन दुख महसूस कर रहा है। किस के ग़म का साया हमारे बेटे पर छाया हुआ है। क्या तुम अपने ग़म का राज बताना चाहेंगे। बेटा रावर्ट मायूसी अवस्था में कहता है, डैडी ऐसा कुछ नहीं लेकिन हां इतना जरूर है। जब से मैंने समझादारी में कदम रखा है, तब से मेरी रुचि (लगन) भारत की तरफ आकर्षित कर रही है। जब कि मैं कभी भारत गया नही फिर भी मेरा भारत जाने की भावना मेरे दिल को दस्तक दे रही है। लिलि सीरियस अन्दाज कहती है। वहाँ क्या टूर पर जाना चाहते हो या वहाँ जा कर रहने का मन बन रहा है मम्मी मन तो मेरा वहीं जाकर रहने का है। पर जाऊ भी तो किस तरह वहाँ मेरा अपना कोई नहीं है। इतना सुन पवन भावुक होते तथा बेटे को गले लगा कर आंखें भिगो रहे होते हैं।
राबर्ट डैडी को इस अवस्था में देख हैरान होता है। और सोचता है डेडी मेरी बात पर भावुक क्यों हुए और मालूम करता है। डैडी क्या मुझे इस मंजर का राज बताना चाहेंगे। पवन आंखें साफ करते तथा दिल की हिलोर को थामते हुये कहते हैं। बेटे आज तुमने मेरे मन में वर्षों से कैद वो आवाज आजाद कर दी है। मेरे दिल में मेरे माता पिता की याद को भूल चूका था आज तुमने मेरे माता पिता तथा वतन की याद दिला दी वही खुमार उभर कर जवां पर आया और मैं उनकी याद के कारण भावुक हो उठा। राबर्ट- डेडी क्या कह रहे हैं आप, आपके मम्मी पापा अभी है हां बेटे। तो फिर वो कहाँ पर हैं। और आपके साथ क्यों नहीं, आप उन से अलग क्यूँ । यह कहानी बहुत लम्बी है, मेरा मन हर दिन उनकी याद में पश्चाताप की ज्वाला में जल रहा है। तभी लिली बात काटती कहती है, myson तुमने भारत का जिक्र किया और तुम्हारे डेडी भावुक हो उठे। मम्मी मैं भी तो जानना चाहता हूँ भारत का नाम सुन डैडी क्यों भावुक हुए। अभी तक मैं जान नहीं पाया लिली--- सुनोगे तो तुम खुशी से झूम उठोगे । रावर्ट खुश होता कहता है, बताओ न मम्मी – लिली---कुछ पल खामोश सोचती है राज खुलते ही एक पल भी नही ठहरेगा हमको अकेला छोड़ भारत चला जायेगा- खैर, कोई नहीं इसका मन छोटा नही करते रावर्ट मम्मी की तरफ देखता है। लीली बेटे की तरफ नजर करती कहती है। बेटे सुनो - और सुनते ही तुम्हारी रंगों में खुशी की लहर उमड़ेगी। राबर्ट-खुशी खुशी - बताओ मम्मी बताओ लिलि सहमी- सहमी कहती है वहाँ पर हमारा गुलशन है। और फुलबाड़ी लन्दन में है। राबर्ट दिमाग पर जोर डालता सोचता है, गुलशन फुलबाड़ी मैं समझ नहीं पाया ठीक से समझाओ तभी पवन बोलते कहते है बेटे-वहाँ पर तुम्हारे ग्रांड फादर और ग्रांड मदर हैं। बेटे भारत ही हमारी जन्मभूमि है मैं भारतिय नागरिक हूँ। अब तो राबर्ट सुन चौंकता कहता है (मुस्कुराते हुए) क्या डैडी आपके फादर-मदर हैं। यानी कि मेरे ग्रान्ड फादर एंड ग्रान्ड मदर भारत में रहते है। -पवन हां बेटे - सुनते ही रावर्ट का चेहरा गुलाब की तरह खिलता है। जल्दी कमरे से निकलता तथा दूसरे कमरे से गिटार लेकर आता और बजाना शुरू करता है। अब तो खुशी से झूम उठता है। और कदम, जमीं पर नही बल्कि हवा में उड़ते महसूस करता है। और पवन तथा लिली भी राबर्ट की खुशी में घुल मिल जाते है। लिली खुशी में शामिल है। पर बेचेनी महसूस करती है, और राबर्ट को गुमराह करने का प्लान बना रही है। कुछ देर जश्न मनाने के बाद लिली कहती है बस हो गया इतना ही काफी है। my son इन्डिया जाकर तुम क्या करना चाहते हो। मम्मी मै अपने वतन का नाम रोशन करना चाहता वहाँ जाकर एक बड़ा अस्पताल बनाऊँगा जिससे वहाँ के गरीब लोगों का फ्री इलाज करूँगा और एक मशहूर डांसर, जो काफी समय से बीमार है। मैं उसका इलाज करना चाहता हूँ। उसका इलाज करने में वहाँ के सभी डाक्टर इलाज करने में नकाम है। मैं भी तो जाकर देखता हूँ ऐसा क्या मर्ज है। जो वह अच्छी नहीं हो पा रही अगर मैं उसका इलाज करने में सफल हुआ तो आपका तथा दादा दादी और मेरा नाम रोशन होगा – पवन इरादा तो नेक है। मैं तुम्हारी प्लानिंग पर सहमत हूँ। लिली रहा इलाज का सवाल यहाँ तक तो ठीक है। पर तुम्हारा हाँस्पिटल वाला प्लान सफल
नहीं हो पायेगा क्यों के वहाँ के 75% लोग गरीब हैं। पच्चीस परसेन्ट लोग अमीर है। क्या तुम उन 25% लोगों के इलाज से हास्पीटल का खर्चा पुरा कर पाओगे। - रावर्ट चिड़ते अन्दाज में मम्मी आप मेरी खुशी तथा मेरी भावनाओं को ठेस पहुँचा रही हैं। लिली मैं ठीक कह रही हूँ। अगर मेरा कहना बुरा लग रहा है तो मैं तुम्हारे भावनाओं को दबाना नही चाहती तुम्हारी खुशी मेरी खुशी है। में एक बात और कहना चाहती हूँ। उस डांसर का ख्याल किस तरह और क्यूँ आया मेरे मन में ख्याल इसलिए आया कि मैं वहाँ के डाक्टरों को चेलेंज कर दिखाना चाहता हूँ। और एक इन्सानियत की अहम भूमिका निभाना चाहता हूँ। सुनते ही लिली खामोश पवन ठीक मैं तुम्हारे जाने का प्रबन्ध करता हूँ। और तुम्हारे दादा दादी को चिट्ठी लिख कर तुमको देता हूँ। आप डैडी चिठ्ठी क्यो लिखते हो आप रिकार्डर में अपनी बात रिकोर्ड करके मुझे दें मैं दादा दादी को सुना दूंगा पवन टेप रिकार्ड ले जाते हैं, और अपनी क्षमा याचना रिकार्ड करते है। और कुछ देर बाद टेप रिकार्ड लाकर राबर्ट को देते हैं। और कहते हैं, मैं ने अपनी क्षमा याचिका दे रहा हूँ। उनको सुना देना शायद माफ करदें, वो तुमसे कुछ नहीं कहने वाले हैं। वो तुमको प्यार से गले लगायेंगे और यह तुम्हारा टिकिट रावर्ट मुशकुराता टिकिट लेता है। थैंक्यू डैड - और वहां पर पहुंचते ही मुझे फोन करना और अपने दादा दादी के कहे अनुसार, काम करना और उनके साथ आदर, सम्मान के साथ खुशी रहना है तुम्हारे दादा का नाम देवी लाल दादी निर्मला है। यह दिल्ली रहते है, वहीं पर, अपना घर है। कालोनी ईस्ट ऑफ कैलाश सन्त नगर, चलो हम तुम को एअरपोर्ट छोड़ कर आते हैं। और मम्मी पापा के साथ एअरपोर्ट जा पहुँचता है। और एरोप्लेन में जा बैठता है। और खुशी-खुशी पवन तथा लिली घर आ पहुँचते है। पवन- राबर्ट दादा-दादी के पास पहुँचेगा और मां और बाबू जी (पिता) पोते को देख बहुत खुश होगे! और बहुत ही लाड़ प्यार से रखेंगे और खुशी से मेरी गलती को तुरन्त क्षमा कर देंगे।
अब राबर्ट दिल्ली आ पहुँचता है। और टेक्सी पकड़ता तथा सन्त नगर कालोनी आ पहुंचता है। और पता मालूम करता है। किसी चलते फिरते आदमियों से मालूम करता है। लेकिन इसको पता नहीं मिल पा रहा है। मायूस होता है। और किसी एक जगह आ खड़ा होता है। काफी देर तक खड़ा रहता है। राबर्ट की नजर आते हुए एक बुजग पर पड़ती है। और कुछ ही मिनट में देवी लाल राबर्ट के पास आ पहुंचते तथा आगे बढ़ जा रहे होते हैं। रावर्ट देखता तथा रोकने को कहता है। stop old man stop देवीलाल राबर्ट की बात को समझ नहीं पाते और चलते चले जा रहे होते है। राबर्ट चिन्तित होता है- अरे कमाल के लोग हैं। यहाँ रोकने पर भी नहीं रुकते Oh ओह गलती मेरी है। मेरे अपनी लेंगवेज यूज की है। अब मैं उनकी ही भाषा में बोलता हूँ। बाबा जी जरा सुनिए अब देवी लाल सुनते है तथा रुकते और पीछे मुड़ कर देखते है। और सोचते है यह विदेशी लड़का मुझे रोकने को आवाज दे रहा है। चलता हूँ उसकी तरफ सुनता हूँ। क्य़ा कहना चाहता है, और देवी लाल रावर्ट की तरफ आ पहुंचते हैं। और- कहते हैं। बेटा तुमने मुझे रोकने को कहा -
राबर्ट -हाँ बाबा - देवीलाल - बोलो बेटा- रावर्ट - बाबा मैं लन्दन से यहाँ आया हूँ। यहाँ पर मेरे दादा दादी रहते हैं मैं उनके पास जाना चाहता हूँ। क्या आप मुझे उनका पता ठिकाना बता सकते हैं। देवीलाल - अगर वो यहाँ आस पास के लोग है। तो मैं जाकर उनका पता बता सकता हूँ बाबा मैं पवन कुमार का बेटा राबर्ट हूँ। मैं अपने दादा दादी के पास जाना चाहता है, उनका नाम देवी लाला गुप्ता है।
देवी लाल अपना नाम सुन दिमांग के तार झनझना उठते हैं और चिड़ती नजरों से रावर्ट की तरफ देखते हैं। और चिडते अन्दाज में कहते हैं मैं किसी देवी लाल को नहीं जानता। और चलते हैं। रावर्ट-इनके चिडते अन्दाज को सुन भोचक्का हक्का बक्का हो उठता है। और देखता रह जाता है। देवी लाल कुछ दूर चलने पर खडे हो जाते हैं। और रावर्ट भी इस जगह से चलता है। देवी लाल भी खडे - खडे पश्चाताप करते हैं। मैंने जो किया है, वह गलत किया है। मुझे इस तरह जवाब नहीं देना था। पवन की तरफ से गुस्से ने मुझे नफरत में बदल दिया। आखिर है तो अपना ही खून अपना (नाती) पोता इस से क्या गुस्सा करना और वह यहाँ पर अजनबी है। दर बदर भटकेगा चलता हूँ उसको प्यार से गले लगाता हूँ। और घर पर ले जाता हूँ, अब देवी लाल जैसे ही मुड़ते तथा देखते हैं उस जगह पर, रावर्ट नहीं हैं, आश्चर्य करते तथा हिलते है। अरे वह लड़का अभी तो यहीं था, अभी में कहाँ पर चला गयां बेचैन हो रहे होते है। हड़बड़ाते हुये तेजी से चलते है। और इधर उधर देखते तलाश करते है। धड़कने बढ़ती जा रही है। लेकिन राबर्ट को तलाश करते करते परेशान हो रहे है, लेकिन रावर्ट इनको कहीं नहीं दिखाई पड़ रहा है। राबर्ट भी भारत आकर हैरान है और सोचता हैं। मैं तो यहाँ आकर फस गया हूँ। मुझे यहाँ पर कोई राह नहीं दिखाई पड़ रही है। मेरे लिये मुश्किल दिखाई पड़ रही है, रावर्ट की क्षमता क्षीण होती दिखाई पड़ रही हैं। और अपना मन भारत से जाने का बनाता है, अगर ऐसा ही कुछ होता है, तो मैं इन्डिया से वापस लौट जाऊँगा चेहरे पर हैरानी छाई हुई है। काफी देर तक तलाश करते करते देवी लाल रावर्ट की तरफ आ पहुँचते है। दूर जाता हुआ रावर्ट को देख मन का बोझ कम होता है। और रावर्ट को रोकते हैं। अरे बेटा रुक मैं आ रहा हूँ पर रावर्ट में देवी लाल की आवाज नहीं सुन पा रहा है। और चलता ही चला जा रहा है। देवी लाल दौड़ते हुए राबर्ट के पास आ पहुँचते हैं। और दोनों हाथों से रावर्ट को चलते से थामते हैं। रावर्ट देवीलाल को देखता चौंकता है। अरे यह old man फिर आगया अब क्या कहना बाकी है। सुनता हूँ क्या कहना चाहता है, देवी लाल (नाती) की हैरानी पर दया का व्यवहार करते हैं। रावर्ट भी हैरानी से देखता है। और कहता है। बाबा आप मुझे छोड़ो मुझे जाने दो आप मुझे परेशान न करे मैं पहले से परेशान हैं। मेरी परेशानियां और न बढ़ाओ क्षमा चाहता है। राबर्ट देवी लाल के हाथ हटाते हुए चलता है। फिर देवी लाल राबर्ट का हाथ पकड़ते कहते हैं। बेटा - भावुक होते हुए कहते हैं।
रावर्ट ... बेटा शब्द सुन अपने आपको कुछ अजीब सा महसूस करता हुआ कहता है, मुझ अजनबी को क्यों परेशान कर रहे हैं। मेरा रास्ता छोड़ो मुझे जाने दो मेरा समय बर्बाद न करें देवी लाल कभी पवन की नादानी और रावर्ट कि परेशनी भावुक कर रही है। आवाज नहीं निकल पा रही है। रावर्ट सोचता है, oldman पागल तो नहीं है। मेरे सामने रो. रहा है। मुझे शक है, जरुर पागल है। फिर भी राबर्ट समझदारी से काम लेता है। लगता है, इसको कोई जबरदस्त ठेस के कारण इसकी आत्मा भावुक बना रही है। मुझे इसकी तरफ ध्यान देना होगा और सीरिस, अन्दाज में हो बाबा आप क्या कहना चाहते हैं। पहले आप अपने दिल में दबी हुई राज को दिल से बाहर निकालें तभी आपकी बात हल हो सकती है। सुनते ही देवी लाल अपनी हैरानी को शांत करते तथा आंखे साफ करते हुए कहते हैं। बेटा तुम मुझे पागल मत समझो वर्षों से दबी अन्तरिमा आज तुमको देख बाहर निकल रही है। रावर्ट आश्चर्य करता कहता है, बाबा ऐसी क्या बात है। देवीलाल-- 'तुमको घर पर चल कर बताऊँगा जहाँ पर तुमको जाना है। वहाँ पर तुमको छोड़ता हूँ। नहीं पर तुमको तुम्हारे दादा दादी राबर्ट सुनता तथा आश्चर्य करता कहता है। कमाल है पहले तो आप मना कर रहे थे अब अचानक आपको क्या हुआ जो आप मुझे मेरे दादा दादी से मिलवा सकते है कहीं आप मेरे साथ कोई धोखा तो नहीं कहीं आपके मन में किडनेप का प्लान तो नहीं है। देवीलाल चिड़ते अन्दाज में पहले मेरे ऊपर, जुनून सवार था और अब शान्ती का साथ दया आ रही है। तभी कोई आदमी मुस्कुराता हुआ आ पहुँचता है 'देवीलाल कैसे हो-
देवीलाल-- दया है भगवान की आशीर्वाद है किस लिये आप इन विदेशी साहब से क्या बातें कर रहे हैं। तभी मुस्कुराते हुये - देवीलाल यह कोई विदेशी नहीं अपना ही खून पवन का बेटा मेरा नाती है। फिर आप यहाँ क्यों खड़े है। आप इनको घर ले कर जाओ देवीलाल बात क्या है कि मेरे जुनून ने इस को गुमराह कर दिया था अब मैं इसको विश्वास दिला रहा हूँ। तभी आदमी ... क्या सच में तुम्हारा नाती पवन का बेटा है। पवन तो तुमको वर्षो पहले ही ठुकरा कर लन्दन चला गया भूल ने तुम्हारे लिये सूद भेजी है। आप सूद को स्वीकार करें। राबर्ट आदमी की बात पर ध्यान करता तथा विश्वास करता है। और खुशी से क्या आप ही मेरे दादाजी है। - देवी लाल हो बेटा मैं ही तुम्हारा बदनसीब दादा हूँ। आओ बेटा मेरे गले लग जाओ और तड़पती आत्मा को शान्ती पहुँचाओ तुरन्त राबर्ट दादा के गले लगता है। कहता है माफ करना दादा जी मैं अन्जाने में क्या कुछ कह दिया मेरी गलती को माफ करना
बेटा मुझे शर्मिन्दा मत करो चलो घर चलते हैं। रावर्ट खुशी-खुशी दादाजी के साथ घर पहुँचता है। दादी निर्मला घर के काम में जुटी है, दूर से ही मालूम करती है. कौन आया है। देवीलाल मुस्कुराते हुए कहते हैं। जरा पास तो आकर तो देखो सारा दिन तुम काम ही करती हो। आकर तो मिलो तुम्हारे दिल में वर्षों से कैद खुशी आज रिहा हो जायेगी और तुम ग़म से आजाद हो जाओगी क्यों मजाक करते हो तुम्हारी यही अदा मेरे मन का बोझ हटा देती है। वर्ना मैं कब भी स्वर्ग लोक पहुँच जाती – आती हो या वहीं से भाषण देती रहोगी- आती हूँ- आती हूँ निर्मला बुढ़ापे का शरीर कुछ थकती चलती आ पहुँचती है।
राबर्ट को देखती है। यह विदेशी लड़का हमारे घर पर किस लिये आया है-कौन है यह लड़का देवीलाल--- क्या देख रही है। और क्या मन में विचार, आ रहा है। निर्मला सीरियस मैं क्या जानू कौन है यह लड़का बताओ न कौन है। देवीलाल बेटा दादी के पैर छू और आशीर्वाद लेले रावर्ट भी मुस्कुराता पैरों को छूता है निर्मला जीते रहो बेटा कहाँ से आये हो कौन हो
अम्मा में आपका पोता (नाती) हूँ निर्मला आश्चर्य करती है। मेरा कौन नाती है, राबर्ट मुस्कुराता परिचय देता है अम्मा आप हैरान मत हो मैं आपके बेटे पवन कुमार का बेटा राबर्ट हूँ। निर्मला पवन का नाम सुन मन में खुश होता है और चारों तरफ पवन को तलाशती है। अरे बेटा पवन कहाँ है तू । देवी लाल क्यों हैरान हो रही हो वह यहाँ पर नहीं है। वह यहाँ से बहुत दूर लन्दन में रहता है। हमारे चमन की सुगन्ध, हमारी आंखों के रास्ते हवा बन सांसों में समा रही है। निर्मला- बोखलाती क्या यह हमारा नाती है। हां अम्मा में आपका नाती हूँ। अब तो निर्मला फूलों न समाती है। और नाती को लाड़ प्यार से गले लगाती है। और हाल मालूम करती है। राबर्ट सब कुशल कहता है। हमारा बेटा हमको भूल ही गया 40 साल बाद कर्बट ली है। वह भी आप नही आया नाती को भेजा है।
अग्मा मैं छोटा जरुर हूँ। पर जानकारी ज्यादा है। रिश्तों में लड़ाई झगडे - मन मोटा कभी रूठना मनाना सभी कुछ होता है। लेकिन घुटने पेट की तरफ ही मुड़ते है। रिश्तों की महक कभी खत्म नहीं होती। देवी लाल बस बहुत हो चुका पहले नाती को नास्ता वगैहरा कराओ काफी दर से हमारे देश की मिट्टी आई है। अब दादी मां कुछ ही देर में राबर्ट को नाश्ता लेकर आती है। और नाश्ता करने को कहती है। राबर्ट नाश्ता करता है। निर्मला सीरियत अन्दाज में कहती है। जब भी पवन की याद आती थी तो मेरा मन में हिलोरियां उठती और हिचकी लेती रोती रहती थी। पर वह इतना पत्थर दिल निकला कभी मुझे याद नहीं किया होगा न कोई संदेशा भेजा
Back to Home
Like
Share