RISHTON KI MEHAK PART 5

तभी राबर्ट मुस्कुराता कहता है। सबसे बड़ा संदेश आपके सामने है। मैं हुँ न और हां आपको संदेशा भेजा है, मैं अभी सुनाता हूँ।
रावर्ट टेप रिकॉर्ड निकलता आन करता सुनाता है । अम्माचरण
स्पर्श प्रणाम करता हूँ और साथ में पिताजी को भी अम्मा मुझे माफ़ करदे तेरा बेटा तुझे बेसहारा करके चला गया मैंने सोचा तक नहीं कि मेरे चले जाने के बाद मेरे माता पिता का क्या होगा और मेरे सिवा कौन है सहारा मैं बहुत ही पश्चाताप की ज्वाला में जल रहा हूँ। जब तक तुम मुझे माफ नहीं करोगी तब तक मैं उस ज्वाला में जलता रहूँगा
आपने कर दिया तो मुझे भगवान भी माफ कर देगा इतना सुन निर्मला खूब फूट-फूट कर रोती है। और कहती है। सन्तान कितनी ही नमक हराम हो फिर भी माँ बाप कभी अपनी संतान श्राप नहीं देते मंगल कामनाएँ की आशीर्वाद हमेशा रहता है। मुझे मेरी आत्मा को शान्ती तभी मिलेगी जब मेरा बेटा बहू के साथ घर वापस आयेगा ।
उधर लिली हैरान है कि राबर्ट भारत जाकर कही न रहा हो।
पवन भगवान पर भरोसा रखो कुछ नहीं होना सकुशल रहेगा।
अगर ऐसा कुछ डाउट हो रहा है। तो हम चलें भारत इसी के जरिए तुम्हारी मुलाकात भी हो जायेगी वह भी देख लेंगे बहू । लिली. सुनती खामोशी में बदल जाती। पवन भी लिलि को खामोश 'देख सोचता है। यह खुश है। मेरे माता पिता लगभग 80-85 साल के हो चुके है उनको हमारी जरुरत है। तभी राबर्ट का फोन आता है। हेलो डैडी मैं सुरक्षित पहुँच गया हूँ। और दादा दादी के पास ही रह रहा हूँ।
दादी आपको बहुत याद करती हैं। आपको भारत आने को कहती है। आप भी आजाओ मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा है। यहाँ की सभ्यता को देख मैं बहुत खुश हूँ। तभी लिली पति के पास आ पहुँचती है। और बेटे राबर्ट का फोन सुनती है। -हाय रावर्ट हाय मम कैसे हो my son राबर्ट वेरी फाइन लिली सुन खुश होती है। माम दादी आपको देखने के लिये तड़प रही हैं।
आप भी इनसे मिलने आजाओं ok son में जरूर आऊंगी। अपना ख्याल रखना अच्छा रखदो गुड नाइट लिली मुस्कुराती कहती है। मेरी चिन्ता दूर हुई बेटा हिफाजत से भारत पहुँच गया है। लिली खुश होती है। और मन भारत जानें का बनता है।
भारत में इतनी सभ्यता है। कि बुरे से बुरा आदमी को माफ कर दिया जाता है हम सलाम करता है। उन देश वासियेँ को हमारी विटिश कोर्स भारत में रहकर उनकी सभ्यता को दरकिनार करके ताना शाही को स्लूट किया और हम उनके साथ बदसलूकी से पेश आये। अब मुझे भी गर्व है। भारत की सांस्कृतिपर
लिली के मुंह से ऐसा कुछ सुन पवन का चेहरा फूल की तरह खिल उठता है।
राबर्ट सुबह सुबह मन्दिरों में भजन कीर्तन आर्ती घन्टों की आवाज सुन हड़बड़ाता उठता है अजीब सा शोर सुन उठता है। और तकिया सिरहाने उठाता मुंह पर डालता है। तभी दादी राबर्ट के पास आती है। और राबर्ट को उठाती है। उठ बेटा रावर्ट उठ सुबह हो चुकी है। चलो नहा धोलो और पूजा पाठ की तैयारी करो। रावर्ट सुनता तथा अंगड़ाई लेता उठता है और और दादी की तरफ देखता है। दादी मुस्कुराती कहती है। चल बेटा नहा ले और पूजा पाठ करनी है। पूजा पाठ का नाम सुन चौंकता है। सोचता है यह क्या है। और क्या करना होता है। हमारे वहाँ पर तो पूजा शब्द कभी सुना नही दादी रावर्ट की तरफ देखती मुस्कुराती है- राबर्ट दादी से मालूम करता है। अम्मा पूजा क्या होता है। और क्या करना होता है। दादी हल्कासा हसते हुये - अरे पगले इतना बड़ा होकर तुझे यह भी नहीं मालूम पूजा क्या होती है। आ चल तुझे दिखाऊँ, तेरे दादा इस समय देवी मां की आरती उतार रहे हैं। राबर्ट दादी के साथ चलता है, दूसरे कमरे में मां दुर्गामाता मन्दिर है।
दुर्गा माता की आरती उतारते दादा जी को देखता है। देखते ही
राबर्ट आश्चर्य करता है। देखता है- राम सीता हनुमान की मूर्ती पर नजर डालता है। कहता है। आपके इतने गाड है। दादी हंसती कहती है। यही नहीं हमारे इसके अलावा हमारे बहुत यानी और भी कई देवी देवता है। राबर्ट आश्चर्य चकित होता कहता है। भारत में इतने गोड है गोड तो सिर्फ एक ही होता है। वहीं जमीन आसमान का मालिक है। हम तो एक ही गोड को मानते हैं चर्च जाते हैं। हफ्ते में एक दिन सन्डे के दिन और गोड की इबादत करते हैं। तभी दादा जी आरती की ज्योति लेकर आते हैं। दादी ज्योति को हाथ जोड़ नमन करती और प्रसाद लेती हैं। राबर्ट ऐसा कुछ देख आश्चर्य करता है। बाबा क्या आप इसी तरह से पूजा होती - हां बेटा भारत में इसी तरह पूजा होती है। बेटा यहाँ की सांस्कृति से परिचित करने का ज्ञान पाना है तो तुमको धर्म स्थलों पर जा कर मिलेगा जैसे विरला मन्दिर है, छतरपुर के मन्दिर है।
क्या आप मुझे लेकर चलेंगे उन जगहों पर। हां बेटा क्यूँ नहीं चलो नाश्ता करलो फिर तैयार हो जाओ बोलो अब दादा दादी को साथ सबसे पहले विरला मन्दिर तथा अक्षर धाम जाता है और फिर छतरपुर मन्दिर पहुँचते सभी जगह आलीशान इमारतों तथा बड़ी बड़ी मूर्ति के दर्शन करने के बाद रावर्ट बाबा क्या भगवान इतने बड़े होते हैं बेटा इन मूर्तियाँ यह ज्ञान मिलता है कि भगवान का अद्भुत आकार है। उनकी आकार का कोई अनुमान नहीं लगाया जा सकता। खैर छोड़ो धीरे धीरे सब समझ जाओगे रावर्ट दादा जी भी प्रेरणा से हिन्दू धर्म ज्ञान प्राप्त करता है। और पूजा पाठ की भावना मन में बस जाती है। और
भगवा वस्त्र धारण करता है। अब रावर्ट को भारत में रहते काफी दिन बीत चुके और जिस भावनाओं को के साथ (के लिये) भारत आया है। वह सब भूल चुका है।
किसी दिन राबर्ट किसी रेस्टोरेन्ट में चाय तथा ड्रिंक कर रहा होता है। तभी इस की नजर न्यूज पेपर पर पड़ती है। और काफी पल तक उस पेपर पर नजर जमाए हुए है। पेपर उठाता तथा पढ़ता है। पढ़ते पढ़ते नीलोफर डान्सर के छपे विज्ञापन पर पड़ती है। और मन में अजीब खुशी महसूस करता है। लिखा है सूरज कुन्ड में एक्जीवीशन की तैयारी राबर्ट पढ़ते ही खुशी की लहर दौड़ती है। अरे मैं जिसके लिए यहाँ पर आया हूँ। यह भावना तो दिमाग से निकल चुकी है। न्यूज पेपर की फोटो ले घर पहुँचता है। मन में खुशी भी है, और हैरानी भी है। जैसे ही घर में प्रवेश करता है। और दादा दादी राबर्ट की चेहरे की हैरानी पर ध्यान से देखते हैं। और अपने पास बुलाते है। और मालूम करते हैं। बेटा तुम कुछ परेशान दिखाई पड़ रहे हो क्या कारण है
राबर्ट हाँ बाबा आपने सही पहचाना सुन देवीलाल चिन्तित हुए कहते हैं क्या तुमको यहाँ पर मन नहीं लग रहा है। हैरानी भाव में नही बाबा ऐसा कुछ नहीं आप चिन्ता न करें हाँ एक बात है दादाजी क्या है बोलो - नीलोफर का विज्ञापन दिखाते हुये यह है मेरी टेंशन दादा जी चिन्तित होते हुए कहते हैं यह विज्ञापन इस से तुम्हारा क्या सम्बन्ध राबर्ट यही तो मैं भी नहीं समझ पा रहा हूँ। मैं जब लन्दन में था तो मैने इसको टी. वी चैनल पर प्रसारण देखा तभी से इस डांसर की कला मेरे मन में पूरी तरह बस गई है। और उसकी कला मुझे दीवाना बना रही है। तो फिर तुम्हारा क्या ख्याल है। क्या तुम्हारा मन शादी करने का है।
यह विचार मेरे मन में आया ही नही है। दादा जी... फिर क्या है। राबर्ट मैं तो सिर्फ उसकी कला से प्रेम करता हूँ। और मैं हूबहू उसके डांस देखने की प्रेणना गन में है। दादाजी- फिर भूल जाओ उस डांसर को वह सपना कभी पूरा नहीं हो सकता। राबर्ट सुन दादा जी बात दिल पर धक्का लगता है। और चिन्तित अवस्था में आप इतना अशुभ शब्द क्यों निकाल रहे हैं। क्या आप मेरे भले में नहीं है। दादा जी चिन्ता जनक शब्दों में- अब नीलोफर अब डांस नही करती है। रावर्ट हा दादा जी यह मुझे पता है। और यह भी पता है, वह बहुत गंभीर बीमारी का शिकार है।
यहाँ सभी डाक्टर उसके इलाज से हार मान चुके हैं। और वह नाउम्मीद है। उसको जरुरत है। किसी अच्छे सीनियर डाक्टर की जरूरत है मसीहा की जो उसकी मायूस जिन्दगी में खुशियां वापस लादे। दादा जी चिन्ता में है। और सोचते हैं उस हारी हुई जिन्दगी को नई खुशियां प्रदान करने वाला तो सिर्फ ईश्वर है। मनुष्य के हाथ कुछ भी नहीं है। मेरा नाती इतना वषीभूत है कि ईश्वरी शक्ति के सपने देख रहा है। इस नादान को किस तरह समझाऊँ इसका सपना असम्भव है। रावर्ट दादी की तरफ नजर करता कहता है अम्मा आप ही समझायें बाबा को मेरे दिल को कमजोर, मेरी भावनाओ का गला घोटने की राह पर ले जा रहे है। दादी राबर्ट के कमर पर हाथ फेरती तथा दिलाशा देती. है। बेटा धीरज रख सब ठीक हो जाऐगा। दादा जी बेटा तुम को बुरा जरूर लग रहा है, पर, हम तुमको गुमराह नहीं कर रहे हैं। और हां इसका पता तो पेन्टिंग बेचने वाले से मिल सकता है। वह हर साल पेन्टिंग सूरज कुन्ड के मेले में बेचता है। दो दिन के बाद सूरज कुन्ड पर मेला शुरू होने वाला है। वहाँ पर उस पेन्टिंग बेचने वाले से जानकारी मिल सकती है।
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