RISHTON KI MEHAK PART 7

RISHTON KI MEHAK PART 7
राबर्ट- वो किस लिये है.... विजय क्या है कि प्रेम में धोखा खाये हुए है। राबर्ट प्रेम में धोखा हुआ प्रेमी ने धोखा दिया किसी और ने तो नही फिर ऐसी क्या प्रोब्लम है। जो सारे मर्दों से नफरत करती है। विजय से ये शब्द सुन कर रॉबर्ट तो बहुत जबरदस्त धक्का पहुँचता है। और बोलता है। अपनी इच्छा पूरी करने के लिए संघर्षो का सामना करना पड़ता है। रॉबर्ट सीरियस अन्दाज में मेरे दोस्त मेरे भाई। मैं सब समझता हूँ, आप मुझे धोखा (यानी गुमराह ) करने की कोशिश कर रहे हैं। आप मिलवाना नहीं चाहते हो, विजय- मैं विश्वास के साथ कह रहा हूँ। वो नहीं मिलना चाहती मैं उसकी गुजरी घटना के बारे में बताना चाहता हूँ हूँ। पर अभी नहीं शाम को जब हम यहाँ से चलेंगे आप मेरे पास शाम को आना तब जब गेलो में कुछ डील होगी तब आप कहाँ पर उतरे हैं। संतनगर ईस्ट ऑफ़ फैलाश वहाँ पर तो मैं भी रहता हूँ, मैं आपको उधर हो मिल लूँगा आप तो बताने में भी झिझक रहे है। मैं लन्दन से चल यहाँ आया हूँ। सिर्फ उससे मिलने की खातिर इंडिया आया हूँ। मुझे अपमानित शब्दों में मेरे दिल को छलनी कर डाला है। मैं डाक्टर होने के नाते मैं यह अपमान सहन नहीं कर पा रहा हूँ। विजय- क्या मेरे दोस्त आप डाक्टर है। राबर्ट yes फिर आपको यहाँ किसने अपमानित किया राबर्ट मुझे अपमान यहाँ के डाक्टरों ने किया है. यहाँ के डाक्टरों की लापरवाही ही का कारण है। जो किसी मरीज का इलाज नहीं कर पाये छोड़ दिया उसको सारी उमर गम्भीर अवस्था में जो तन्हाइयां दर्दनाक बीमारी को काली घटा बन हमेशा हमेशा छा जाने के लिये तड़पने को मैं उसके गम को खुशी में बदलने के इरादे से भारत आया मुझे गर्व है अपनी सीनियर डाक्टरी पर, मैं इसका इलाज करके उसके जीवन में खुशियां भरदेना चाहता हूँ। विजय कुमार सोचता है। यह तो नीलोफर का मसीहा बन कर आया है, शायद नीलोफर को इसका जिक्र एक दर्दे मरहम बन जाये और सुन कर तड़प उठे इससे मिलने के लिये। पर मैं फँस गया हूँ। इन दोनों का बीच में। कोशिश करता हूँ, शायद मेरी कोशिश रंग लाये। जब शाम होते ही राबर्ट --- विजय के पास आ पहुँचता है, विजय देख खुश होता है। और नीलोफर की दास्तान सुनाता है। मैं उसके गुजरे जीवन काल की घटना सुनाता हूँ। यह दास्तान एक गम्भीर दास्तान है। जिसको सुन आप भी उसके दर्द का एहसास करने लगोगे (अब कहानी डांसर नीलोफर की फ्लैश बैक में पहुँचती है ) नीलोफर तथा रोमियो दोनो क्लास फेलो थे । रोमियो एक निर्धन परिवार का लड़का था। यह अपनी निर्धनता के कारण उस की भावनाओं को कुचल देना चाहता है। पर रोमियो की रूचि पढ़ाई करने की है। रोमियो का पढ़ाई में माइन्ड तेज होने के कारण नीलोफर पढ़ाई में कमजोर होने के कारण रोमियो को अपनी तरफ आकर्षित कर लेती है। और पढ़ाई का सारा खर्चा अपने जिम्मेदारी पर है। गरीबी के कारण रोमियो फीस जमा न करने के कारण स्कूल की छुट्टी करली नीलोफर रोमियो को न पाकर बेचैनी बढ़ जाती है। और रोमियो से मिलने घर जा पहुँचती है। और हाल मालूम करती है। रोमियो का गरीबी तथा फीस न जमा कराने का पता होने पर नीलोफर - रोमियो तू मुझे पढ़ने में आगे है। और मैं पढ़ाई में कमजोर हूँ। तेरे सहारे से मेरी पढ़ाई पूरी हो सकती है। तेरी सारी पढ़ाई का खर्चा मैं अपने ऊपर लेती हूँ। इसी तरह समय गुजरता रहा अब दोनों जवानी में कदम रखते हैं। और कालेज जोइन्ट कर लेते हैं। अब इन दोनों में प्रेम भावना अंगड़ाई लेती है। और इनका प्रेम एक बड़े मुकाम पर पहुँचता है। इसके प्यार की कशिश एक पल जुदाई बरदास्त नहीं कर पाते हैं। और एक दूसरे पर मर मिटने की कसम खाते हैं। और कालेज की शिक्षा प्राप्त कर लेने को बाद किसी दिन दोनों किसी रेस्टोरेन्ट में जा पहुँचते हैं। और खाना पीना करते तथा बिल भी नीलोफर ही अदा करती है। अब यह मीटिंग करते है प्रेम दिवानी नीलोफर हंसते हुये कहती है। अब हम कालेज शिक्षाप्राप्त कर चुके है अब हमको क्या करना चाहिये। रोमियो कहता है। मुझे तो जोब नहीं करनी मैं कोई बिजनेस करने का मन है। पर मेरी मजबूरी कुछ करने से रोक रही है। नीलोफर झुंझलाते हुए जनाब को किस मजबूरी का सामना करना पड़ रहा जरा हम भी तो सुने उस मजबूरी का राज हुजूरे आलम हुक्म बयाँ करें रोमियो झिझकते अन्दाज में कहता है कि मेरे पास बिजनेस करने के लिये पैसे नहीं है। नीलोफर हंसते हुए यार क्यों मेरे प्यार की तोहीन कर रहे हो। लोग सुनेगे तो हमारे प्यार का मजाक बनाकर रुसवा कर देंगे चलो बाहर निकलते हैं. नीलोफर मन को छोटा मत करो सब ठीक हो जायेगा जब मैंने प्रेम की डोर तुम संघ बांधी है। तो वो भी काम मुझे ही करना है। और चलते बात करते घर पहुँचते हैं। नीलोफर घर पहुँचते ही पापा से जा मिलता है। पापा बेटी को अपने पास आते देख खुश होते हैं, और, प्यार से पेश आते है। बेटी अब कालेज की शिक्षा भी प्राप्त कर ली। अब आगे क्या करना है। नीलोफर मुस्कुराते हुये पापा अभी मैं कुछ समझ नहीं पा रही हूँ। और न अभी सोचा है। - पापा ...क्यों नहीं - नीलोफर माइंड कुछ काम नहीं कर रहा है। पापा अच्छा मैं समझा मेरे माइन्ड की गाड़ी दो रास्तों पर चल रही है। पहला तुम किसी - प्रेम का शिकार हो चुकी हो उसको सिंगलन का इन्तजार है। दूसरा इशारा मेरा तुम पर कोई प्रेशर का प्रभाव है। जो उसको निभाने में नाकाम हो रही हो । सुनते ही नीलोफर मुस्कुराते हुए हाँ पापा आपने कैसे जाना कि मैं प्रेम प्रोबलम को इच्छा को पूरा करने में असमर्थ हूँ। बेटा- सभी मां बाप सोचते हैं जब अपना बच्चा जवान तथा अपने लेबल पर पहुँचता है। तो चिंताये अधिक बढ़ जाती हैं। हर समय नजरे बच्चे पर टिकी रहती है। नीलोफर मुस्कुराती पापा के बाहों में सिमटती झिझकती अवस्था में कहती है। पापा जब आप जान ही गये हैं। तो मैं कुछ कहना चाहती हूँ। पापा- फ्रेश मूड में- हां बोलो बेटे। यह रुपया पैसा जो दौलत हमारे पास है। वो सब तुम्हारे लिए ही तो है। अब तुम सब सच बताना तुम क्या कहना चाहती हो गुस्सा तो नही करोगे नहीं बिलकुल नहीं आपने मेरे मन की बात पकड़ ही ली है। तो सुनो में जिस लड़के से प्यार करती हूँ। वह कोई और नहीं वो मेरा क्लास फेलो रोमियो है, वह जोब नहीं करना चाहता उसको बिजनेस करना है। और बिजनेस करने के लिये पैसे की जरूरत पड़ती है। वो उसके पास है नहीं मैं अपने प्यार को पाने के लिए उसकी मदद करना चाहती हूँ। क्या आप उसकी हेल्प करेंगे। डेनी- पापा -चिन्तित होते हैं, कि मना करना मेरे लिए ना जाइज है. इससे जिस खुशी से नीलोफर ने प्यार भरी दिलाशा पेश की है। मेरे न करने से फौरन ही दरार पड़ सकती है। अगर यह दरार पड़ गई तो नीलोफर गमे जुदाई में बदल जाएगी में ऐसा हरगिज नहीं करना चाहता हूँ जो मेरी बेटी का दिल टूटे। नीलोफर क्या में हाँ समझु पापा डेनी हड़बड़ाते हुये हाँ हाँ क्यों नहीं मैं उसकी मदद करने को तैयार हूँ। अब क्या है कि लड़कियां अपनी जिन्दगी की मंजिल तक पहुँचने का मार्ग खुद चुन लेती है। आगे क्या होना है, वो किस्मत का खेल है बेटा मैंने तुमको मां तथा बाप दोनों का प्यार दिया है। बस मेरी इज्जत बचाये रखना इस इज्जत पर किसी किस्म का दाग न लगने देना । बस मुझे तुम से यही उम्मीद है। मेरी बेटी कोई ऐसा कदम नहीं उठाऐगी। ok पापा आपकी बेटी नीलोफर, आपकी इज्जत पर कीचड़ उछालने का काम नहीं करेगी। आप मुझ पर यकीन रखियेगा डेनी- तुम पर पूरा भरोसा है, - मुझे बेटा तुम्हारी खुशी में मेरी खुशी हैं। क्या है कि जिस लड़के से तुम प्रेम करती हो और और उसकी हेल्प भी कर रही हो क्या तुमको पूरा यकीन है। उसपर हां पापा यकीन तो मुझे पूरा-पूरा है। क्या है पापा मैंने प्यार भरे संघर्ष की जिन्दगी को दाव पर लगाया है। तो अब क्लास फेलो नहीं कुछ दिनों के बाद जीवन साथी बनने की कसम चर्च में खा चुके है गॉड हमारा गवाह है। क्या यकीन के साथ वो तुमसे शादी करना चाहता है। हां पापा उसकी शर्त है। पहले बिजनेस करूँगा फिर शादी करेगा मैं उसकी भावनाओ पर सहमत हूँ यहाँ तक तो ठीक है। लेकिन तुमने अभी तक यह नहीं बताया उसको कितने रुपये की जरूरत है। नीलोफर उसको २० लाख रुपये की जरूरत है। वो कंपनी के साथ मिल कर काम करना चाहता है। डेनी इतनी बड़ी रकम लगता है। यह किसी फ्रॉट कम्पनी में तो नहीं फंस रहा - नीलोफर, यह तो नही मालूम वह किस कम्पनी के साथ- पैसा लगा रहा है। और न मैंने जानने की कोशिश की डेनी- अच्छा कभी उसके परिवार से मिली हो। नीलोफर, उदास तथा सीरिस पापा मैंने कभी सोचा ही नहीं किमैं उसके परिवार वालों से मिलूँ। हां उसने मुझे मिलवाने के लिए कितनी ही बार बोला पर, मैं मना कर देती थी। शर्मिन्दगी के कारण।बेटा पहले उसके परिवार में अपनी जान पहचान बनाओ फिर उनको समझो सुन नीलोफर चिन्तित होती है। जो काम जरूरी है। उसको नजर अन्दाज कर दिया - डेनी-बेटी क्या सोच रही हो। यही पापा कि मैंने अंधविश्वास से ही अपने जीवन को खेवइया को नैय्या पार लगाने की सोचकर प्यार की किश्ती पर सवार हो गई हैं। अब यह नय्या पार भी होगी या फिर मझदार में न ले डूबे पापा...