HUMARI ADHURI KAHAANI PART 2

सड़क पर कुछ लोग उनकी तरफ भागे।लेकिन तभी एक सफेद चमचमाती हुई कार जोर से ब्रेक लगाकर रुकी। कार से एक लड़की तेजी से बाहर निकली।और चिल्लाई।आवाज सुनकर आसपास के खड़े कुछ लोग दौड़कर निर्जला देवी को उठाकर साइड करते हैं पसीने से लथपत निर्जला देवी बेहोश पड़ी थी। लोगों की मदद से आनन फानन में लड़की अपने कार में बिठा लिया। फौरन कार घुमाई और अस्पताल की ओर चल पड़ी। रास्ते में उसने कई बार पीछे मुड़कर देखा।
"आंटी आप ठीक है ना...लड़की ने पूछा।
बेहोश पड़ी आंटी ने कुछ जवाब नहीं दिया।
अस्पताल पहुंचकर लड़की हॉस्पिटल के वार्ड बॉय और नर्स को इशारा करती है और वह लोग निर्जला देवी को स्ट्रेचर पर डालकर अंदर ले गए।
अस्पताल में लगे बेंच पर बैठी लड़की डॉक्टर के जवाब का वेट कर रही है। थोड़ी देर बाद एक डॉक्टर बाहर आया। और लड़की से बोला " निर्जला देवी पेशेंट के साथ आप ही हैं?
लड़की अपना सर हिलाते हुए"जी"
"घबराने की कोई बात नहीं है। इन्हें बस हीट स्ट्रोक हुआ था। उम्र के हिसाब से थोड़ी कमजोरी है।अभी वह ठीक है आप उनसे मिल सकती हैं।
लड़की फौरन कमरे की ओर बढी। कमरे में घुसते ही उसने देखा की निर्जला देवी बिस्तर पर लेटी हुई थी। उनके हाथ में ग्लूकोज की ड्रिप लगी थी और पास में मॉनिटर की बीप लगातार सुनाई दे रही थी।
निर्जला देवी अपनी आंखें खोलने की कोशिश कर रही थी।
तभी लड़की ने पूछा" आप ठीक है आंटी"
निर्जला देवी दबे दबे आवाज में आंखें खोलते हुए पूछा "क्या हुआ था मुझे? बेटा...तुम कौन हो?
लड़की ने हल्की मुस्कान के साथ जवाब दिया "मेरा नाम संध्या है मैं यही पास में रहती हूं! आपको सड़क पर गिरते देखा तो मदद के लिए अस्पताल ले आई।
आप बेहोश हो गई थी ।डॉन्ट वरी !अब आप ठीक हैं। धूप में चलने की वजह से हीट स्ट्रोक हो गया था । डॉक्टर ने कहा है कि आपको थोड़ा आराम करना होगा। थोड़ी देर में मैं आपको आपके घर छोड़ दूंगी।"
निर्जला देवी अपने हाथों से इशारा करके पास बुलाती है। "थैंक यू बेटा भगवान तुम्हारा भला करें!पता नहीं अगर तुम नहीं होती तो क्या होता।
इसी बीच कमरे में एक नर्स दाखिल हुई। और फाइल देते हुए कहा ।ये आपकी रिपोर्ट है और ये आपकी दवाइयां । आपको डिस्चार्ज कर दिया गया।अब आप घर जा सकती हैं। और ध्यान रखें कि ज्यादा थकान ना लें और धूप मे बाहर जाने से परहेज करे, संध्या ने रिपोर्ट ली और हॉस्पिटल का बिल पे किया। जब वह वापस कमरे में पहुंची तो निर्जला देवी तैयार बैठी थी।
दो वार्ड बाय उन्हें वील चेयर पर बैठाकर निर्जला देवी को संध्या के कार में बिठा देते हैं।
कर में बैठते वक़्त निर्जला देवी ने असमंजस में कहा"बेटा इसकी क्या जरूरत थी। पहले ही तुमने इतनी मदद तो कर दी है। मैं रिक्शा लेकर चली जाती।
संध्या ने तुरंत जवाब दिया"आप परेशान मत होइए ।जब हमारे पास साधन है तो ।आप रिक्शा में क्यों जाएंगी।आप मुझ पर भरोसा कीजिए ।मैं आपको सही सलामत घर पहुंचा दूंगी ।खराब ड्राइवर नहीं हूं मैं।
निर्जला देवी उसकी बात पर मुस्कुराते हुए कहा" तुम्हारी मां कितनी खुदकिस्मत होगी तुम्हारी जैसी बेटी मिली है उनको।
संध्या ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया"आप भी तो मेरी मां जैसी है। तो उसे हिसाब से मदद करना तो मेरा फर्ज था। अब आप चैन से बैठ जाइए।और फिक्र बिल्कुल मत करना ।मैं गाड़ी तेज नहीं चलाती।
सड़क पर चलते हुए हल्की हवा खिड़की शीशे से टकरा रही थी। कुछ दूर चलते ही सड़क के किनारे फल बेचने वाले दिखे संध्या ने एक नजर निर्जला देवी पर डाली और पूछा"कुछ लाना है आंटी?नारियल पानी या फल? निर्जला देवी ने सिर हिलाया" नहीं बेटा अभी सीधा घर चलो। एक बात कहूं बेटा? अगर तुम्हारे जैसे नेक विचार हर किसी के हो जाए ना ।तो कोई किसी से बैर न करें।
तुम बहुत अच्छी लड़की हो। भगवान तुम्हें कामयाबी दे तुम्हें हमेशा खुश रखे।
संध्या मुस्कुराई।
इसी बीच एक दो पहिया वाहन वाले ने अचानक से कट मारा। संध्या ने गाड़ी संभाल ली लेकिन हल्का सा ब्रेक लगाना पड़ा।
"बेटा आराम से.. आजकल के बच्चे भी ना। हमेशा जल्दी में होते हैं।
संध्या ने सहमति में सिर हिलाया। और कुछ दूरी के बाद सिग्नल पर संध्या ने गाड़ी रोक दी। जहां साइड में कुछ जुगी झोपड़ियां बनी हुई थी। पास में एक मंदिर बना हुआ था।
जिसे देख निर्जला देवी ने हाथ जोड़ लिए।
"आप हर दिन मंदिर जाते हैं क्या आंटी?
"नहीं बेटा...लेकिन मन में भगवान को याद करना जरूरी है। जब भी मौका मिले भगवान को धन्यवाद दे देना चाहिए।
संध्या ने हंसते हुए कहा"आंटी मेरे घर में भी यही सिखाया जाता है।मेरे पापा हमेशा कहते हैं कि भगवान से मांगो नहीं ।बल्कि जो दिया है उसके लिए शुक्रिया अदा करो।
हरी बत्ती का सिग्नल मिलते ही चारों तरफ से गाड़ियों का हॉर्न कानों में गूंजने लगे।
निर्जला देवी ने असुविधा मे बोली
"बेटा ये शीशा बंद कर दो नहीं तो ये लोग कान की जान ले लेगे।
क्या करें आंटी सबको जल्दी है। "इस भागम भाग भरी दुनिया में किसी के पास वक्त नहीं है ।संध्या ने समझने वाले भाव में जवाब दिया।
संध्या की बात सुनकर निर्जला देवी कुछ सोचते हुए" बेटा आज जो तुमने मुझे अपना कीमती वक्त दिया है मैं जीवन भर आभारी रहूं।
संध्या जवाब देते हुए "आंटी अब आप मुझे पराया कर रही हैं !मैंने कहा ना कि आप भी मेरी मां जैसी हैं ।यह मेरा फर्ज है। यह मेरा नसीब है कि आपका सेवा करने का मुझे मौका मिला। अगर दोबारा आपने ऐसा कुछ बोला तो मैं आपसे नाराज हो जाऊंगी।
निर्जला देवी मुस्कुरा देती हैं "ठीक है बेटा नहीं बोलूंगी बस"
संध्या भी नटखटता से हंस देती और कहती है" यह हुई ना बात।
इन्हीं बातों के सिलसिलो में देखते ही देखते निर्जला देवी के बताएं डायरेक्शन और मैप के हिसाब से संध्या फाइनली निर्जला देवी की कॉलोनी के पास पहुंच जाती है।
संध्या" को आंटी हम पहुंच गए।
निर्जला देवी हैरान होते हुए बोलती हैं "अरे घर आ भी गया"
कार धीमी रफ्तार में निर्जला देवी के दरवाजे पर रूकती है। निर्जला देवी गाड़ी से उतरने की कोशिश करती हैं जिस पर संध्या उनके पास जाकर बोलती है उनका हाथ पकड़ते हुए।
" आ जाइए मैं आपको आपके कमरे तक छोड़ देती हूं"
घर का ताला खोल के संध्या सहारा देकर कमरे के बेड तक लेकर जाती है। संध्या की नजरे घर के हर कोने को देख रही थी। वहां कोई भी नजर नहीं आया।
"आंटी आप अकेली रहती हैं और कोई नहीं रहता आपके साथ।
निर्जला देवी बड़े गर्व से कहती हैं "नहीं बेटा, मेरे साथ तो पूरी दुनिया रहती है।
संध्या हैरान होकर सोचते हुए बोली"पूरी दुनिया?
टेबल पर पड़ी वीर की तस्वीर को देखकर "हां मेरा बेटा वीर"
निर्जला देवी की इस शब्द को सुनकर संध्या मुस्कुरा उठती है
"अच्छा.... तो आपकी दुनिया अभी है कहां?
निर्जला देवी ने प्यार भरे शब्दों में जवाब दिया।
"अपनी जिम्मेदारी ढूंढने गया है इंटरव्यू देने माता रानी करें मेरे बेटे को आज नौकरी मिल जाए"
संध्या वीर की तस्वीर को देखते हुए कहती है "जरूर मिलेगी मैं भी प्रार्थना करूंगी कि आपके बेटों को नौकरी मिल जाए"
निर्जला देवी स्नेह के साथ संध्या के सर पर हाथ रखते हुए"तुम कितनी अच्छी हो बेटी आज तुम ना होती तो पता नहीं क्या होता जुग जुग जियो।
दोनों की आंखों में अपनापन और भावुकता झलकने लगी।
"काश तुम्हारी जैसी मेरी एक बेटी भी होती "
निर्जला देवी की बात सुनकर संध्या "और काश आप जैसी मेरी मां होती"
निर्जला देवी ने हैरानी से पूछा।
"क्यों बेटा तुम्हारी मां नहीं"
संध्या की आंखें नम हो गई ।
मैंने तो अपनी मां को आज तक देखा ही नहीं,पापा कहते हैं मेरे पैदा होते वक्त मेरी मां दुनिया छोड़ चली गई"
संध्या की उदासी देख निर्जला देवी उसको अपने पास बुलाकर उसका सिर अपने सीने पर रख देती है!
"तुम चाहो तो मुझे मां कह कर बुला सकती हो"
संध्या की आंखों में चमक आ गई और मुस्कुरा कहती है"आप भी बहुत अच्छी हैं, आंटी"
दोनों मुस्कुरा देते हैं।
निर्जला देवी घड़ी की तरफ इशारा करते हुए।
"बेटा बहुत वक्त हो गया तुम्हारे पापा तुम्हें ढूंढ रहे होंगे"
संध्या ने तुरंत जवाब दिया।"हां फिक्र तो कर रहे होंगे की अभी तक आई नहीं
लेकिन मेरे पापा को पता है कि उनकी बेटी कभी भी अपना वक्त बिना काम के जाया नहीं करती। आज का वक्त बहुत कीमती है मेरे लिए। आप जो साथ हैं। मैं तब तक नहीं जाऊंगी, जब तक आपकी दुनिया ना आ जाए आपकी दुनिया आते ही मैं चली जाऊंगी।
दोनों फिर हंसने लगे ।
बेटा एक काम करो ना वीर को फोन कर दो और बता दो कि मै हॉस्पिटल से आ गई। घबरा रहा होगा।
संध्या अपने पर्स से मोबाइल निकाल कर वीर का नंबर डायल करती है, लेकिन वीर फोन नहीं उठा पाता कई बार ट्राई करने के बाद भी वीर का कोई रिप्लाई नहीं था
"बिजी होगा शायद इंटरव्यू के लिए गया है ना इसलिए नहीं उठा रहा है। निर्जला देवी ने कहा।
की तभी अचानक संध्या का को फोन आता है ।
संध्या"हां पापा"
जमुना प्रसाद"कहां हो बेटा जल्दी आओ पंडित जी आए है!
संध्या"ठीक है पापा आधे घंटे में पहुंचती हूं"
संध्या ने फोन रखा और निर्जला देवी को देखा।
निर्जला देवी अपने आप को सही साबित करते हुए मुस्कुरा कर कहती हैं "देखा ना मैंने क्या कहा पापा परेशान हो रहे होंगे"
संध्या हंसते हुए"क्या करूं आंटी पंडित जी हर हफ्ते, हर महीने मेरे लिए रिश्ते लेकर आते रहते हैं, आज देखते हैं किस नमूने का फोटो लेकर आए हैं।
इतना कहकर एक पर्ची पर अपना नंबर निर्जला देवी को देकर, वीर की तस्वीर की तरफ देखकर एक हल्की सी स्माइल करके संध्या जाते-जाते कहती है "आंटी, फोन करना। और हां अपना ख्याल रखना ,मैं फिर मिलूंगी । निर्जला देवी को अच्छे से चादर ओढ़ा के संध्या वहां से चली जाती है। निर्जला देवी को नींद आ जाती है कमजोरी और थकान से उनकी नींद तक खुलती है जब...
वीर घर का दरवाजा खोलता है। वो देखता है कि उसकी मां चादर ओढ़े बेड पर बैठी हैं।पास ही टेबल पर दवाइयो के पैकेट और पानी का गिलास रखा हुआ है। वीर की नजर जैसी अपनी मां के माथे पर पड़ी, वह चौंक गया। एक छोटा सा बैंडेज उनके माथे पर लगा हुआ था।उसके चेहरे पर फौरन चिंता की लकीरें खिंच गई।
"मां.. यह क्या हुआ आपको? वह तेजी से उनके पास गया ।
निर्जला देवी ने धीरे से आंखें खोली और मुस्कुरा कर कहा" "अरे तू आ गया बेटा ।
यह चोट कैसी और ये दवाइयां? वीर ने टेबल पर रखी दावायो के तरफ इशारा किया उसकी आंखों में घबराहट साफ झलक रही थी।
निर्जला देवी ने उसके हाथ को पकड़ते हुए कहा "कुछ नहीं बेटा मैं ठीक हूं ।बस थोड़ा सा चक्कर आ गया था बाहर ।और मैं गिर गई ।
वीर की आंखें चौड़ी हो गई "क्या आप गिर गई ।और आपने मुझे फोन भी नहीं किया। मुझे क्यों नहीं बताया।
निर्जला देवी ने प्यार से उसके सर पर हाथ फेरा" तुझे परेशान नहीं करना चाहती थी, इंटरव्यूज थे आज ।मैं नहीं चाहती थी कि तेरा ध्यान लटके ।
"मां आपकी तबीयत से बढ़कर मेरे लिए कुछ भी नहीं है। इंटरव्यूज तो आते जाते रहेंगे लेकिन यह सब हुआ कैसे ।
निर्जला देवी के चेहरे पर हल्की सी मुस्कान आ गई "एक फरिश्ता आया था बेटा ।
"फरिश्ता" वीर ने हैरानी से पूछा
हां.. एक लड़की थी। संध्या नाम है उसका ।उसने मुझे सड़क पर गिरते देखा और तुरंत अपनी गाड़ी में बैठा कर मुझे डॉक्टर के पास लेकर गई थी ।मेरी रिपोर्ट्स संभाली, दवाइयां दिलवाई और मुझे घर तक छोड़कर गई है। वीर कुछ पल के लिए खामोश रहा। उसकी आंखों में चिंता की जगह अब हैरानी थी "संध्या...संध्या कौन है?
"पता नहीं बेटा ।उसने बस इतना कहा कि मैं भी उसकी मां जैसी हूं और उसने अपना फर्ज निभाया।
वीर ने गहरी सांस ली इतने अच्छे लोग भी होते हैं इस जमाने में। मां,आपने मुझे पहले क्यों नहीं बताया मैं उसे शुक्रिया अदा करना चाहता हूं।
निर्जला देवी ने हल्के से हंसते हुए कहा "हां उसने अपना नंबर दिया है ये ले पहले उसे फोन कर ले ।
वीर ने तुरंत टेबल से कागज उठाया जिस पर संध्या का नंबर लिखा था। उसने अपने मोबाइल से नंबर डायल किया। देखा कि यह वही नंबर है जिसका कॉल आया था एकबार।" मां इस नंबर से तो एक बार कॉल आया था मेरे पास ।लेकिन मैं उठा नहीं पाया। दस मिनट बाद वापस कॉल किया तो बिजी आ रहा था।
निर्जला देवी थोड़ा हड़बड़ा कर"अरे हां बेटा! देख मैं भी भूल गई। मैंने कहा था उसे की तुझे फोन करके बता दे कि मैं सही सलामत हॉस्पिटल से घर आ गई।
"अच्छा " वीर ने तुरंत कॉल लगाया।
संध्या अपने घर के चौखट पर दस्तक देती है तभी उसको कॉल आता है कॉल वीर का था ।
"हेलो...
तीन सवाल:
1. क्या संध्या को यह जानकर हैरानी होगी कि जिस वीर की तस्वीर उसने मुस्कराकर देखी थी, वही अब उससे फोन पर बात करने वाला है – क्या यह बातचीत सामान्य रहेगी या कुछ खास महसूस होगा दोनों को?
2. क्या वीर को संध्या के प्रति एक विशेष आकर्षण महसूस होगा, यह जानकर कि उसी ने उसकी मां की जान बचाई – और क्या वह उसे दोबारा मिलना चाहेगा?
3. क्या जमुना प्रसाद, जो अपनी बेटी के लिए रिश्ते तलाशते रहते हैं, संध्या की सोच और स्वतंत्रता को समझ पाएंगे – या वीर जैसे लड़के को लेकर उनकी सोच अड़चन बनेगी?
Back to Home
Like
Share