MERI MAA KE SHAREER SE SAREE KYUN UTARI

सेठ शांतिदास अपनी गद्दी पर बैठे हुए कैश गिन रहे थे। दुकान बन्द करने का समय हो चुका था। दुकान इस छोटे-से शहर में 'शांति वस्त्र भंडार' कपडे की एक मात्र बडी थी।
पिछले पच्चीस वर्षो से सेठ शांतिदास दिन-भर इस दुकान की गद्दी पर बैठकर लक्ष्मी बटोरते थे। इसी दुकान की बदौलत वह लाखों की जायदाद अपने बेटे-बेटियों के नाम पर खड़ी कर चुके थे और दिन पर दिन उसे बढ़ाते ही जा रहे थे।
एक शानदार मर्सिडीज गाडी आकर दुकान के बाहर रुकी। बाहर बैठा हुआ चौकीदार आश्चर्य से आंखें फैलाता उठ खडा हुआ।
दुकान के सेल्समन और सेठ शांतिदास भी गाडी से उतरने वाली उस अप्सरा को क्षण-भर देखते ही रह गये। यह तो अनी है, इस देश की जानी-मानी हीरोइन ।" एक सेल्समन धीरे से सेठ शांतिदास से बोला
आइए, आइए अनी जी, आपके आने से गरीब के भाग्य खुल गये।" सेठ किसी टुथपेस्ट बनाने वाली कम्पनी के विज्ञापन से बने हुए दोनों हाथ जोडकर खडे हो गए। कीमती सेंट की महक वातावरण में बिखेरती हुई अनी आगे बढ़ गई। क्या दिखाऊं ?" सेल्समन अपने स्वर में अत्यधिक मिठास घोलकर बोला ।
साड़ियां दिखाइए !"
क्षण-भर में ही काउण्टर पर साडियों और ब्लाउज के टुकडो का ढेर लग गया। सेठ शांतिदास भी पास ही आकर खड़े हो गये और एक-एक साडी को फैलाकर काउण्टर पर रखने लगे।
' आपके लिए चाय, कॉफी या कुछ ठंडा ?" वह विनम्रता से दोहरे हुए जा रहे थे।
"नो, थैक्यू !" मधुर स्वर ने वातावरण में जादू-सा बिखेर दिया ।
शांति वस्त्र भंडार के बाहर अनी को देखने के लिए लोगों की भीड लग गई थी।
इसको पैक कर दीजिए। यह भी पैक कर दीजिए। इसे भी पैक कर दीजिए।" अनी ने करीब दो लाख का कपडा खरीद लिया था।
' कुछ और दिखाऊं ?" सेठ शांतिदास का स्वर कभी बेटी की शादी में भी इतना नम्र न हुआ था, जितना इस समय था।
हां, अब कुछ पुरानी साडियां दिखाइए !”
'पुरानी साडियां !" शांतिदास चौंके ।
पुरानी साडियों का क्या करेंगी आप ?"
मुझे कुछ पुरानी साड़ियां दिखाइए !" अनी ने अपना वाक्य दोहराया।
आप शायद मजाक कर रही हैं अनी जी !" सेल्समन बोला। "यहां तो नये कपड़े मिलते हैं, पुरानों का क्या काम !"
आप शायद यहां नये आये हैं इसी से आपको मालूम नहीं है कि पुराने कपड़े सिर्फ यहीं मिलते हैं।" अनी बोली।
अनी को देखने को उत्सुक कई लोग अन्दर आ गये थे।
आप न जाने कैसी बातें कर रही हैं अनीजी ! दुकान आपकी है; पर पुरानी साड़िया हम कहां से लायें ?" शांतिदास बोले ।
ठीक है, मुझे कुछ नहीं चाहिए।"
पांच लाख की बिक्री हाथ से जाती देख सेठ घबरा उठे। "नहीं, आप जा नहीं सकतीं।" वह उसका रास्ता रोककर खडे हो गए, "आप और जो कहें मैं हाजिर कर सकता हूं, तौलिए, बेड-कवर, सूटिंग, पर पुरानी साडियां नही है मेरे पास।"
क्या अनीजी को पुरानी साडियां चाहिए ?" भीड़ में से कई आवाजें आई।
हां," वह भीड़ की ओर मुडकर बोली। "इसलिए कि सेठ शांतिदास पुरानी साडियां बेचते है, वह भी शायद दूने दाम पर।"
आप क्या कह रही है ! पुरानी साडियां कौन खरीदेगा ?”
कोई नही खरीदेगा ? तो फिर उस साडी का आपने क्या किया जो पन्द्रह साल पहले आप एक गरीब औरत के बदन पर से उतार लाये थे?"
क्या ?‘’ भीड में से कई आवाजें आई ।
आप लोग चौकिए नहीं, यह सच है!" अनी गंभीर स्वर में बोली,
‘“आज से पन्द्रह साल पहले एक विधवा मजदूर औरत इनके यहां से सत्तर रुपये की एक साड़ी ले गई थी। बेचारी ने आधे पैसे तो दे दिये थे पर आधे वह नहीं दे पाई थी। कारण था उसकी बीमारी जिसकी वजह से वह काम पर नहीं जा सकी थी, और समय पर इनका उधार नहीं चुका पाई। आप लोग जानते हैं, पूरे मोहल्ले के सामने यह उस गरीब औरत के शरीर पर से साड़ी उतर लाये थे। गरीबों का मोहल्ला था, कोई इनका विरोध न कर सका और उसी रात वह बेआबरू हो चुकी देवी अपनी सात साल की बच्ची को रोता-बिलखता छोडकर दुनिया से चली गई।
आप जानते हैं, वह बच्ची मैं हूं।" अनी ने रुमाल से अपनी आंखें पोंछी। भीड़ में और कई लोगों की आंखें भी भर आई थीं।
"आज मैं अपना हिसाब करने आई हूं सेठ शांतिदास ! तुमने एक पुरानी साड़ी के लिए, कुल पैंतीस रुपयों के लिए मेरी मां की जान ली है। उस लाचार औरत की साड़ी उतार लाये थे तुम । और आज वही नहीं है तुम्हारे पास ! क्योंकी उसे तुमसे कोई नहीं खरीदता, फिर क्यों तुमने मेरी मां की जान ली?" वह चीखी ।
‘‘अनी जी ठीक कह रही हैं, यह आदमी एक नम्बर का कमीना और बदमाश है !‘’ भीड में से कई लोग चीखे। "हम इसकी दुकान से कुछ नहीं खरीदेंगे !" कई आवाजें आई और बढती ही गई।
"हम इसकी दुकान में आग लगा देंगे ! अनी जी जिन्दाबाद !” क्रुद्ध भीड दुकान पर टूट पडी ।
आंसू पोंछती अनी आकर गाडी में बैठ गई।
अनी जी की मां के अपमान का बदला लिया जायेगा, मां की मौत का बदला लिया जायेगा !"
अनी ने हाथ के इशारे से भीड को रोका, "पत्थर फेंककर आप लोग अपने हाथों में कालिख न लगाइए। बस, इस जानवर को कभी यह मौका न मिलने पाये कि यह किसी को बेआबरू करके उसकी जान ले सके।"
अनी की गाडी आगे बढ रही थी और जिन्दाबाद की आवाजें उसका पीछा कर रहीं थीं।
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