TALAAK TANHAI AUR TUM PART 1

पूनम पार्क में बैठी बच्चों को देख रही थी।
बादल छाए हुए थे, कभी भी बारिश की बूंदें गिर सकती थीं।
कभी वह मन ही मन मुस्कुरा देती, तो कभी उदास हो जाती।
उसने आसमान की ओर देखा। उसकी आंखों में शिकायत थी—भगवान से अपना दुख प्रकट करते हुए। पूनम की आंखों से आंसू बूंद बनकर उसके आंचल को भिगो रहे थे।
उसने भगवान से सवाल किया, "अगर तूने मुझे औरत बनाया ही था, तो पूरी तरह मुकम्मल क्यों नहीं बनाया?
मुझे नहीं लगता कि इस दुनिया में भगवान है। अगर होता, तो मेरा भी दामन भर देता। मेरी भी गोद खाली नहीं रहती। मेरी कोख से भी कोई जन्म लेता, तो आज मेरे ससुराल वाले मुझे ताने नहीं देते... मेरा पति मुझे तलाक नहीं देता।"
शिकायतें तो बहुत थीं—खुद से, समाज से, घरवालों से।
फिर भी मुस्कुराती हुई पूनम उन बच्चों के शोर में खो जाती।
झूला झूलते बच्चों को देखकर उसका मन ख्यालों में उड़ने लगता, "अगर मेरा भी बच्चा होता, तो उसकी भी उम्र 4-5 साल की होती…"
उसी वक्त किसी बच्चे के ज़ोर से रोने की आवाज़ आई।
"अरे बंटी झूले से गिर गया!" — एक बच्चे ने चिल्लाकर कहा।
पार्क में खेलते सारे बच्चे अचानक शांत हो गए।
पूनम भागकर रोते हुए बच्चे के पास गई। उसके सिर से खून निकल रहा था।
पूनम घबरा गई, बच्चे को उठाया और अस्पताल ले गई।
घनघोर बारिश हो रही थी। एक बच्चा भीगते हुए कार्तिक के घर पहुंचा और बोला,
"Uncle, बंटी गिर गया है… वो हॉस्पिटल में है।"
कार्तिक बौखलाया हुआ बाइक लेकर अस्पताल पहुंचा।
डॉक्टर ने उसे तसल्ली देते हुए कहा,
"चिंता मत करो, अब ठीक है आपका बेटा। तीन टांके लगे हैं। अभी नींद में है, डिस्टर्ब मत कीजिए। जैसे ही जागेगा, आप ले जाइए। आप पूरी तरह भीग चुके हैं, बाहर इंतजार करिए।"
कार्तिक ने राहत की सांस ली और अस्पताल के गेट पर आकर भीगी हुई शर्ट का कोना पकड़कर पानी निचोड़ रहा था।
तभी उसे पूनम दिख गई, जो अस्पताल के छज्जे के नीचे बैठकर बारिश की गिरती बूंदों को निहार रही थी।
कार्तिक का दिल ज़ोर से धड़क उठा। कुछ देर तक वह उसे देखता रहा।
उसे रहा नहीं गया। रुकते कदमों में जान आ गई।
वह पूनम के पास गया और लड़खड़ाती जुबान से बोला, "पूनम…"
पूनम ने मुड़कर देखा… उसकी आंखें चौड़ी हो गईं। उसकी सांसें तेज़ हो गईं।
कुछ देर तक दोनों एक-दूसरे को देखते रहे। कार्तिक पास आया। पूनम बिना पलक झपकाए उसे देखती रही। चार साल बाद वह कार्तिक को देख रही थी।
उसका दिल चाह रहा था कि अभी उसे गले लगाकर सारी शिकायतें, सारे दुख कह दे,
लेकिन वह मजबूर थी। उसने खुद को नियंत्रित किया। कार्तिक वहीं बगल में बैठ गया और पूछा,
"कैसी हो पूनम?" कार्तिक के मुंह से अपना नाम सुनकर पूनम भावुक हो गई।
जज़्बातों को नियंत्रित करते हुए बोली, "ठीक हूं… तुम बताओ?"
कार्तिक कुछ पल चुप रहा, फिर बोला, "जैसा छोड़कर गई थी तुम… बिल्कुल वैसा ही हूं।
तुम बताओ, तुम यहां क्या कर रही हो? तुम्हें तो लखनऊ में होना चाहिए था।
सुना है तुम्हारा पति बहुत अमीर है, किसी यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर है… और तुम भी उसी के साथ रहती हो?"
पूनम ने अपने सारे दर्द और घुटन को भीतर दबाकर जवाब दिया,
"हां, वहीं थी… बहुत दिन हो गए थे, तो मम्मी के पास आई थी।
उनके लिए कुछ दवा लेनी थी, इसलिए अस्पताल आई थी। बारिश हो रही थी, तो रुक गई…"
दोनों कुछ देर चुप रहे। पूनम ने गौर से कार्तिक को देखा। लग रहा था उम्र उस पर हावी हो चुकी है।
लहराते बाल, स्टाइलिश कपड़े, चेहरे की मोहक हंसी… सब गायब थे।
सिर के बाल सफेद हो चले थे… पेट बाहर निकल आया था।
पूनम ने चुप्पी तोड़ी और पूछा,
"तुम्हारी पत्नी कैसी है?"
कार्तिक आत्मविश्वास से बोला,
"बहुत अच्छी है… दुनिया की सबसे खूबसूरत औरत… मेरा एक बेटा भी है, स्मार्ट, मेरी तरह!"
पूनम उसकी बात सुनकर कहीं खो गई। कार्तिक अब पूनम को गौर से देखने लगा। उसके चेहरे पर पहले जैसी रौनक नहीं थी। रानी जैसी दिखने वाली, बातूनी, चंचल पूनम… आज आंखों की लाली तक लापता थी। कार्तिक को लगा पूनम कुछ छुपा रही है।
उसने पूछा,
"तुम्हारे बच्चे कैसे हैं?"
पूनम ने खुद को संभालते हुए थोड़ा इतराकर कहा, "मेरे भी दो बच्चे हैं… दोनों मुझ पर गए हैं, मेरी तरह इंटेलिजेंट।
मैं अपनी ज़िंदगी से बहुत खुश हूं!" कार्तिक मुस्कुरा उठा, "चलो ये सुनकर अच्छा लगा कि तुम खुश हो…" दोनों फिर कुछ देर चुप रहे।
फिर कार्तिक ने चुप्पी तोड़ी,"ज़िंदगी वही थी पूनम… जो तुम्हारे साथ गुजारी थी… अब तो बस बेटे के सहारे जिंदा हूं…यह सुनकर पूनम का चेहरा सिहर उठा। कार्तिक के लिए पुराने एहसास जाग उठे। उसे याद आया, जब उसने कहा था "हम 4 साल साथ थे। हमने वादा किया था कि शादी करेंगे। हमें कोई अलग नहीं कर सकता यही कहती थी ना तुम?"
"तुम्हारे सारे वादे धूल बनकर उड़ गए!मैंने ठान लिया था कि अगर दोबारा मुझसे कहीं टकरा गई तो… मुंह फेर लूंगा। नजरअंदाज कर दूंगा तुम्हें। नफरत सी हो गई थी तुमसे। पर ज़िंदगी ने सिखाया कि इंसान की बुराइयां ही क्यों याद रहती हैं? उनकी अच्छाइयां क्यों नहीं? मैंने सोचा… तुम्हारे साथ बिताए हसीन पल दिल में रखकर, नफरत को निकाल फेंका। सॉरी, आज तुम्हें देखकर दिल की सारी भड़ास निकल गई…"
कार्तिक की बातों में नाराजगी भी थी और सच्चाई भी। पूनम की सांसें थम सी गईं। एक लंबी सांस लेते हुए बोली,
"Thank you…
तुम बिल्कुल नहीं बदले…
आज भी वही कार्तिक, जो दूसरों के लिए सोचता है।
तुम्हारे दिल में जो मेरे लिए सम्मान है, उसके लिए जीवन भर आभारी रहूंगी…
Thank you… thank you so much…"
(जारी है…)
1️⃣ क्या आपको लगता है कि पूनम और कार्तिक के बीच अब भी प्यार बाकी है?
2️⃣ अगर आप पूनम की जगह होते, तो क्या कार्तिक से सच छुपाते या सब बता देते?
3️⃣ इस बातचीत में कौन ज़्यादा ईमानदार लगा — कार्तिक या पूनम? क्यों?
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