TALAAK TANHAI AUR TUM LAST PART

पूनम मुस्कुराई। फिर पूछा, "तुमने बताया नहीं, तुम यहाँ अस्पताल में क्या कर रहे हो?" कार्तिक कुछ कहने ही वाला था कि तभी एक सफाई कर्मचारी की आवाज़ आई, "पूनम जी...? आपको काउंटर पर बुलाया जा रहा है।"
पूनम ने एक नज़र कार्तिक को देखा और बोली, "मैं अभी आती हूं…" वो काउंटर पर गई।नर्स ने उसे एक पर्ची थमाते हुए कहा, "मैम, ये बिल जमा कर दीजिए। पंद्रह मिनट में डिस्चार्ज हो जाएगा। आप लोग जा सकते हैं।"
कार्तिक पीछे खड़ा सब देख रहा था। वो थोड़ा चौंका और पूछा, "कौन एडमिट है? तुम तो कह रही थीं मम्मी की कुछ दवा लेने आई हो… फिर से झूठ?" पूनम कुछ नहीं बोली। बिल जमा किया और सीधा वार्ड की ओर चल पड़ी।
कार्तिक उसके पीछे-पीछे चल दिया ,वार्ड में एक बच्चा बिस्तर पर लेटा हुआ था।
उसकी नज़र जैसे ही कार्तिक पर पड़ी, उसने ज़ोर से चिल्लाया,
"पापा!" कार्तिक चौक गया। तेज़ी से उसके पास गया और उसे सीने से लगा लिया। उसके माथे को चूमते हुए बोला, "तुम बिल्कुल ठीक हो बेटा? बस छोटी सी चोट थी। अब हम घर चलते हैं…"
पूनम सन्न खड़ी सब देख रही थी। मन ही मन बहुत खुश थी। कई सालों बाद उसके चेहरे पर एक खिलखिलाती मुस्कान आ गई थी। पास खड़ी एक नर्स ने मज़ाक के लहजे में बंटी से कहा, "बताओ, पापा के आते ही माँ को भूल गए!" नर्स की बात सुनकर कार्तिक थोड़ा उलझ गया। बंटी की आंखें चारों ओर घूमने लगीं, जैसे ढूंढ रहा हो—"कहाँ है मेरी मम्मी?"
कार्तिक ने थोड़े झिझकते हुए नर्स से पूछा, "किसकी मम्मी?" नर्स पूनम की तरफ देखकर थोड़ी कन्फ्यूज़ हो गई और बोली,
"ये आपकी पत्नी नहीं हैं? इन्होंने ही बच्चे को एडमिट कराया था। और एक मां की तरह उसका ख्याल रखा।
मुझे लगा बच्चे की मम्मी यही हैं… सॉरी!" पूनम बंटी के पास आई और हल्के से मुस्कुराते हुए बोली,
"It’s ok, sister.
बंटी… तुम ठीक हो न?" बंटी मुस्कुरा उठा। पूनम ने उसके सिर पर हाथ फेरा।
फिर तीनों—कार्तिक, पूनम और बंटी—अस्पताल से बाहर निकलते हैं।
बारिश अब रुक चुकी थी। हवा में एक अजीब सी ताजगी थी। पूनम बेहद खुश थी, जानकर कि बंटी… कार्तिक का बेटा है।
वो बस बंटी और कार्तिक को देखे जा रही थी।
उसके चेहरे पर एक अलग ही चमक थी। कार्तिक ने पूनम की ओर देखा और दिल से कहा,
"मेरे बेटे को जो तुमसे अपनापन और प्यार मिला है… मैं भी जीवन भर तुम्हारा आभारी रहूंगा।
धन्यवाद… मुझे लग रहा है तुम कुछ छुपा रही हो। मैं तुम्हें जानता हूं पूनम… तुम्हारे चेहरे के भाव कोई और नहीं पढ़ सकता मुझसे ज़्यादा…" पूनम कुछ देर चुप रही। वो खुद को कंट्रोल नहीं कर पाई।
उसकी आंखों से आंसू बह निकले।
और फिर… एक झटके में वो फूट-फूट कर रोने लगी। "प्लीज़ मुझे माफ़ कर दो कार्तिक…
मैं मजबूर थी…
ये सच है कि मैंने तुमसे वादा किया था कि शादी तुमसे ही करूंगी। क्योंकि मैं तुमसे बहुत प्यार करती थी।
मैंने घरवालों को बहुत मनाया… मिन्नतें की… कई रातें भूखी रहकर काटीं… पर पापा नहीं माने।
उन्हें बस एक सरकारी दामाद चाहिए था। तुम्हें तो पता है, वो खुद सरकारी वकील थे…"
"उन्होंने साफ़-साफ़ कह दिया 'तुझे कार्तिक चाहिए? हां मैं?' बस, मैं टूट गई थी… दादी ने मेरा मोबाइल तक छीन लिया था। ऐसी कोई रात नहीं थी जब मैंने तुम्हें याद करके नहीं रोया। हर रात तुम्हारी याद में बीती… आज भी… तुम्हारी यादों के साथ रो रही हूं…"
"किस्मत ने तो जैसे मुझसे सब कुछ छीन लिया था। माँ बनने का सुख तक नहीं मिला। पति ने तलाक दे दिया…
अब पास में एक किराए के मकान में रहती हूं। एक मॉल में कैशियर की नौकरी करती हूं। घरवालों ने कई बार कहा वापस आ जाओ… लेकिन दिल अब किसी से जुड़ता नहीं। सबसे भरोसा टूट गया है। अकेली हूं… और शायद हमेशा रह जाऊंगी…" पूनम की बातों ने कार्तिक को झकझोर दिया। वो बिल्कुल असहाय सा महसूस कर रहा था। उसके पास कहने को कुछ नहीं था।
वो बस उसे देखे जा रहा था। बंटी चुपचाप खड़ा सब देख रहा था। उसे समझ नहीं आ रहा था कि पापा इतने परेशान क्यों हैं… और ये आंटी रो क्यों रही हैं…? पूनम अपने आंसू पोंछते हुए बोली, "मैंने भगवान पे भरोसा करना छोड़ दिया था…लेकिन अब प्रार्थना करूंगी कि तुम जहां भी रहो, खुश रहो…"
इतना कहकर पूनम ने बंटी के सिर पर हाथ फेरा और जाने लगी।
पूनम धीरे-धीरे वहां से जा रही थी… बारिश थम चुकी थी, लेकिन उसकी आंखों की बारिश अभी बाकी थी।
कार्तिक ने उसे रोकना चाहा… पर कुछ कह नहीं पाया। वो बस बंटी के पास आकर धीरे से बोला, "तुम हमेशा पूछते थे न… तुम्हारी मम्मी कहां हैं…?" उसने पूनम की ओर इशारा किया "वो देखो… जा रही है तुम्हारी मम्मी।"
बंटी का चेहरा फूलों की तरह खिल गया। उसकी आंखें बड़ी हो गईं।
उसने तुरंत पूनम की ओर देखा — जो धीरे-धीरे कदमों से जा रही थी। बंटी ने अपनी पूरी ताक़त लगाकर चिल्लाया "मम्मी!!"
पूनम के कानों में जैसे बिजली सी गूंज गई। उसके कदम रुक गए। वो पलटी… देखा बंटी उसकी ओर देख रहा था। पूनम कंफ्यूज़ हो गई। वो सोचने लगी "बंटी मुझे 'मम्मी' कहकर क्यों बुला रहा है?" वो वापस उसके पास आई। कार्तिक की तरफ देखकर पूछा,
"ये क्या कह रहा है?" कार्तिक मुस्कुराया… और बड़े शान से बोला, "हाँ… तो बन जाओ ना मम्मी…"
पूनम हड़बड़ा गई। उसकी जुबान लड़खड़ा गई। "क्या कह रहे हो तुम? मैं तुम्हें पाना चाहती हूं…
लेकिन किसी और का सुहाग छीनकर नहीं!" कार्तिक कुछ पल चुप रहा, फिर गंभीरता से बोला —
"जब बंटी पैदा हुआ था, तब उसे मां की गोद नसीब नहीं हुई। वो उसी वक्त हमें छोड़कर चली गई थी।
तब से लेकर आज तक…बंटी अपनी मां को ढूंढता रहा है। अगर तुम चाहो, तो उसकी मां लौट सकती है…
और मेरी पूनम भी…जिसे मैं कभी खोना नहीं चाहता था…"
कार्तिक की आंखों में नमी थी। वो बोल रहा था… और पूनम रो रही थी।
कुछ कहे बिना… पूनम ने ज़ोर से उसे गले लगा लिया और फूट-फूट कर रोते हुए बोली, "आख़िरकार… मुझे मेरा कार्तिक मिल ही गया…" बंटी उनकी ओर देख रहा था… और मुस्कुरा रहा था। उस पल में…
किस्मत, वक़्त, तक़दीर — सबने घुटने टेक दिए थे। तीनों… एक नई दुनिया बसाने के लिए एक ही बाइक पर सवार होकर निकल पड़े। बारिश की बूंदों में अब शिकायत नहीं थी…
वो आज आशीर्वाद बन चुकी थीं।
1️पूनम ने जो अपना दर्द बताया — क्या आप उसे सही ठहराते हैं?
2️क्या कार्तिक को पूनम की मजबूरियां समझनी चाहिए थीं?
3️अगर आप कार्तिक होते, तो इस सच्चाई को जानकर क्या करते?
…अंत।
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