MUSKAAN

MUSKAAN
जिंदगी भी एक फुलवारी की तरह होती है, फूल को पानी ना मिले तो वो मुरझा जाते हैं.उसी तरह जिंदगी में खुशियां ना हो, सपने पूरे ना हो तो जिंदगी भी मुरझा जाती है... 16 साल की मुस्कान भी पढ़ना चाहती थी.. वो भी वही रास्ते खोज रही थी.. जहां से सारी खुशियां मिले उसकी जिंदगी खिलखिलाती रहे. लेकिन शायद ये सब उसके नसीब मे नहीं था.. मुस्कान एक छोटे से 10 बाई 10 के कमरे में अपनी माँ निर्मला देवी और भैया संतोष और भाभी गुलाबी के साथ रहती थी। निर्मला देवी को कम दिखता था घर के एक कोने में पड़ी रहती थी.. संतोष को किसी की परवाह नहीं थी ना अपनी बहन मुस्कान की ना अपनी माँ की .वो बस अपनी पत्नी के पल्लू से चिपका रहता था.दोस्तों को घर पे बुला के शराब पीना.. पत्नी को खुश रखना यही उसकी दुनिया थी। छोटे से कमरे में सब कुछ था रसोई, शौचालय, और उसी मे सोना.. बस एक छोटा सा कपड़े का पर्दा होता था. एक तरफ मुस्कान सोती है और उसकी मां...दूसरी तरफ संतोष और उसकी पत्नी गुलाबी... रात को सहवास क्रिया से निकलने वाली आवाज से माँ बेटी रात भर सो नहीं पाती थी.कितना भी चादर ओढ़ ले पर उनके कानों तक आवाज़ पहुच ही जाती थी.निर्मला देवी कान मे रुमाल बांध के सोने की कोशिश करती थी, बेटी नाबालिक है उसके ऊपर क्या असर होता होगा.. कहीं उसके मन में भी ये उल्टी सीधी चीज ना आए यही सोच कर उनकी आत्मा रोती थी.. काश बेटा लायक होता तो ऐसे हालात ना आते..संतोष और उसकी पत्नी को कोई फ़र्क नहीं पड़ता वो तो बस अपनी दुनिया में होते थे..पंखे से कभी कभी पर्दा इधर उधर हो जाता था तो मुस्कान की नज़र उन पर पड जाती थी.. उसकी भी बॉडी कापने लग जाती थी.. सांसे तेज़ हो जाती थी..मुस्कान मजबूर होकर घर के बाहर बैठ जाती ..चाहे ठंड हो.. बारिश हो.. कई बार उसने अपनी भाभी से शिकायत भी की थी..पर गुलाबी ने उल्टा उसे डांट देती थी..''क्या करे फिर तुम्हारे चक्कर में अपनी जवानी बर्बाद कर दूं.. तुम माँ बेटी को अगर दिक्कत हो रही तो चले जाओ कहीं.. हमें भी चैन की नींद आएगी.. अब तुम भिखारियों के घर शादी हो गई है तो झेलो.. 16 साल कि हो गई हो तुम्हें नहीं पता मिया और बीबी है तो संबंध तो बनेगा ही... अगर मैंने मना भी किया तो तुम्हारा भाई कही और जाके मुँह मरेगा.. मेरी मानो तो कोई लड़का फंसा लो और भाग जाओ उसके साथ.. कम से कम हमारे सिर से बोझ तो हटेगा... अगर रहना है तो चुपचाप रहो..और ये बकवास बंद करो...अपने काम से काम रखो..! मुस्कान चुप चाप भाभी के ताने सह लेती थी.. पीरियड में पैड भी नहीं खरीद पाती.. कपडे को उपयोग करने कारन उसकी तबीयत भी ख़राब रहती थी.. अपनी तकलीफ़ किसको कहती माँ मजबूर थी भाभी उल्टा खरी खोटी सुना देती थी.. मां बेटी को दो वक्त की रोटी मिल जाती है वो भी घर का सारा काम करने के बाद...फिर भी मुस्कान सब कुछ भुलकर यहीं सोचती थी अभी वक्त नाराज़ है .मेरा भी कोई अपना होगा जो मुझे यहाँ से ले जाएगा.. लेकिन मुस्कान पर पहले से ही धनराज की गंदी नज़र थी जो संतोष का ही दोस्त था. जो पहले से ही शादीशुदा था...गांजा बेचना और गांजा पीके पत्नी चंदा को बुरी तरह मारना पिटना उसका रोज़ का काम था.प्यार क्या होता है चंदा को कभी धनराज से नहीं मिला...वो तो बस अपनी भूख मिटाता था..बेड पे पटका और फटाफट हवस पुरी की और निकल गया...चंदा काफी कमजोर हो चुकी थी धनराज ने उसका चार बार गर्भपात करवा चूका था.. मना करने पर चंदा को बहुत मारता था.. और दूसरी शादी करने की धमकी देता था. क्यूंकी उसे बेटी नहीं.. उसे पहले बेटा चाहिए। दूसरी शादी करने का विचार उसके दोस्त कमलेश ने दिया था। कमलेश एक बड़े गांजे के व्यापारी की गाड़ी चलाता था और थोड़ी बहुत अपने मलिक के लिए लड़कियों की दलाली भी कर लेता था। धनराज को कभी भी पैसे की जरुरत होती थी तो कमलेश अपने मालिक से दिलवा देता था...एक दिन यहीं उधारी धनराज को जानवर बना देती है।कमलेश उसे रोज ताने देता था। सेठ का पैसा दे नहीं तो बुरी तरह गांजे के मामले में मेरा सेठ फसवा देगा और तू होगा जेल में.. देख अगर बचना चाहता है तो एक आइडिया है... तेरा कर्ज़ा भी माफ़ और उल्टा पैसा भी मिलेगा..वो भी मुँह माँगी कीमत... मेरे सेठ को वर्जिन लड़की चाहिए बस एक रात के लिए... मैं कई महिनो से तलाश कर रहा हूं. मेरे संपर्क मे जितने भी दलाल हैं सबसे बात कर ली लेकिन किसी के पास नहीं है..तू कर सकता है तो बोल...धनराज घर आके दिमाग दौड़ता है...उसे मुस्कान का चेहरा नज़र आता है...दूसरे दिन धनराज संतोष के घर पर शराब की बोतल लेकर पहुंचता है.. धनराज गुलाबी से उसकी उदासी का कारण पूछता है। गुलाबी मुँह बनाते हुए कहती है किस्मत ख़राब है.. भिखारियो के घर शादी हो गई है.ना कोई महेंगे जेवर ना कपडे...बस झोपड़ी में पड़े रहो ऊपर से माँ बेटी का बोझ, इस पर धनराज कहता है अगर तुम्हे पैसे और महँगे गहने चाहिए तो एक आइडिया है मेरे पास। मैं तुम्हे सब कुछ दूंगा अगर मुस्कान की शादी मुझसे कर दो... मुझे दहेज नहीं चाहिए उल्टा मैं आपको दहेज दूंगा... मुझे पता है मै शादी शुदा हु लेकिन मेरी पत्नी को बच्चे नहीं होते.. इसलिये मैं दूसरी शादी कर रहा हूँ..लालची गुलाबी ने अपने पति संतोष को राजी कर लिया। मुस्कान का विरोध भी काम नहीं आया... मंदिर के पास मुस्कान को सिन्दूर लगा के धनराज.. सीधा कमलेश के सेठ के पास जाता है.मुस्कान की मासूमियत, उसका दर्द, उसकी मजबूरियों से सेठ को कोई फ़र्क नहीं पड़ा था..उसने रात भर अपने गंदे अरमानो को पूरा कर लिया। सुबह धनराज मुस्कान को अपने घर ले गया और चंदा से कहता है संभल इसे। समझा दे.. आज से इसे यहीं रहना मेरी बीबी बनकर...आज मेरी सुहागरात है तैयार कर देना.. आदेश देकर धनराज बहार चला जाता है..चंदा कुछ नहीं बोली वो खुद मजबूर थी... वो फिर से गर्भवती थी धनराज को मालूम नहीं था. धनराज चंदा के पेट पर भी लात मार देता था। उसे यहीं डर था कहीं फिर से मार ना पड़ जाये शाम होते ही चंदा मुस्कान को लोशन देती है।.." ले रख ले.. लगा लेना दर्द कम होगा.. नरक में तू भी आ गई यहीं जल्लाद मिला था तुझे...इतना कहकर चंदा रोने लगती है।.. मुस्कान लोशन की तरफ देख कर अपने दर्द का अहसास कर रही थी जो उसे सेठ ने दिया था..मजबूर चंदा लोशन रख कर चली जाती है..रात को गांजे के नशे में धनराज मुस्कान पर जानवरो की तरह टूट पड़ता है।तभी चंदा आवाज लगाती है कमलेश जी आये हैं,कमलेश भी नशे में धनराज से बोला.."भाई अकेले अकेले.. हमें भी दर्शन कराऔ.. शायद तुझे याद होगा हमसे भी पैसे के लिए है... दर्शन करा दो...वो भी माफ़...! इस पर धनराज ने जवाब दिया" पहले मैं निपट लू...उसके बाद. तभी कमलेश चंदा की तरफ देख के बोला.."भाई एक का तो दर्शन करा दे... धनराज ने अपनी चंदा को भी नहीं बख्शा.उसे बस मुस्कान की ख़ूबसूरती उसके दिमाग में थी..कमलेश चंदा के सारे कपडे फाड़ देता है, उसकी हरकतों से चंदा तड़प जाती है..वह गिड़गिड़ाती है हाथ जोड़कर बिनती करती है.कृपया मुझे जाने दो मैं गर्भवती हूं.इतना सुनते हैं कमलेश आगबाबुला होकर धनराज के पास जाके बोला"...मुझे गर्भवती बीबी थमा दी.और खुद रस मलाई..मुझे भी मुस्कान चाहिए...दोनों भरपुर नशे में थे..बात बढ़ती गई.. जमकर मारा पिटी हुई...धनराज गुस्से में कमलेश के सर पर हथौड़ा मार देता है.कमलेश वही धड़ाम से गिरकर मर जाता है...इतना देखते ही मुस्कान बेहोश हो जाती है. बौखलाया धनराज चंदा को बहुत बुरी तरह मरता..."सब तेरी वजह से हुआ है थोड़ी देर चुप नहीं रह सकती थी.चंदा को मारते-मारते बेहाल कर देता है. एक लात चंदा के पेट पर मरता है. इतने में मुस्कान को होश आ जाता है और वो वहां पड़ा हथोड़ा उठा कर धनराज के सर पे ज़ोर से मार देती है. धनराज खून से लतपथ जमीन पर गिर जाता है...चंदा और मुस्कान पुलिस स्टेशन जाती है.पुलिस मैटर्स को समझती है...मुस्कान और चंदा को अस्पताल भेजती है...नबालिक होने के करण मुस्कान को बालगृह भेज दिया जाता है.बाकी दोशियों को सजा होती है...!