MERA NASHEDI DOST

MERA NASHEDI DOST
मेरा दोस्त साजिद खान अक्सर अपने नशे के चक्कर में अजीब-ओ-गरीब किस्से सुनाता रहता है। उसके किस्से इतने हैरतअंगेज़ होते हैं कि उनका यकीन करना मुश्किल हो जाता है। अपने गहरे रंग को छुपाने की भयानक कोशिशें चालू रहती हैं साजिद की. जिस वजह से भाई आए दिन ब्यूटी पार्लर और सैलून के विजिट करते हैं. फिल्मी अंदाज है उसके, किसी बॉलीवुड स्टार की तरह सज धज के हर वक्त किसी ना किसी का लुक कॉपी किये मिलेगा वो, कभी शाहरुख जैसा, कभी जायद खान, कभी फरदीन खान तो कभी सैफ अली खान....इसलिये कभी-कभी तो उसका हुलिया देखकर जोर से हंसने का मन करता है तो कभी फक्र होता है उसकी लाइफस्टाइल पे, उसकी उम्र लगभाग 28 साल कद 5 फीट 4 इंच आंखों में सुरमा और महेंगे धूप का चश्मा जिन्हें कभी हटाता है वो? ...या फिर पैदायशी लगे आये हैं जन्म से, फिक्स्ड फॉरएवर वाले बालों की स्टाइल बदलती रहती है हर हफ्ते उसकी...कभी-कभी तो अपने बालों को रंग भी लेता है, कभी नीला तो कभी लाल। मूड के हिसाब से उसकी दाढ़ी की शेप चेंज होती रहती है... वो अक्सर ब्रांडेड कपडे पहनता है। उसके कपड़े जो हमेशा नवीनतम फैशन के मुताबिक़ होते हैं, कान में एक छोटी सी हीरे की बाली पहनती है और हाथ में एक मेहँगा सा वाच हमेशा दिखता है। कुछ ख़राब आदतें पाली हुई हैं उसने, शराब तो वो पीता ही है, लेकिन कभी-कभी वो रेक्रीशनल ड्रग्स का भी इस्तेमाल करता है। शानदार जिंदगी और काली चमकदार मर्सिडीज जिसके अंदर लग्जरी का सारा सामान होता है, जिसमें हाई-एंड म्यूजिक सिस्टम और सॉफ्ट लेदर सीटें शामिल हैं। जिसमें बास को फुल वॉल्यूम पे चला के ट्रांस म्यूजिक सुनता है और ड्राइव करता है। कभी-कभी वो अपने दोस्तों को भी लॉन्ग ड्राइव पर ले जाता है और रास्ते में नशा करके उन्हें अपने अजीब-ओ-ग़रीब किस्से सुनाता है। साजिद की जीवनशैली और उसके शानदार किस्से से लोग अक्सर हैरान हो जाते हैं, लेकिन उसके नशे की लत और उसकी अवास्तविक कहानियों से उसके दोस्त भी अक्सर परेशान रहते हैं मसलन उसका वो किस्सा जिसमे उसे बताया था कि जब वो सोके उठा तो उसके दरवाजे पे शेर के पैरों के खुरचने के निशान थे और दरवाजा टूटते टूटते रह गया। पता नहीं क्या अच्छे कर्म किए थे उसने कि शेर ने उसे जिंदा छोड़ दिया। मतलब 30 मंजिला बिल्डिंग के टॉप टेरेस फ्लोर पे रहने वाले साजिद के दरवाजे पे शेर आया था वो भी शहर की बीचो बीच बने ट्विन ट्रिन टावर में, पर जिस क्लैरिटी से किस्से सुनाता है वो ....कई बार तो लगता है क्या यकीं कर ही लें इसपर ? ऐसी ही एक कहानी है उस दिन बता रहा था जब मैं घर के लिए निकल रहा था। साजिद ने बताया कि उस दिन उसने लिमिट से ज्यादा नशा किया हुआ था और डीलर को पैसे लिफाफे में देता है वो, तो उसके पास कैश में पैसे नहीं थे, पर नशा जबरदस्त किया हुआ था उसने तो भूख जबरदस्त लगी थी। और शहर से कई किलोमीटर दूर किसी हिल स्टेशन से पार्टी करके वो और नूर निकले थे, नूर मतलब कोई लड़की नहीं उसका हमसाया नशेडी यार नूर अहमद जिसकी इंसानियत के किस्से तो बड़े सुने हैं पर मुलाकात कभी हुई नहीं इस महापुरुष से अपनी, तो कहते हैं ना कि नशे के बाद भूख बहुत ज्यादा लगती है हां....बस वही इन दोनों के साथ हो रहा था भूख ज़ोरों से लग रही थी और उनकी गाड़ी जंगल के बीच से होती थी सरपट दौड़ी जा रही थी, उसी स्पीड के चक्कर में साजिद का अभी-अभी एक ढाबा साइड से निकला था। उसने अपनी गाड़ी की स्पीड को कोसा और पीछे पड़े अपने दोस्त नूर को बोला, "मर गया या ज़िंदा है?" पीछे नूर के शरीर में हलचल हुई और दोनो ज़ोर से हंस दिये। अब नूर बोला, "भाई, कुछ भी कर, पर कुछ खिला क्योंकि नशे से तो नही मरते अपुन पर भूख से जरूर मर जाएंगे बच्ची। और देख के चला, कोई ढाबा या कुछ मिले तो रोक गाड़ी वहां पे...साला उड़ान खटोला बना दियाला गाड़ी को तू... दोनों जंगली अंदाज़ में हंसते हैं... तभी थोड़ी देर पे साजिद की ओवरस्पीडिंग कार एक बुजुर्ग महिला के पास से गुज़री और एकदम साजिद ने ब्रेक लगा दिया जिसे नूर का मुँह अगली सीट पर लगा, " धड़ाम" की आवाज़ के साथ। अब साजिद ने कार बैक की और उस बुजुर्ग महिला के पास बैक करके ले गया गाड़ी को, जिसकी बेकाबू स्पीड की, वजह से बुजुर्ग महिला उस गाड़ी के नीचे आते-आते बची। नूर चिल्लाया, "अबे देखके नशेडी, मारेगा बुढ़िया को?" साजिद ने कार बैक की और उस महिला के पास रोकी जो समोसे बेच रही थी। गाड़ी में बैठे बैठे ही साजिद ने नशे की हालत में दो का इशारा किया तो बुढ़िया ने 2 समोसे साजिद और नूर को दे दिए। दोनों ने मिनट्स में समोसे चट कर दिए। अब बारी आई पैसे देने की। साजिद ने साइड में रखा फोन उठाया और बोला, "यूपीआई है क्या?" बुढ़िया ने हैरान होते हुए कहा, "UPI वो क्या होता है?" इसपे नूर को हंसी आ गई और वो बोला, "कुछ नई ताई, ये साला पागल है, इस जंगल में यूपीआई ढूंढ रहा है। चल बे कैश दे साजिद ने अपनी जेब पर हाथ मारा और उसे एहसास हुआ कि सारा कैश हमारे डीलर को पकड़ा दिया था लोगों ने, अब साजिद उसकी शक्ल देखे और वो साजिद की, अब करें तो क्या करें? साजिद बोला, "अरे काकी, तुम्हारा नंबर बोलो, हम लोग भेज देंगे पैसे। अभी कैश नहीं है तो क्या करें?" इसपे बुढ़िया ने साजिद का हाथ पकड़ा जो स्टीयरिंग व्हील पर रखा था। बुढ़िया बोली, "पैसे दिए बिना जाने नहीं देगी मैं।" जिसपे साजिद की खनक गई. उसने बोला, "रोक तो उसे किसी का बाप भी नहीं सकता, तो बुढ़िया की तो औकात ही क्या।" हलांकी नूर ने बोला की, "बात ठीक से कर, गलती अपनी ही है।" पर तब तक नशे की धुन में साजिद गाड़ी को दौड़ चुका था। देखते ही देखते ये दोनो गाड़ी में बैठे काफी दूर निकल आये थे। 120...140...की स्पीड से हवा से बातें करती इनकी मर्सिडीज निकल रही थी। तब भी ओवरकॉन्फिडेंट होते हुए साजिद ने बोला, "देखा नूर, वो बुढ़िया का दिमाग कैसा ठिकाना लगाया।" बदले में अचानक नूर साजिद की तरफ देखता है और उसकी आंखें बड़ी होती जाती हैं। डर से चेहरा पीला पड़ने लगता है। साजिद ने घबराके पूछा, "क्या हुआ?" नूर के होठों से सिर्फ एक शब्द निकला, "पीछे..." जब साजिद ने नूर की तरफ देखा तो उसने पूछा, "जवाब नहीं दिया तू, बता ना, देखा ना तू?" जवाब में सन्न हो चुके, स्तब्ध, हैरान और खौफजदा नूर सिर्फ यही बोल पाया, "देखा... तू भी देख।" साजिद बोला, "क्या देख? हुआ क्या तेरे को?" बोलते-बोलते साजिद अपने राइट साइड में देखता है। जो वह देखता है, उसे देखकर या सुनकर किसी के भी होश फाख्ता हो जाएं। वह बुढ़िया इन लोगों की गाड़ी के साथ दौड़ रही थी, जबकि उसके चेहरे पर शिकायती भाव थे। वह इशारा करती है शीशा नीचे करने का। साजिद पता नहीं किस धुन में शीशा नीचे करता है और बुढ़िया बोलती है, "पैसे देकर क्यों नहीं आए तुम लोग?" उसकी बात सुनते ही साजिद की नजर नीचे सड़क पर पड़ती है तो वह देखता है कि यह बुढ़िया जमीन पर नहीं, हवा में दौड़ रही है और उसके पैर उल्टे थे। वहां से उसने नजरें हटाईं और गाड़ी के स्पीडोमीटर पर देखा तो गाड़ी 130 की स्पीड से आगे बढ़ी जा रही थी तेज रफ्तार के साथ। साजिद का रंग पीला पड़ गया। उसने घबराकर फुल एक्सेलेरेटर दबा दिया जिससे गाड़ी अब फुल स्पीड पर आगे बढ़ने लगी और बुढ़िया पीछे रह गई। नूर को देखकर सांसें फूल जाती हैं साजिद की और दोनों सिर हिलाकर एक-दूसरे को देखते हैं। तभी नूर बोलता है, "साजिद, ऐसा नहीं करना था बे..." साजिद बोला, "ए ज्ञान मत दे... साला... एक तो जान बचा दी तेरी, ऊपर से दिमाग की दही कर रहा है..." तभी उसका ड्राइवर साइड का विंडो नॉक होता है। और विंडो पर वही बुढ़िया दिखाई देती है, इस बार और भी भयावह रूप लिए। बड़े-बड़े दांत, मुंह से रिसता खून, आँखें कटोरों से बाहर लटकी हुई, लंबे नाखून... और साजिद होश खो बैठता है... निढाल होकर सामने स्टीयरिंग पर गिरता है...